Simran Gupta: मॉडलिंग छोड़कर चाय की दुकान लगा रही सेलिब्रेटी, इन मजबूरियों में छूटा ग्लैमर वर्ल्ड
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Simran Gupta: मॉडलिंग छोड़कर चाय की दुकान लगा रही सेलिब्रेटी, इन मजबूरियों में छूटा ग्लैमर वर्ल्ड

Simran Gupta Trending Story Gorakhpur: सिमरन, मिस गोरखपुर समेत कई ब्यूटी खिताब जीत चुकी हैं. उन्होंने कई मशहूर विज्ञापनों में भी काम किया है लेकिन उनकी जिंदगी में एक दिन अचानक ऐसा ट्विस्ट आया कि उन्हें कैटवॉक और मॉडलिंग की दुनिया को एक झटके में छोड़ना पड़ गया.

पूर्व मिस गोरखपुर और मॉडल सिमरन गुप्ता

Model turned Chaiwali Simran Gupta: एक मशहूर शेर है मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है. पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है. गोरखपुर की रहने वाली सिमरन गुप्ता पर यह लाइनें पूरी तरह फिट बैठती है. सिमरन मिस गोरखपुर का खिताब जीत चुकी हैं. उन्होंने कई विज्ञापनों में भी काम किया. लेकिन परिवार को सहारा देने के लिए वो फिलहाल टी स्टॉल लगा रही हैं. वो अब इस काम को भी पूरी लगन और मेहनत के साथ कर रही हैं. उन्हें पूरा यकीन है कि एक दिन वो अपने सपनों के आसमान को छू लेंगी.

कभी थी सेलिब्रेटी अब बनी चायवाली

गोरखपुर में सड़क के किनारे चाय का स्टॉल चलाने वाली इस लड़की को देखकर शायद आप ये नहीं सोच पाएंगे कि सिर्फ चार साल पहले ये एक सेलिब्रिटी थी. 2018 में सिमरन गुप्ता के सिर पर मिस गोरखपुर का ताज सजा था. तब वो नई पीढ़ी के लिए एक रोल मॉडल थीं. सिमरन आज भी रोल मॉडल हैं. वो मॉडल चायवाली के नाम से अपना टी स्टॉल चलाती हैं ताकि उनके दिव्यांग भाई का इलाज हो सके.

अचानक छोड़नी पड़ी सपनों की दुनिया

सिमरन संघर्ष और अटूट हौसले के दम पर अपनी मंजिल तक पहुंचने के जज्बे की मिसाल बन गई हैं. सिमरन गोरखपुर के सूर्यकुंड की रहने वाली हैं. उनके पिता राजेंद्र कुमार गुप्ता प्राइवेट नौकरी कर परिवार का खर्च चलाते हैं. सिमरन का भाई दिव्यांग है. ग्रेजुएशन करने के बाद सिमरन गुप्ता ने मिस गोरखपुर प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और उन्होंने ये खिताब हासिल कर लिया. इसके बाद उनके सपनों और करियर को भी पंख लग गए. सिमरन ने कई विज्ञापनों में भी काम किया. लेकिन इसके बाद उनके जीवन में कोरोना ग्रहण बनकर आया. 

घर बिका और पड़ गए रोटी के लाले

उन्हें मॉडलिंग का काम मिलना बंद हो गया. भाई की बीमारी की वजह से परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी खराब हुई कि घर भी बिक गया. परिवार किराए के घर में रहने लगा. सिमरन ने एक जगह कॉन्ट्रैक्ट पर नौकरी भी की, लेकिन कई महीने तक सैलरी नहीं मिली. इसके बाद सिमरन ने चाय का स्टॉल लगाना शुरू कर दिया.

महीने में 75000 कमा लेती हैं सिमरन

सुबह से शाम तक सिमरन हर रोज करीब 250-300 कप चाय बेचती हैं. इन पैसों से वो अपने दिव्यांग भाई का इलाज करवाती हैं. परिवार की मदद करती हैं. सिमरन कहती हैं कि कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता है. किसी भी काम को लगन और मेहनत से किया जाए तो कामयाबी के आसमान को छुआ जा सकता है. टी स्टॉल चलाते हुए सिमरन ने अपने मॉडलिंग के ख्वाब को छोड़ा नहीं है. उन्हें यकीन है एक दिन उनके सपने जरूर पूरे होंगे.

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