Kundali Dosh: अगर भरपूर मेहनत के बावजूद आपको उसका उचित प्रतिफल नहीं मिल रहा है तो इसके पीछे कुंडली दोष हो सकता है. इस प्रकार के 6 दोषों और उनके उपाय के बारे में आज आपको जानना चाहिए.
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Kundali Dosh ke Prakar: सनातन धर्म (Hindu Dharma) में जीवन में सफल होने के लिए मेहनत को सबसे जरूरी तत्व बताया गया है. कहा गया है कि मेहनत के बिना जिंदगी में कोई भी काम नहीं किया जा सकता. इसके साथ व्यक्ति की कुंडली की अहमियत के बारे में भी बात की गई है. किसी व्यक्ति के जन्म, तारीख और स्थान के आधार पर उसकी कुंडली का निर्माण होता है. कहते हैं कि अगर भरपूर मेहनत के बावजूद कोई व्यक्ति जीवन में सफल नहीं हो रहा तो इसके पीछे उसका कुंडली दोष हो सकता है. पौराणिक ग्रंथों में इस तरह के 6 कुंडली दोषों (Kundali Dosh) का वर्णन किया गया है, जिनकी वजह से इंसान को हर समय परेशानियां झेलनी पड़ती हैं. आइए जानते हैं कि वे 6 कुंडली दोष कौन से हैं.
जानें कुंडली के 6 दोष
पितृ दोष (Pitra Dosh)
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर किसी व्यक्ति की कुंडली के नौवें भाव में बुध, शुक्र या राहु विद्यमान होता है, तो उसे पितृ दोष का सामना करना पड़ता है. कुंडली के 10वें भाव में गुरु के होने से भी उसे पितृ दोष लगता है. अगर सूर्य पर राहु-केतु या शनि की कुदृष्टि हो तो भी व्यक्ति पर कुंडली दोष लगता है.
गुरु चांडाल दोष (Guru Chandal Dosh)
अगर किसी व्यक्ति की कुंडली के किसी भी भाव में राहु के साथ बृहस्पति भी मौजूद हो तो गुरु चांडाल दोष लग जाता है. इस दोष की वजह से जातक को जिंदगी में कई परेशानियां झेलनी पड़ती हैं. इसके उपाय के लिए गुरुवार को राहु नक्षत्र में राहु के मंत्रों का जाप करना चाहिए.
केन्द्राधिपति दोष (Kendradhipati Dosh)
जिस जातक की कुंडली में पहला, सातवां और दसवां भाव होता है, उसे केंद्राधिपति दोष होता है. धनु और मीन राशि के पहले, चौथे, सातवें और दसवें भाव में बुध होने से भी यह दोष बन जाता है. वहीं कन्या और मिथुन राशि के जातकों की कुंडली में बृहस्पति ग्रह के चौथे, सातवें और दसवें भाव में आने से भी इसका निर्माण होता है.
विष दोष (Vish Dosh)
इस कुंडली का निर्माण शनि और चंद्र के एक साथ किसी भी भाव में बैठे होने की वजह से होता है. इस विष दोष को दूर करने के लिए जातक को नागपंचमी पर व्रत करना चाहिए और नागदेवता से इस दोष से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना करनी चाहिए.
मंगल दोष (Mangala Dosh)
ज्योतिष शास्त्रियों के अनुसार जातक की कुंडली में अगर मंगल लग्न चौथे, सातवें, आठवें और 12वें भाव में होता है तो उसे मंगल दोष लग जाता है. यह दोष लगने की वजह से जातक की शादी में बाधाएं आती हैं. साथ ही उसे गृह क्लेश का भी सामना करना पड़ता है.
कालसर्प दोष (Kaal Sarp Dosh)
मान्यता है कि अगर जन्म के समय सारे ग्रह एक और हों और सामने राहु-केतु हों तो कुंडली में कालसर्प दोष लग जाता है. यह जन्म के वक्त ग्रहों की दशा के कारण उत्पन्न होता है. यह दोष निर्मित होने से जातक को हर काम में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, जिसके लिए विशेष उपाय करने की जरूरत होती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)