Moradabad 1980 riots: मुरादाबाद दंगे का दोषी कौन था? 43 साल बाद सामने आई ये सच्चाई, योगी सरकार ने पेश की रिपोर्ट
Advertisement
trendingNow11816235

Moradabad 1980 riots: मुरादाबाद दंगे का दोषी कौन था? 43 साल बाद सामने आई ये सच्चाई, योगी सरकार ने पेश की रिपोर्ट

Moradabad 1980 riots truth: योगी सरकार ने यूपी विधानसभा में मंगलवार को 1980 के मुरादाबाद दंगों की जांच रिपोर्ट पेश की. इस दंगे कम से कम 83 लोगों की मौत और 112 अन्य घायल हो गए थे. प्रदेश के संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने आज यूपी विधानसभा में औपचारिक रूप से दंगे की रिपोर्ट पेश की.

Moradabad 1980 riots: मुरादाबाद दंगे का दोषी कौन था? 43 साल बाद सामने आई ये सच्चाई, योगी सरकार ने पेश की रिपोर्ट

Moradabad 1980 riots truth: योगी सरकार ने यूपी विधानसभा में मंगलवार को 1980 के मुरादाबाद दंगों की जांच रिपोर्ट पेश की. इस दंगे कम से कम 83 लोगों की मौत और 112 अन्य घायल हो गए थे. प्रदेश के संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने आज यूपी विधानसभा में औपचारिक रूप से दंगे की रिपोर्ट पेश की. जांच रिपोर्ट में हिंसा के लिए मुस्लिम लीग के दो नेताओं को दोषी ठहराया गया था.

हालांकि सरकार ने अभी तक रिपोर्ट की विशिष्ट सामग्री जारी नहीं की है. लेकिन सूत्रों ने पुष्टि की है कि रिपोर्ट में कहा गया है कि मुस्लिम लीग के दो नेताओं ने अगस्त और नवंबर 1980 के बीच मुरादाबाद में हुए दंगों को अंजाम दिया था. इसमें कहा गया है कि अपराधियों के एक समूह द्वारा समर्थित इस नरसंहार के लिए मुस्लिम लीग के नेता जिम्मेदार थे. 

मंगलवार को सदन में पेश की गई जस्टिस एमपी सक्सेना आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि मुस्लिम लीग के दो नेताओं की सियासी चाहत के कारण यह दंगा हुआ था. इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मुरादाबाद शहर में बने ईदगाह और अन्य स्थानों पर अराजकता के लिए कोई भी सरकारी अधिकारी, कर्मचारी या हिंदू उत्तरदाई नहीं था. दंगों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ या भारतीय जनता पार्टी का भी हाथ नहीं था. जिले में रहने वाले आम मुसलमान भी उपद्रव के जिम्मेदार नहीं थे. यह पूरा दंगा पहले से प्लान किया गया था.

गौरतलब है कि 496 पन्नों की यह रिपोर्ट नवंबर 1983 में घटना और इसके पीछे के कारणों की जांच के लिए नियुक्त किए गए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एमपी सक्सेना के एक सदस्यीय आयोग द्वारा प्रस्तुत की गई थी. हालांकि इतने सालों तक यह रिपोर्ट एक सरकारी विभाग से दूसरे सरकारी विभाग में इधर से उधर होती रही. पिछले 4 दशकों में फाइल को कथित तौर पर किसी न किसी बहाने से कम से कम 14 बार दबाया गया.

राज्य में योगी आदित्यनाथ के सत्ता में आने के बाद उनकी सरकार ने 43 साल पुराने मामले को खोलने का फैसला किया. इस साल मई में, राज्य कैबिनेट ने न्यायमूर्ति एम पी सक्सेना आयोग की रिपोर्ट को विधानसभा में पेश करने का निर्णय लिया. यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने मीडिया के सामने इस मामले को संबोधित किया और बताया कि रिपोर्ट को अब तक दबा कर रखा गया था और वर्तमान भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने इसे राज्य विधानसभा के समक्ष पेश किया.

उन्होंने आगे कहा कि विधानसभा में रिपोर्ट पेश करने में देरी के लिए पिछले 15 मुख्यमंत्रियों को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए. मौर्य ने सत्यता और तथ्यों को स्वीकार करने पर जोर दिया. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उन व्यक्तियों की पहचान करना महत्वपूर्ण है जिन्होंने दंगों को प्रोत्साहित किया और उन्हें बचाया और कहा कि रिपोर्ट यह महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करती है.

गौरतलब है कि जब दंगे हुए थे, तब उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार थी. उस समय केंद्र में इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार भी सत्ता में थी.

43 साल पहले हुए थे दंगे

मुरादाबाद में अगस्त 1980 में ईदगाह में दंगे भड़के थे. मुस्लिम समुदाय ने स्थानीय दुकानों पर हमला किया था. जिसमें कई मुस्लिमों की जान चली गई थी. इस दौरान मुस्लिम और वाल्मीकि समुदाय के लोग आमने-सामने आ गए थे. इन दंगों की जांच के लिए जस्टिस सक्सेना की कमेटी ने रिपोर्ट बनाई थी, जिसने 20 फरवरी 1983 को जांच रिपोर्ट सौंप दी थी.

Trending news