China पर इस 'महाविनाशक' बम के फूटने का खतरा, पूरी तरह बर्बाद हो जाएगा 'ड्रैगन'!
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China पर इस 'महाविनाशक' बम के फूटने का खतरा, पूरी तरह बर्बाद हो जाएगा 'ड्रैगन'!

China News: दुनिया में कटोरा लेकर भीख मांग रहा पाकिस्तान (Pakistan) भले ही पाई पाई का मोहताज हो, इसके बावजूद अपने 'जिगरी' चीन (China) के दम पर वो बड़ी-बड़ी डींगे हाकता है. पर एक कहावत है कि बकरे की मां भला कब तक खैर मनाएगी क्योंकि चीन के बुरे दिन शुरू हो गए हैं. जिसका सबूत 'मोर डेड देन अलाइव' कैंपेन है.

चीन की हालत खस्ता हो रही है... (सांकेतिक फोटो)

China financial crisis: चीन की अंदरूनी हालत डांवाडोल हो रही है. हालात ऐसे हैं कि युवा सड़कों पर अजीबोगरीब प्रदर्शन कर रहे हैं. बीते कुछ दिनों से चीनी सोशल मीडिया पर देश के बेरोजगार ग्रेजुएट युवा और युवतियां अपनी डिग्रियों और ग्रेजुएशन गाउन के साथ ऐसी ऐसी तस्वीरें पोस्ट कर रहे हैं, जिससे न सिर्फ चीन की किरकिरी हो रही है बल्कि उसके सुपरपावर बनने की ओर बढ़ने के दावों की पोल खुल गई है. इसे लोग राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) की नाकामी बता रहे हैं. नौकरी की तलाश में चीनी युवा डिप्रेशन का शिकार होने से बचने के लिए अध्यात्मिक शक्ति की तलाश में मंदिर जाने लगे हैं तो दूसरी ओर बीजिंग की सत्ता को हिलाने और झुकाने की ताकत रखने वाले युवा 'मोर डेड देन अलाइव कैंपेन' (more dead than alive) कैंपेन चला रहे हैं. 

'बिना काम के मर जाना अच्छा'

'CNN' की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन में शहरी बेरोजगारी (Unemployment) की दर करीब 21% हो गई है. यहां हर पांचवां शख्स बेरोजगार है. एक रिपोर्ट के मुताबिक देश के 16 करोड़ युवाओं को भुखमरी जैसे हालात से बचने के लिए जल्द से जल्द नौकरी की तलाश है. बीजिंग की सत्ता में बैठे लोग युवाओं को नौकरी देने में नाकाम रहे हैं. डिग्री धारी और स्किल्ड बेरोजगारों का आंकड़ा अप्रत्याशित रूप से बढ़ा है. सरकार के कानों में जू तक नहीं रेंग रही है. इसलिए राष्ट्रपति शी जिनपिंग तक अपनी बात पहुंचाने के लिए युवा जो अभियान चला रहे हैं उसका नाम 'मोर डेड देन अलाइव' है. इन युवाओं का कहना है कि बिना काम के मर जाना अच्छा है.

चीन पर इस 'बम' के फूटने का खतरा

चीन में 35 साल की उम्र पार कर चुके युवाओं का जोश भले ही ठंडा पड़ गया हो. लेकिन करोड़ों नए ग्रेजुएट्स ने जो अभियान चलाया है उससे शी जिनपिंग और चीन की माली हालत खस्ता होने से जोड़ कर देखा जा रहा है. इस गर्मी के सीजन में रिकॉर्ड 12 मिलियन कॉलेज छात्रों यानी एक करोड़ दो लाख नए ग्रेजुएट्स नौकरी की तलाश कर रहे हैं, लेकिन उनकी संभावनाएं धूमिल होती दिख रही हैं. शहरी युवा बेरोजगारी रिकॉर्ड स्तर पर है, ऐसे में नए एक करोड़ से ज्यादा नए ग्रेजुएट्स के मार्केट में उतरने से नई नौकरी की चाहत रखने वालों में जबरदस्त प्रतिस्पर्धा बढ़ जाएगी. युवाओं की इस मुहिम से सरकार को नया खतरा पैदा हो गया है. चीन पर अगर नए युवा ग्रेजुएट छात्रों का 'बेरोजगारी बम' फूटा तो चीन के लिए बहुत मुश्किल हो जाएगी.

खोखला है ड्रैगन-खस्ता है चीन की हालत?

कोरोना महामारी फिर जीरो कोविड पॉलिसी का असर ऐसा पड़ा है कि चीन की अर्थव्यवस्था में सुस्ती आ गई है. चीन के आर्थिक मंदी की चपेट में आने का खतरा बढ़ गया है. ऐसे में बेरोजगारी बम कभी भी शी जिनपिंग के ऊपर फूट सकता है. चीन में 80 फीसदी रोजगार प्राइवेट सेक्टर मुहैया कराता है और वो तकनीक और शिक्षा जैसे कई सेक्टरों के औंधे मुंह गिरे होने की वजह से कराह रहा है. ये दो सेक्टर आम तौर पर बड़ी संख्या में स्नातक छात्रों को आकर्षित करते हैं. ऐसे में अगली तिमाही तक हालात नहीं सुधरे और चीनी युवा नौकरी के लिए बगावत पर उतर आए तो चीन में 'गृहयुद्ध' का खतरा पैदा हो सकता है. ऐसे हालातों में चीन की अर्थव्यवस्था भी कभी भी धूल चाटते हुए नजर आ जाए तो ये कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी.

क्या है 'मोर डेड देन अलाइव' कैंपेन?

'मोर डेड देन अलाइव' कैंपेन को आगे बढ़ा रहे छात्र अपने ग्रेजुएट गाउन में जमीन पर सिर झुकाए बैठ कर फोटो खिचा रहे हैं, तो कोई पार्क की चेयर पर अजीब से आसन की मुद्रा में बैठकर फोटो क्लिक कराने के बाद उसे सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रहा है. तो कोई अपनी थीसिस को डस्टबिन में फेकने का नाटक कर रहा है. ऐसी तस्वीरें लाखों छात्रों की हताशा और निराशा को दिखा रही हैं जो गलाकाट कंपटीशन वाले एजुकेशन सिस्टम से जूझते हुए डिग्री लेने के बाद नौकरी की तलाश में खुद को हताश और निराश महसूस कर रहे हैं.

ऐसी ही एक न्यूली ग्रेजुएट छात्रा ने चीनी ऐप ज़ियाओहोंगशु पर जमीन पर अपनी ग्रेजुएशन कैप और थीसिस पैकेट को थामते हुए अपनी फोटो का कैप्शन दिया  'यह मास्टर डिग्री...आखिरकार...पूरी हो गई.'

एक्सपर्ट्स की राय

चीन में अभिव्यक्ति की आजादी नहीं है फिर भी चीनी सोशल मीडिया इस कैंपेन की तस्वीरों से पटा है. ये तस्वीरें 'ड्रैगन' को मुंह चिढ़ा रही है. कोरोना महामारी के बाद आंकड़ों की बाजीगरी के जरिए चीनी अर्थव्यवस्था के मजबूत होने के दावे खोखले लग रहे हैं और 'शाइनिंग चाइना' नाम के गुब्बारे की हवा निकल चुकी है.

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