Xi Jinping: चीन के खिलाफ शीत युद्ध भड़काने की साजिश, किसके लिए बोले शी जिनपिंग?
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Xi Jinping: चीन के खिलाफ शीत युद्ध भड़काने की साजिश, किसके लिए बोले शी जिनपिंग?

SCO Online summit: एससीओ मीटिंग की अध्यक्षता पीएम मोदी (PM Modi) कर रहे थे. अपने भाषण में प्रधानमंत्री मोदी आतंकियों के मददगारों पर सीधा हमला बोला तब शी जिनपिंग और शहबाज शरीफ दोनों उन्हें बड़े ध्यान से सुन रहे थे. जब चीन की बारी आई तो चीनी राष्ट्रपति अपने ही मंच पर अपने खिलाफ हो रही अज्ञात साजिश का रोना रोने लगे.

Xi Jinping: चीन के खिलाफ शीत युद्ध भड़काने की साजिश, किसके लिए बोले शी जिनपिंग?

Xi Jinping PM Modi: चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने क्षेत्र में एक नया ‘शीत युद्ध’ भड़काने के बाहरी प्रयासों के खिलाफ मंगलवार को आगाह किया तथा शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के सदस्य देशों से आतंकवाद के खिलाफ एकजुट कार्रवाई के साथ क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने का आह्वान किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) की अध्यक्षता में हुई एससीओ के शासनाध्यक्षों की परिषद की 23वीं बैठक को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए जिनपिंग ने सदस्य देशों से एक-दूसरे के मूल हितों और प्रमुख चिंताओं का ‘वास्तव में सम्मान’ करने का आग्रह किया.

अपने ही मंच पर बेबस दिखा चीन?

पीएम मोदी मंच की अध्यक्षता कर रहे थे. पूरी दुनिया उन्हें ध्यान से सुन रही थी. लेकिन चीनी राष्ट्रपति मानो अपने ही मंच पर सबसे कमजोर, बेबस और लाचार नजर आए क्योंकि अपने भाषण के दौरान शी जिनपिंग ने अमेरिका की परोक्ष रूप से आलोचना करते हुए आधिपत्यवाद और ‘ताकत की राजनीति’ का विरोध करने और वैश्विक शासन व्यवस्था को निष्पक्ष तथा अधिक न्यायसंगत बनाने का भी आह्वान किया. चीनी राष्ट्रपति ने कहा, ‘हमें अपने क्षेत्र के समग्र और दीर्घकालिक हितों को ध्यान में रखना चाहिए और अपनी विदेश नीतियां स्वतंत्र रूप से बनानी चाहिए. हमें अपने क्षेत्र में एक नए शीत युद्ध या गुटबंदी-आधारित टकराव को बढ़ावा देने के बाहरी प्रयासों के खिलाफ अत्यधिक सतर्क रहना चाहिए.’

'पीएम मोदी की बात ध्यान से सुन रहे थे ये नेता'

बैठक में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी सहित अन्य शामिल हुए. अमेरिका के साथ चीन के तनाव भरे संबंधों के बीच शी ने कहा, ‘हमें अपने आंतरिक मामलों में किसी भी हस्तक्षेप और किसी भी बहाने से किसी भी देश द्वारा प्रदर्शन को उकसावे को दृढ़ता से अस्वीकार करना चाहिए. हमारे विकास का भविष्य मजबूती से हमारे ही हाथों में होना चाहिए.’

उन्होंने बहुपक्षीयता को बरकरार रखने और वैश्विक प्रशासन को बेहतर बनाने के लिए प्रयास करने के महत्व को रेखांकित किया. शी ने क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा एससीओ देशों के बीच आदान प्रदान एवं लोगों के बीच सम्पर्क बढ़ाने के लिए प्रयास करने पर भी जोर दिया.

राष्ट्रपति ने कहा कि चीन बातचीत और परामर्श के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय विवादों के निपटारे को बढ़ावा देने के लिए उनके द्वारा प्रस्तावित वैश्विक सुरक्षा पहल (जीएसआई) को लागू करने के लिए सभी पक्षों के साथ काम करने को तैयार है.

शी ने यह भी कहा, ‘हमें अपने कानून प्रवर्तन और सुरक्षा सहयोग के लिए तंत्र को मजबूत करने तथा डिजिटल, जैविक और बाहरी अंतरिक्ष सुरक्षा सहित गैर-पारंपरिक सुरक्षा क्षेत्रों में सहयोग का विस्तार करने के लिए तेजी से आगे बढ़ना चाहिए.’

तालिबान शासित अफगानिस्तान पर शी ने कहा कि एससीओ देशों को अफगानिस्तान के पड़ोसियों के बीच समन्वय और सहयोग के तंत्र जैसे मंच का उपयोग जारी रखना चाहिए.

शी ने कहा, ‘हमें रणनीतिक संचार और समन्वय को बढ़ाना चाहिए, बातचीत के माध्यम से मतभेदों को दूर करना चाहिए और प्रतिस्पर्धा को सहयोग से बदलना चाहिए. हमें वास्तव में एक-दूसरे के मूल हितों और प्रमुख चिंताओं का सम्मान करना चाहिए तथा विकास और कायाकल्प के लिए एक-दूसरे के प्रयासों का दृढ़ता से समर्थन करना चाहिए.’

शी की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब भारतीय और चीनी सैनिक पूर्वी लद्दाख में गतिरोध के कुछ बिंदुओं पर तीन साल से अधिक समय से आमने-सामने हैं.

भारत ने चीन को यह स्पष्ट कर दिया है कि जब तक सीमावर्ती इलाकों में शांति नहीं होगी, दोनों देशों के बीच संबंध आगे नहीं बढ़ सकते.

सरकारी ‘शिन्हुआ’ समाचार एजेंसी के अनुसार, शी ने एससीओ सदस्य देशों से देशों को जोड़ने एवं सम्पर्क बढ़ाने के लिए अरबों डालर की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) परियोजना के तहत विभिन्न देशों की विकास रणनीति एवं क्षेत्रीय सहयोग पहल के जरिये उच्च गुणवत्तापूर्ण सहयोग की वकालत की.

राष्ट्रपति शी ने 2013 में सत्ता में आने के बाद बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) की शुरूआत की थी. इसका मकसद भूमि और समुद्र मार्ग के माध्यम से दक्षिण पूर्व एशिया, पश्चिम एशिया, खाड़ी क्षेत्र, अफ्रीका और यूरोप को जोड़ना है.

बीआरआई के तहत ही 60 अरब डालर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे की शुरूआत की गई है. भारत ने इस पर गंभीर आपत्ति दर्ज कराई है क्योंकि यह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरता है.

भारत की अध्यक्षता में डिजिटल माध्यम से आयोजित इस बैठक में रूस, चीन, पाकिस्तान के अलावा कजाकिस्तान, किर्गिजिस्तान, तजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान और ईरान के नेताओं ने हिस्सा लिया.

(इनपुट: भाषा)

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