क्या ब्लैक होल में बदल जाएगा सूर्य, गुजर जाएंगी सदियां फिर भी शायद ना मिले जवाब
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क्या ब्लैक होल में बदल जाएगा सूर्य, गुजर जाएंगी सदियां फिर भी शायद ना मिले जवाब

Black Hole Mystery: जब तारों की मौत होने लगती है तो वो धीरे धीरे ब्लैक होल में तब्दील होने लगते हैं. यहां सवाल सूर्य के बारे में है, क्या सूर्य भी ब्लैक होल में बदल जाएगा. अगर ऐसा होता है कि तो उसका असर धरती पर कैसे पड़ेगा.

क्या ब्लैक होल में बदल जाएगा सूर्य, गुजर जाएंगी सदियां फिर भी शायद ना मिले जवाब

Sun as Black Hole:  ब्लैक होल के बारे में कहा जाता है कि यह सब कुछ अपने में समा लेता है. अगर आप ब्लैक होल (Black hole mystery) में गिरे तो उससे बाहर निकल पाना नामुमकिन है. इन सबके बीच बड़ा सवाल यह कि ये आखिर बनते कैसे हैं. दरअसल जब किसी तारे की मौत हो जाती है तो वो ब्लैक होल बन जाता है. अब जब बात तारे की हो रही है तो सवाल फिर यह कि सूर्य का क्या होगा. जैसा कि हम सब जानते हैं कि सूरज (sun converts in black hole) भी एक तारा है. क्या सूर्य की भी मौत होगी. ऐसा होने पर क्या सूरज भी ब्लैक होल में बदल जाएगा और यदि ऐसा संभव हुआ तो धरती (Earth Existence) का अस्तित्व बना रहेगा. इन सब सवालों के जवाबों को समझने की कोशिश करेंगे.

पांच बिलियन साल बाद सूरज के अस्तित्व पर ग्रहण

शोधकर्ताओं के मुताबिक करीब पांच बिलियन साल बाद सूरत अपने अस्तित्व को खो देगा यानी उसकी मौत हो जाएगी. अगर आप इसे ब्लैक होल(what is black hole) की परिभाषा के लिहाज से देखें तो सूरज भी ब्लैक होल में बदल जाएगा. इस तरह से सूरत के बाहरी सतह में फैलाव होगा और उसका असर धरती पर पड़ेगा. जब सूरत के कोर एरिया के विघटन की प्रक्रिया समाप्त हो जाएगी तो सूरज का आउटर सर्फेस ब्लैक होल में बदल जाएगा. इसका अर्थ यह होगा कि प्रकाश की किरण भी उससे बाहर नहीं निकल पाएगी. लेकिन इसका जवाब ना में है. यूके स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ ससेक्स के प्रोफेसर जेवियर कॉमेट के मुताबिक सूरज का द्रव्यमान(mass of sun) इतना अधिक नहीं है कि वो ब्लैक होल बन जाए.

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ऐसे बनते हैं ब्लैक होल

ब्लैक होल(Black Hole Conditions) बनने के लिए कुछ आवश्यक शर्त हैं जिन्हें तारों को पूरा करना होता है. संरचना, रोटेशन और किस तरह से सूरज बना है इसके बारे में भी समझना जरूरी है. ब्लैक होल बनने के लिए पर्याप्त द्रव्यमान का होना जरूरी होता है. ऐसे तारे जिनका द्रव्यमान सूरज के द्रव्यमान से करीब 20 से 25 गुना अधिक हो उनके ब्लैक होल बनने की संभावना अधिक होती है. इसे टोलमैन ओपेनहाइमर लिमिट कहा जाता है, अभी वैज्ञानिक सोचते हैं कि मरते हुआ तारा अपने पीछे स्टेलर कोर छोड़ जाता है जिसका द्रव्यमान सूरज से 2 से तीन गुना अधिक है. इसका अर्थ यह है कि अगर सूरज का मास वर्तमान द्रव्यमान 2 से तीन गुना अधिक हो तब जाकर ब्लैक होल बनने की संभावना बनती है.

जब किसी तारे का क्षरण कोर एरिया(star depeletion in core area) में होता है उस दशा में भी आउटर सर्फेस में हाइड्रोजन से हीलियम बनने की प्रक्रिया चलती रहती है. लिहाजा कोर एरिया के पूरी तरह से विघटन के बाद बाहरी सर्फेस में फैलाव होता है जिसे रेड जायंड फेज कहते हैं. जब 6 बिलियन साल बाद सूरज रेड जाएंट फेज(sun in red giant phase) की अवस्था में होगा उस समय कोर एरिया में हाइड्रोजन खत्म हो चुका होगा. इसका फैलाव मंगल की कक्षा तरफ होने लगेगा इसका असर यह हो सकता है कि आंतरिक ग्रहों को समा ले जिसमें धरती भी शामिल है.

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