Job के साथ कॉम्पिटिटिव ज्ञान: Russia-Ukraine War होने के क्या है कारण, नाटो-यूक्रेन की नजदीकी से क्यों चिढ़ा रूस, जानें
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Job के साथ कॉम्पिटिटिव ज्ञान: Russia-Ukraine War होने के क्या है कारण, नाटो-यूक्रेन की नजदीकी से क्यों चिढ़ा रूस, जानें

Job के साथ कॉम्पिटिटिव ज्ञान: रूस और यूक्रेन के युद्ध को कई महीने हो चुके हैं, लेकिन यह खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. एक तरफ यूक्रेन ने रूस जैसे ताकतवर देश को कड़ी टक्कर दी है. वहीं, पुतिन ने इसे अपने वर्चस्व की लड़ाई बना ली.

Job के साथ कॉम्पिटिटिव ज्ञान: Russia-Ukraine War होने के क्या है कारण, नाटो-यूक्रेन की नजदीकी से क्यों चिढ़ा रूस, जानें

Competition Exam Preparation With Job: अगर आप नौकरी पेशा हैं, लेकिन काम के साथ-साथ महत्वपूर्ण खबरों को भी जानने में दिलचस्पी रखते हैं, तो आपके लिए हम लेकर आए हैं 'Job के साथ कॉम्पिटिटिव ज्ञान' की ये सीरीज. इसमें हम आपको देश-दुनिया के किसी खास मुद्दे पर जानकारी देंगे, जो आपके लिए बेहद काम की साबित होगी. आज हम बात करेंगे रशिया-यूक्रेन वॉर पर...

जब दोनों देशों के बीच युद्ध (Russia-Ukraine War) शुरू हुआ था तब पूरी दुनिया को यही लगा था कि यूक्रेन ज्यादा वक्त तक रशिया के आगे टिक नहीं पाएगा, लेकिन यूक्रेन ने पूरी दुनिया को दिखा दिया कि खुद पर भरोसा हो तो बड़ी से बड़ी ताकत भी आपको नहीं हरा सकती. यूक्रेन ने रूस जैसे पावरफुल देश को कड़ी टक्कर दी. इस युद्ध के कारण पुतिन को कई आलोचनाओं का सामना करना पड़ा. आज हम आपको बताएंगे कि आखिर दोनों देशों के बीच ऐसे कौन से मतभेद इतने बड़े हो थे, जिसके चलते रूसी सेना को जंग छेड़ना पड़ा. वहीं, नाटो के अलावा इस युद्ध की और क्‍या प्रमुख वजह है आइए जानते हैं. 

ऐसे हुई युद्ध की शुरुआत 
रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की शुरुआत होने से पहले व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन पर हमले की योजना से इनकार करते रहे, लेकिन फरवरी में रूसी सेना ने यूक्रेन में विशेष सैन्य कार्रवाई करने का ऐलान कर दिया, जिसके बाद यूक्रेन की राजधानी कीव समेत देश के अन्य हिस्सों में धमाके होने लगे. बता दें कि पुतिन की ओर से यह कार्रवाई मिंस्क शांति करार को समाप्‍त करने और यूक्रेन के दो अलगाववादी क्षेत्रों में सेना भेजने की घोषणा के बाद हुई थी. इन क्षेत्रों में सेना भेजने का कारण शांति कायम करना बताया गया. फिर क्या हुआ ये सभी जानते हैं.

इन कारणों ने ले लिया युद्ध का रूप
1.दरअसल, साल 1994 में रूस ने यूक्रेन की स्वतंत्रता और संप्रभुता का सम्मान करने के एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. यूक्रेन कभी सोवियत संघ का हिस्सा था, जिसके कारण वहां रशियन बोलने वाले बड़ी संख्या में मौजूद है. साल 2014 में रूस समर्थक माने जाने वाले यूक्रेन के तत्कालीन राष्ट्रपति को कुर्सी खाली करनी पड़ी था. उसके बाद रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था. इस हमले के बाद से दोनों देशों के बीच संबंध काफी बिगड़ गए.

2.इसके बाद रूसी राष्‍ट्रपति पुतिन ने दावा किया कि यूक्रेन का गठन कम्युनिस्ट रूस ने किया था. उनके मुताबिक 1991 में सोवियत संघ का विघटन रूस के टूटने के जैसा था. उन्‍होंने रूसी और यूक्रेनी नागरिकों को समान राष्ट्रीयता वाला बताया था. पुतिन ने तर्क दिया कि यूक्रेन कभी एक पूर्ण देश नहीं था और पश्चिमी देशों के हाथों की कठपुतली बन गया है.

3.यूक्रेन के अलगाववादी क्षेत्र लुहान्स्क और दोनेत्स्क क्षेत्र को मान्‍यता देने के बाद दोनों देशों के बीच की कड़वाहट और बढ़ गई. मिंस्क समझौते के मुताबिक यूक्रेन को उन इलाकों को विशेष दर्जा देना था, लेकिन अब ऐसा शायद ही संभव हो. 

4.बता दें कि रूस लंबे वक्‍त से यूक्रेन के पूर्वी हिस्से में जनसंहार का आरोप लगाकर जंग के लिए माहौल तैयार कर रहा था. उसने विद्रोही इलाकों में तकरीबन 7 लाख लोगों के लिए विशेष पासपोर्ट जारी किए थे, ताकि अपने नागरिकों की सुरक्षा के बहाने यूक्रेन पर कार्रवाई को सही ठहरा सके. 

5. रूस चाहता था कि यूक्रेन नाटो और पश्चिमी देशों से नजदीकियां न बढ़ाएं. जब यूक्रेन ने नाटो की सदस्‍यता में दिलचस्‍पी दिखाई तो रूस ने नाटो को चेताया था कि वह पूर्वी यूरोप में अपनी सैन्‍य गतिविधियां बंद कर दें. अगर नाटो रूस की इस शर्त को नहीं मानते हैं तो उनको पोलैंड, एस्टोनिया, लात्विया और लिथुआनिया से अपनी आर्मी वापस बुलानी होंगी. वहीं, नाटो पोलैंड और रोमानिया में अपनी मिसाइलें को तैनात नहीं कर पाएगा.

6.रूस को यूक्रेन और पश्चिमी देशों की करीबी कभी बर्दाश्त नहीं हुई. रूस ने आरोप लगाया कि नाटो देश यूक्रेन को लगातार हथियारों की आपूर्ति कर रहे हैं और अमेरिका दोनों देशों के बीच के तनाव को और भड़का रहा है. 

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