Chocolate: क्या धब्बेदार सफेद हो चुकी चॉकलेट को खाना सेहत के लिए ठीक रहता है? जान लें क्या कहते हैं एक्सपर्ट
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Chocolate: क्या धब्बेदार सफेद हो चुकी चॉकलेट को खाना सेहत के लिए ठीक रहता है? जान लें क्या कहते हैं एक्सपर्ट

Is it safe to eat White Chocolate: क्या धीरे-धीरे ब्राउन कलर से धब्बेदार सफेद रंग में बदल रही चॉकलेट को खाना सेहत के लिए ठीक रहता है? इस मुद्दे पर एक्सपर्टों की बड़ी राय सामने आई है. आपको इस बारे में जरूर जानना चाहिए. 

Chocolate: क्या धब्बेदार सफेद हो चुकी चॉकलेट को खाना सेहत के लिए ठीक रहता है? जान लें क्या कहते हैं एक्सपर्ट

Process of Making Chocolate: चॉकलेट खाना अक्सर सभी को पसंद होता है. खासकर बच्चे तो चॉकलेट के लिए अक्सर मचल पड़ते हैं. कल्पना कीजिए कि आप घर में चॉकलेट (Dark Chocolate) का कोई डिब्बा लेकर आए हों और 2 दिन बाद आप उसे खोलकर देखते हैं तो 2-3 चॉकलेट का रंग डार्क ब्राउन से बदलकर धब्बेदार सफेद हो गया हो. ऐसे में क्या बदले रंग वाली उस चॉकलेट (White Chocolate) को खाना ठीक रहता है या नहीं. इस मुद्दे पर हुई रिसर्च में बड़ी जानकारी सामने आई है. 

Cacao Beans से होता है चॉकलेट का निर्माण

चॉकलेट (Dark Chocolate) निर्माण से जुड़े लोगों का कहना है कि चॉकलेट के रंग बदलने की वजह प्राकृतिक प्रतिक्रिया का परिणाम है, जिसे 'चॉकलेट ब्लूमिंग' कहा जाता है. चॉकलेट में यह प्राकृतिक प्रतिक्रिया क्यों होती है, इसे जानने के लिए हमें चॉकलेट निर्माण की प्रक्रिया के बारे में समझना होगा. एक्सपर्टों के मुताबिक चॉकलेट का निर्माण Cacao Beans से किया जाता है. इसके लिए Cacao Beans को भूनकर उनमें केमिकल और फ्लेवर मिलाए जाते हैं, जिससे वह स्वादिष्ट बन सके. 

अंदर भरा होता है सफेद मक्खन

चॉकलेट फैक्ट्री चलाने वाले Jason Vishnefske कहते हैं कि Cocoa Bean में लगभग 50 प्रतिशत मक्खन और 50 प्रतिशत फाइबर होता है. Cocoa Bean में मौजूद मक्खन उसका फैटी पार्ट होता है. यह चॉकलेट का अंदरुनी हिस्सा होता है. वहीं उसका फाइबर वाला पार्ट डार्क ब्राउन कलर का होता है. यह चॉकलेट का बाहरी हिस्सा होता है. 

Cocoa और Cacao Beans में आखिर अंतर क्या है. असल में पेड़, फली और बीन को संयुक्त रूप से Cacao कह दिया जाता है. जबकि Cocoa उस बीन को कहते हैं, जो भूनकर और उसमें रसायन मिलाने के बाद तैयार की जाती है.

बटर को दबा देती हैं बड़ी कंपनियां 

चॉकलेट (Dark Chocolate) निर्माण से जुड़ी सांता बारबरा बताती हैं कि बड़ी कंपनियां चॉकलेट में मौजूद कोकोआ मक्खन के स्तर को कम करके और उसमें वनस्पति तेल मिलाकर दबा देती हैं, जिससे वह जल्दी से चॉकलेट के बाहर नहीं आ पाता. हालांकि, ये मिलावट चॉकलेट के स्वाद को प्रभावित करती है. फिर भी चॉकलेट को जल्दी पिघलने से रोकने और उसे ज्यादा देर तक टिकाऊ रखने के लिए कंपनियां इस तरह के प्रयोग करती हैं. 

गर्मी मिलने पर पिघल जाता है बटर

वे कहती हैं कि चॉकलेट (Dark Chocolate) को हमेशा फ्रिज या ठंडी जगह में रखने की सलाह दी जाती है. इसकी वजह ये होती है कि खुले में रखने पर चॉकलेट के अंदर मौजूद सफेद रंग का बटर बाहर की ओर निकलने लगता है. इसकी वजह से डॉर्क ब्राउन चॉकलेट का रंग बदलकर धीरे-धीरे धब्बेदार सफेद या भूरे रंग (White Chocolate) का होने लगता है. इसकी वजह से कई लोग चॉकलेट को खराब समझकर फेंक देते हैं, जबकि यह एक प्राकृतिक प्रतिक्रिया होती है.

खा सकते हैं सफेद होती चॉकलेट 

वे कहती हैं कि अगर आपको चॉकलेट का रंग हल्का भूरा होता दिखाई दे तो आप उसे खा सकते हैं. इसका चॉकलेट की सेफ्टी से कोई संबंध नहीं होता. इससे शरीर को कोई साइड इफेक्ट्स नहीं होता. 

(ये स्टोरी आपने पढ़ी देश की सर्वश्रेष्ठ हिंदी वेबसाइट Zeenews.com/Hindi पर)

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