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Shivling of Tilbhandeshwar Temple: हिंदू धर्म में सावन के महीने को सबसे खास और महत्वपूर्ण माना गया है. भगवान शिव को समर्पित यह महीना भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करता है. बता दें कि देश और दुनिया में ऐसे कई शिवलिंग हैं जिनकी अपनी अलग रोचक कहानियां और रहस्य हैं. इन्हीं में से काशि के केदार खण्ड में विराजे तिलभांडेश्वर महादेव की शिवलिंग की भी एक अनोखी कहानी है.
दरअसल इस शिवलिंग को लेकर लोगों का मानना है कि यह हर साल एक तिल के समान बढ़ती जा रही है. धार्मिक मान्यताओं की मानें तो यह शिवलिंग सतयुग का है जो कलयुग में भी बढ़ रहा है. आइए विस्तार में शिवलिंग के बढ़ने की पीछे के रहस्य और इसके महत्व के बारे में जानें.
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जानें तिलभांडेश्वर महादेव की खासियत
बता दें कि तिलभांडेश्वर महादेव की इस शिवलिंग में नौ ग्रहों और 27 नक्षत विराजमान हैं. यही कारण है कि सावन महीने में जल अभिषेक करने के लिए यहां भक्तों का सैलाब उमड़ता है. दरअसल ऐसा करने से भक्तों को सभी तरह के ग्रहों की शांति प्राप्त होती है. इतना ही नहीं जलाभिषेक से भैरवी यातना से भी मुक्ति मिलती है.
तिलभांडेश्वर स्वयभूं शिवलिंग के बढ़ने की सच्ची कहानी
तिलभांडेश्वर स्वयभूं की शिवलिंग के बढ़ने की असली कहानी यह है कि विभांडा ऋषि इसी जगह तप करते थे. उन्होंने वहां एक घड़ा रखा हुआ था, जिसमें वह तप के दौरान तिल डालते थे. एक बार घड़ा जब नीचे गिर गया तो उसमें रखे तिल से शिवलिंग की उत्पत्ति हुई. यही कारण है कि इसे तिलभांडेश्वर के नाम जानते हैं और इसी वजह से हर साल इसका आकार तिल के बराबर बढ़ता है.
तिलभांडेश्वर में भक्तों की मनोकामना होती है पूरी
काशि के तिलभांडेश्वर में जलाभिषेक से भक्तों की सभी मुरादें पूरी होती हैं. यही वजह है कि सावन के महीने में भक्तों का सैलाब यहां उमड़ पड़ता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)