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Shivling Puja Rules: वेदव्यास द्वारा रचित शिव पुराण भगवान शिव की पूजा के नियम से जुड़ी कई चीजों का जिक्र किया गया है. शिव पुराण के 16 अध्याय में शिवलिंग पूजा के कुछ नियमों के बारे में बताया गया है. ऐसे में अगर इन नियमों को ध्यान में रखकर शिवलिंग पूजा की जाए, तो महादेव प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं.
सोमवार का दिन भोलेनाथ को समर्पित है. इस दिन विधिपूर्वक और नियमपूर्वक शिव जी की पूजा भक्तों के सभी दुख दूर करती हैं. वहीं, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. इस दिन भी भगवान शिव की कृपा पाने और उन्हें प्रसन्न करने के लिए शिवलिंग पूजा के नियमों को ध्यान रखना बेहद जरूरी है.
शिवलिंग पूजा के समय रखें इन बातों का ध्यान
यूं बनाएं मिट्टी के शिवलिंग
शिव पुराण के अनुसार अगर आप शिवलिंग या मिट्टी से बने किसी भी देवी-देवता की पूजा करते हैं, तो व्यक्ति को पुण्य फलों की प्राप्ति तो होती ही है. साथ ही, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. शिवपुराण के अनुसार मूर्ति बनाने के लिए किसी नदी, तालाब, कुएं आदि की मिट्टी का इस्तेमाल करना चाहिए. मिट्टी में दूध डालकर शिवलिंग या किसी भी देवी-देवता की मूर्ति बनाएं. इसके बाद पद्यासन करने के बाद ही शिवलिंग की पूजा करें.
इस नियम से करें पूजा
शिव पुराण में बताया गया है कि अगर नियमपूर्वक पूजा की जाए, तो भगवान शिव प्रशन्न होकर कृपा बरसाते हैं. शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव, माता पार्वती, भगवान सूर्य, भगवान विष्णु औक शिवलिंग की पूजा करने के बारे में बताया गया है. बताया गया है कि 16 उपचारों से की गई पूजा से साधक की मनोकामना जल्द पूरी होती है.
शिवलिंग पूजा के नियम
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शिवलिंग पूजा हमेशा बैठकर करनी चाहिए. शिवलिंग पर धीरे-धीरे जल अर्पित करना शुभ माना गया है. कुछ लोग तेज धार से जल अर्पित करते हैं, ऐसा बिल्कुल न करें. शिव पुराण के अनुसार शिवलिंग की जलहरी में कभी भी पूजा का सामान नहीं रखा चाहिए और न ही परिक्रमा करते समय जलहरी को डांकना चाहिए.
शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग की हमेशा आधी परिक्रमा ही की जाती है. मान्यता है कि उत्तर दिशा की ओर मुंह करके शिवलिंग की पूजा करना शुभ होता है. इसके अलावा शिवलिंग की पूजा करते समय और जल अर्पित करते समय ॐ पार्वतीपतये नम:॥ ॐ पशुपतये नम:॥ ॐ नम: शिवाय शुभं शुभं कुरू कुरू शिवाय नम: ॐ का जाप करना चाहिए.
इसके अलावा, धातु से बने शिवलिंग पर अर्पित किए प्रसाद को खाया जा सकता है. बता दें कि जैसे पारद, चांदी, तांबे, पीतल से बने शिवलिंग की पूजा करने के दौरान चढ़ाया गया प्रसाद शिव जी का अंश माना जाता है. इसलिए इसे ग्रहण किया जा सकता है.
शिवलिंग अभिषेक का महत्व
शिव पुराण के अनुसार जीवन-मृत्यु के बंधन से मुक्ति पाने के लिए विधिपूर्वक शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए. गाय के दूध, दही और घी को शहद और चीनी के साथ मिलाकर पंचामृत बना लें और इस पंचामृत को अर्पित करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. दूध और अनाज को मिलाकर प्रसाद तैयार करने और प्रणव मंत्र 'ॐ' का जाप करते हुए भगवान शिव को अर्पित करने पुण्य फलों की प्राप्ति होती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)