China: भारत के ऐक्शन पर तिलमिलाया चीन, अब समंदर में रच रहा साजिश, ऐसे खुली ड्रैगन की पोल
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China: भारत के ऐक्शन पर तिलमिलाया चीन, अब समंदर में रच रहा साजिश, ऐसे खुली ड्रैगन की पोल

China News: चीन नई दिल्ली के प्रभाव का मुकाबला करने के लिए हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति बढ़ा रहा है. तवांग झड़प के बाद चीन बौखलाया हुआ है.

China: भारत के ऐक्शन पर तिलमिलाया चीन, अब समंदर में रच रहा साजिश, ऐसे खुली ड्रैगन की पोल

Tawang Clash: भारत से अरुणाचल प्रदेश के तवांग में पटखनी खाने के बाद चीन बौखलाया हुआ है. वह किसी भी तरह अपना साबित करना चाहता है कि उसका प्रभाव भारत से सटे इलाकों में बना हुआ है. तवांग में चीन की कायराना हरकत के बाद सामने आई एक रिपोर्ट में डैगन की नई साजिश का खुलासा हुआ है. मिजिमा न्यूज ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि चीन हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति बढ़ा रहा है.

चीन हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में अपनी उपस्थिति बढ़ाने के लिए आईओआर देशों विशेष रूप से दक्षिण एशिया में बंदरगाहों और बुनियादी ढांचे में निवेश करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि यह चीन द्वारा हिंद महासागर क्षेत्र फोरम बीजिंग द्वारा कुछ खोई हुई जमीन को फिर से पाने का एक स्पष्ट प्रयास है.

चीन अंतर्राष्ट्रीय विकास सहयोग एजेंसी (CIDCA) के अध्यक्ष लुओ झाओहुई ने कहा कि हिंद महासागर एशिया, अफ्रीका और ओशिनिया को जोड़ता है. यह एक महत्वपूर्ण मार्ग के रूप में कार्य करता है, जो चीन और क्षेत्र के अन्य देशों को दुनिया के बाकी हिस्सों से जोड़ता है.

झाओहुई भारत में चीन के पूर्व राजदूत भी हैं. उन्होंने कहा कि कि नीली अर्थव्यवस्था को विकसित करने के लिए चीन हिंद महासागर के देशों के साथ सहयोग को मजबूत करेगा और क्षेत्र में वैश्विक विकास पहल के कार्यान्वयन को आगे बढ़ाएगा. बैठक में 17 देशों और तीन अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों ने वर्चुअली हिस्सा लिया. बीजिंग ने यह भी दावा किया कि भारत को भी इस मंच पर आमंत्रित किया गया था, लेकिन बैठक में देश से कोई प्रतिनिधि नहीं था.

मिजिमा न्यूज के मुताबिक, इस क्षेत्र पर हावी होना चीन के लिए आसान काम नहीं होगा क्योंकि इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क जैसी कई पहलों के जरिए अमेरिका इस क्षेत्र में खुद को करीब से एकीकृत करने की कोशिश कर रहा है. ऐसे में चीन को अपने पड़ोसियों और क्षेत्र में छोटे देशों को लुभाने के अपने दृष्टिकोण पर पुनर्विचार करने की जरूरत होगी.

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(एजेंसी इनपुट के साथ)

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