DNA: 'हलाल' के जवाब में महाराष्ट्र के हिंदुओं का 'ओम' सर्टिफिकेट, ग्राहक बोले- बढ़िया कदम, अब सात्विक भोजन की मिलेगी गारंटी
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DNA: 'हलाल' के जवाब में महाराष्ट्र के हिंदुओं का 'ओम' सर्टिफिकेट, ग्राहक बोले- बढ़िया कदम, अब सात्विक भोजन की मिलेगी गारंटी

DNA on Om Certificate for Foods in Maharashtra: 'हलाल' के जवाब में महाराष्ट्र के हिंदुओं का 'ओम' सर्टिफिकेट ग्राहकों को खूब पसंद आ रहा है. उनका कहना है कि इस कदम से सात्विक भोजन की अब गारंटी मिलेगी.

 

DNA: 'हलाल' के जवाब में महाराष्ट्र के हिंदुओं का 'ओम' सर्टिफिकेट, ग्राहक बोले- बढ़िया कदम, अब सात्विक भोजन की मिलेगी गारंटी

Zee News DNA on Om Certificate for Foods in Maharashtra: दुर्गापूजा को कट्टरपंथियों ने निशाना बनाया है तो इन दिनों लगातार ऐसी भी खबरें आईं जहां खाने में मिलावट या गलत किस्म का खाना खिलाने का दावा किया गया. सबसे पहले कांवड़ यात्रा के दौरान निर्देश जारी किए गए कि खाने की दुकान चलाने वाला अपने सही नाम को दुकान पर लिखें. फिर कुछ ऐसी खबरें आईं जब रोटी में थूक और जूस में URINE मिलाने के आरोप लगे. तिरुपति मंदिर के प्रसाद में भी मिलावट का दावा किया गया.

लोगों को मिलावट से बचा रहा ओम सर्टिफिकेट!

ऐसी ही कथित मिलावट से बचाने का दावा करता है महाराष्ट्र में ओम सर्टिफिकेट. महाराष्ट्र में ओम प्रतिष्ठान नाम की एक संस्था पहले से ओम सर्टिफिकेट जारी करती आई है. जिसके साथ दावा होता है कि सर्टिफिकेट जिस दुकान पर होता है. वहां खाना साफ सुथरा होता है.

अब संस्था का दावा है कि खाने की शुद्धता और साफ सफाई की कथित गारंटी देने वाला ओम सर्टिफिकेट दूसरी जगहों के लिए भी जारी किया जाएगा. क्या है ये ओम सर्टिफिकेट और क्यों ओम सर्टिफिकेट को अब राजनीतिक मुद्दा बनाया जा रहा है. इन सवालों का जवाब देगी DNA की EXCLUSIVE REPORT.

वीर सावरकर के पोते ने शुरू किया अभियान

ओम सर्टिफिकेट और उसका स्कैनर. वीर सावरकर के पोते रंजीत सावरकर ने ये अभियान कुछ वक्त पहले ही शुरु किया है. दुकानों को उनकी स्वच्छता और खाने की शुद्धता के आधार पर ये सर्टिफिकेट दिया जाता है. रंजीत सावरकर का दावा है कि अब ओम सर्टिफिकेट को खाने की दुकानों से आगे ले जाया जाएगा.

ओम सर्टिफिकेट के साथ दुकानदार को एक बार कोड भी मिलता है. बार कोड को स्कैन कर ग्राहक जान सकता है कि ओम प्रतिष्ठान के मुताबिक दुकान में शुद्ध खाना मिलता है या नहीं. बार कोड से ये भी पता चलता है कि दुकान के मालिक का नाम क्या है. 

पहल से संतुष्ट नजर आए ग्राहक

रंजीत सावरकर का कहना है कि इस ओम सर्टिफिकेट को बनाने के पीछे मकसद था ग्राहकों को ऐसी दुकानों के बारे में बताना है, जहां खाने के जरिए उनके स्वास्थ्य और आस्था दोनों के साथ खिलवाड़ ना किया जाए.

जब ज़ी मीडिया रिपोर्टर ने लोगों से बात की तो वो भी ओम सर्टिफिकेट को लेकर संतुष्ट दिखे. लोगों का कहना था कि खाना निज विचारों और आस्था से जुड़ा है तो ओम सर्टिफिकेट जैसी व्यवस्था कारगर है.

विपक्षी दलों ने अभियान पर जताई आपत्ति

अब ओम सर्टिफिकेट अभियान का दायरा बढ़ाने का ऐलान हुआ तो राजनीति में भी ओम सर्टिफिकेट गूंजने लगा. विपक्षी दलों ने ओम सर्टिफिकेट को चुनाव से जोड़ दिया.

ओम सर्टिफिकेट से चुनाव पर किस तरह फर्क पड़ेगा. ये विपक्षी नेता ही जानें...लेकिन एक सवाल ये भी है. क्या वाकई ओम सर्टिफिकेट को शुद्धता की गारंटी माना जा सकता है. जब शुद्धता की जांच के लिए सरकारी एजेंसियां हैं तो फिर ओम सर्टिफिकेट जैसी व्यवस्था की जरूरत क्यों.

(मुंबई से अंकित त्यागी की रिपोर्ट)

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