Vegan Leather: केरल स्थित एक कंपनी ने नारियल पानी का इस्तेमाल करके टेक्सचर्ड और वॉटरप्रूफ प्लैदर बनाया है, जिसे साल 2018 में लॉन्च किया गया. इसका उपयोग अब बैग, पाउच, पर्स और जूते बनाने के लिए किया जाता है.
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Vegan Leather: दुनिया भर में बहुत से लोग वीगन डाइट की ओर रुख कर रहे हैं. ऐसे में एक दक्षिण भारतीय कंपनी ने वीगन लैदर की पेशकश की है. अब तक पारंपरिक चमड़े को ही देखते और इस्तेमाल करते आ रहे है. ऐसे में यह एक नई पहल है. केरल स्थित कंपनी मलाई बायोमटेरियल्स डिज़ाइन प्राइवेट लिमिटेड (Malai Biomaterials Design Private Limited) एक बायो-कॉम्पोजिट मैटेरियल (Bio-Composite Material) बनाया है जो लेदर की तरह दिखता है. आइए जानते हैं इस किस तरह से तैयार किया गया है ये लेदर...
यह वीगन लैदर मलाई स्लोवाकिया की एक मैटेरियल रिसर्चर, फैशन डिजाइनर ज़ुज़ाना गोम्बोसोवा, केरल के एक प्रोडक्ट डिजाइनर और मेकर सुस्मित सी एस के दिमाग की उपज है. अब केरल के एक नए बिजनेस पार्टनर अकील सैत और गोम्बोसोवा कंपनी के हेड हैं.
ऐसे शुरू हुई मलाई के बनने की कहानी
सुस्मिथ और ज़ुज़ाना दोनों को ही हर रोज प्लास्टिक की चीजों के संपर्क और उनके इस्तेमाल से एक अजीब से घुटन महसूस होने लगी थी. दोनों ही हेल्दी और प्राकृतिक मैटेरियल के साथ काम करना चाहते थे. ज़ुज़ाना ने बैक्टीरियल सेलुलोज पर कई वर्षों तक स्टडी की. वह इसकी निर्माण प्रक्रिया, व्यवहार, गुणों और क्षमता से प्रभावित थी.
फिलीपींस में फूड और फैशन इंडस्ट्री में कुछ जगहों पर नारियल के बैक्टीरिया का उपयोग कैसे किया जा रहा है, इस पर स्टडी करना शुरू किया, लेकिन यूके में उनके पास ज्यादा ऑप्शन अवेलेबल नहीं थे. ऐसे में सुस्मित से मिलकर ज़ुज़ाना केरल पहुंची, जहां उन्होंने नारियल पानी में बैक्टीरियल सेलूलोज़ के साथ प्रयोग करना शुरू किया और यही मलाई के निर्माण का कारण बना.
ऐसे बनता है वीगन लेदर
कंपोस्टेबल है यह वीगन लेदर मलाई का प्लैदर बायोडिग्रेडेबल और कम्पोस्टेबल है. केरल में एक नारियल प्रोसेसिंग यूनिट से नारियल पानी को जीवाणुरहित करते हैं, फिर बैक्टिरीयल कल्चर को उस पर फीड किया जाता है. फर्मेंटेशन के बाद सेलूलोज़ जेली की एक शीट बनती है, जिसे काटकर रिफाइन किया जाता है. इसके बाद प्राकृतिक रेशों, रेजिन और गोंद के साथ प्रबलित किया जाता है.
इस तरह प्रबलन प्रक्रिया द्वारा इसे तनाव में भी मजबूती प्रदान की जाती है. इससे मिलने वाला मैटेरियल फ्लेक्सिबल होती है जिसे शीट्स में ढाला जाता है और कुछ मामलों में रंगा जाता है, और उसके बाद सामान में तैयार किया जाता है. कंपनी बेकार नारियल, केले के तने, सिसाल के रेशे और सन के रेशों का भी इस्तेमाल प्रोडक्ट्स बनाने में करती हैं.
कई वर्षों तक टिकेंगे उत्पाद
मलाई के प्रोडक्ट्स की सबसे अच्छी बात यह है कि अगर आप इसका निपटान करना चाहते हैं, तो इस उत्पाद को आप अपने कंपोस्टेबल कचरे के साथ रख सकते हैं. यह स्वाभाविक रूप से बायोडिग्रेड हो जाएगा.
मिल चुके हैं कई पुरस्कार
लंदन डिजाइन वीक और प्राग डिजाइन वीक जैसे प्लेटफार्मों पर प्रदर्शन ने मलाई को बहुत एक्सपोजर दिया है. इतनी ही नहीं कंपनी को एले डेकोर डिज़ाइन अवॉर्ड, ग्रैंड चेक डिज़ाइन और सर्कुलर डिज़ाइन चैलेंज जैसे कई अवॉर्ड्स मिल चुके हैं. मलाई से अब भारत में रीति, यूके स्थित एथिकल लिविंग और जर्मनी में लकी नेली जैसे ब्रांड्स भी प्लैदर खरीद रही हैं.