कक्षा 12वीं में फेल होने पर जिसे कहा गया जीरो, उसने पास की UPSC सिविल सेवा परीक्षा
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कक्षा 12वीं में फेल होने पर जिसे कहा गया जीरो, उसने पास की UPSC सिविल सेवा परीक्षा

IAS Success Story: सैयद रियाज अहमद की कहानी उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा है, जो मामूली सी असफलता से ही परेशान हो जाते हैं. बता दें सैयद ना केवल कक्षा 12वीं में फेल हुए थे बल्कि यूपीएससी की परीक्षा के दौरान भी वे परीक्षा पास करने में चार बार असफल रहे थे. इसके बावजूद उन्हें खुद पर भरोसा था, जिस कारण उन्होंने अगले ही प्रयास में यह परीक्षा पास कर डाली.

कक्षा 12वीं में फेल होने पर जिसे कहा गया जीरो, उसने पास की UPSC सिविल सेवा परीक्षा

नई दिल्ली: IAS Success Story: लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती. आपने सोहनलाल द्विवेदी की कविता की यह पंक्ति तो जरूर पढ़ी होगी. जीवन में यह जरूरी नहीं होता कि आप अपना लक्ष्य हासिल कर पाए या नहीं, जरूरी यह है कि आपने उस लक्ष्य को हासिल करने के लिए कितना प्रयास किया. आज हम आपको महाराष्ट्र के सैयद रियाज अहमद की ऐसी ही एक कहानी बताने जा रहा हैं, जिन्हें जिंदगी में कई बार असफलताओं का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रयास करना नहीं छोड़ा. अपने निरंतक प्रयासों के कारण ही सैयद ने यूपीएससी जैसी कठिन परीक्षा पास कर डाली और आईएएस अधिकारी बन गए.

बता दें कि सैयद बचपन से ही पढ़ाई लिखाई में काफी कमजोर थे. यहां तक कि कक्षा 12वीं में वे फेल तक हो गए थे, जिसके बाद उनके टीचर ने उन्हें उनके पिता के सामने ही जीरो कह दिया था. टीचर ने यह तक कह दिया था कि आपका बेटा जीवन में कुछ नहीं कर पाएगा. हालांकि, उस वक्त सैयद के पिता ने टीचर को यह भरोसा दिलाया था कि उनका बेटो जीवन में आगे चल कर बहुत बड़ा काम करेगा. वहीं कुछ सालों बाद सैयद ने आईएएस की परीक्षा पास कर अपने पिता की बात को सच कर दिखाया और उनके कहे हुए शब्दों का मान रख लिया. 

सैयद रियाज अहमद की कहानी उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा है, जो मामूली सी असफलता से ही परेशान हो जाते हैं. बता दें सैयद ना केवल कक्षा 12वीं में फेल हुए थे बल्कि यूपीएससी की परीक्षा के दौरान भी वे परीक्षा पास करने में चार बार असफल रहे थे. इसके बावजूद उन्हें खुद पर भरोसा था, जिस कारण उन्होंने अगले ही प्रयास में यह परीक्षा पास कर डाली. 

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सैयद का जन्म बेहद साधारण परिवार में हुआ था. सैयद के पिता सरकारी विभार में फोर्थ ग्रेड के कर्मचारी थे. परिवार का पालन पोषण करने के लिए वे खेतों में भी काम किया करते थे. 

सैयद बचपन से ही पढ़ाई से दूर भागते थे, जैसे-तैसे वे कक्षा 12वीं तक पहुंचे थे. हालांकि, कक्षा 12वीं में फेल होने के बाद मानो उनके जीवन की दिशा ही बदल गई हो. कक्षा 12वीं में फेल होने के कारण स्कूल के टीचर से लेकर गांव तक के लोग सैयद का मजाक बनाने लगे. वहीं सैयद के पिता ने उनके हौसले को टूटने नहीं दिया और उन्हें प्रोत्साहित करते रहे. पिता के इसी भरोसे को सच में बदलने के लिए सैयद दिन-रात जी तोड़ पढ़ाई करने लगे.

हालांकि, आईएएस ऑफिसर बनने की राह इसनी आसान नहीं थी. सैयद पहले दो प्रयासों में यूपीएससी का प्रिलिंस भी क्लियर नहीं कर पाए थे, लेकिन तीसरे प्रयास में उन्होंने प्री तो क्लियर कर दिया मगर मेंस की परीक्षा में लटक गए. इतने प्रयासों के बाद भी सफलता ना मिलने पर गांव के लोग अब उन्हें ताने मारने लगे थे. वहीं परिवार की खराब आर्थिक स्थिति को देखते हुए सैयद ने आगे परीक्षा ना देने का मन बना लिया था. तभी उनके पिता ने उनसे कहा कि वे उन्हें अफसर बनाने के लिए अपना घर तक बेच देंगे, क्योंकि सैयद को अफसर बनाना उनका सपना था.  

पिता के सपने को पूरा करने के लिए सैायद ने चौथी बार प्रयास किया, लेकिन वे फिर से असफल हो गए, जिसके बाद उन्होंने स्टेट सर्विसेज का एग्जाम दिया और फॉरेस्ट ऑफिसर के पद पर नियुक्त हो गए. हालांकि, वन विभाग में अधिकारी बनने के बाद भी सैयद ने हार नहीं मानी और साल 2018 में उन्होंने अपना पांचवा अटेंप्ट दिया. इस बार सैयद ने सफलता हासिल कर यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा में 261वीं रैंक प्राप्त की और आईएएस ऑफिसर बन गए.

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