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Vishnu Katha: विष्णु पुराण में भगवान विष्णु के दो भक्तों जय और विजय की कथा का जिक्र किया गया है. जय और विजय नाम के दो भक्त थे. जय भगवान शंकर और विजय भगवान विष्णु के परम भक्त थे, जिन्हें भगवान विष्णु ने श्राप देकर गज और ग्राह बना दिया था. इस कहानी के चलते बिहार के हाजीपुर में कोनहारा घाट लोगों के बीच खूब प्रचलित है. बता दें कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन यहां पर भव्य मेले का आयोजन किया जाता है. यहां भगवान शिव और भगवान विष्णु का मंदिर साथ-साथ स्थित है. जानें इसके पीछे की प्रचलित कथा.
विष्णु जी के भक्तों मे हुआ था युद्ध
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार गंडक नदी में कोनहारा तट पर गज पानी पीने आया तो नदी में मौजूद ग्राह (मगरमच्छ) ने उसे मजबूत जबड़ों से जकड़ लिया. मगरमच्छ के जबड़ों से खुद को बचाने के लिए गज (हाथी) कई वर्षों तक लड़ता रहा. इस दौरान गज ने बहुत ही मार्मिक भाव से भगवान विष्णु को याद किया. ऐसे में अपने भक्त गज को ग्राह से बचाने के लिए भगवान विष्णु को सुदर्शन चक्र चलाना पड़ा.
कथा के अनुसार गज की पीड़ा और सच्ची प्रार्थना से भगवान विष्णु वहां उपस्थित हुए और उन्होंने अपना सुदर्शन चक्र चला दिया. इससे गज ग्राह के चुंगल से मुक्त हो गया और उसकी जान बच गई. मान्यता है कि भगवान विष्णु ने जिस दिन अपने भक्त की मदद की थी, वो दिन कार्तिक पूर्णिमा का दिन था. श्री हरि के इस कृतज्ञ से खुश होकर सभी देवी-देवता गंडक नदी के कोनहारा तट पर उपस्थित हुए और उनके जयकारे लगाने लगे.
जानें कैसे पड़ा इसका नाम हरिहर क्षेत्र
विष्णु पुराण में एक अन्य कथा का जिक्र भी मिलता है. जय और विजय दोनों सगे भाई थे. इनमें जय शिव भक्त और विजय भगवान विष्णु का सबसे बड़ा भक्त था. एक बार दोनों भाइयों में ईश्वर को लेकर झगड़ा हो गया. उनके इस भयंकर युद्ध को देखते हुए भगवान विष्णु ने उन्हें गज और ग्राह बनने का श्राप दिया. वहीं, हाथी और मगरमच्छ के रूप में जन्म लेने के बाद दोनों में मित्रता हो गई. इसके बाद से ही इस जगह भगवान शिव और भगवान विष्णु के मंदिर यहां साथ-साथ बनाए गए, दिस कारण इस जगह का नाम हरिहर क्षेत्र पड़ गया.
हर साल होता है भव्य मेले का आयोजन
ऐसी मान्यता है कि पौराणिक काल की इन स्मृतियों के चलते हर साल सोनपुर में कार्तिक पूर्णिमा के दिन भव्य मेले का आयोजन किया जाता है. कई धर्म शास्त्रों में आपको इस जगह का नाम पढ़ने का मिल जाएगा. यह स्थान काफी पवित्र माना गया है और इसी के चलते त्रेतायुग में जब भगवान राम यहां आए थे, तो उन्होंने बाबा हरिहरनाथ की पूजा-अर्चना की थी.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)