Nashik News: दरगाह से निकले और बरसा दिए पत्थर, नासिक में कट्टरपंथियों को 'बांग्लादेशी हिंदुओं' की आवाज उठाना कबूल नहीं
Advertisement
trendingNow12388992

Nashik News: दरगाह से निकले और बरसा दिए पत्थर, नासिक में कट्टरपंथियों को 'बांग्लादेशी हिंदुओं' की आवाज उठाना कबूल नहीं

Maharashtra Nashik News in Hindi: महाराष्ट्र के नासिक में कट्टरपंथियों को हजारों किमी दूर बसे फिलीस्तीन की जय बोलना तो अच्छा लगता है. लेकिन उन्हें बांग्लादेशी हिंदुओं के पक्ष में उठ रही आवाजें कबूल नहीं हैं.

 

Nashik News: दरगाह से निकले और बरसा दिए पत्थर, नासिक में कट्टरपंथियों को 'बांग्लादेशी हिंदुओं' की आवाज उठाना कबूल नहीं

Who pelted stones in Nashik: अगर हमारे देश में फिलीस्तीन की जय कही जा सकती है तो फिर बांग्लादेशी हिंदुओं के लिए उठी आवाज पर भय के बादल क्यों मंडराते हैं. दरअसल 16 तारीख को महाराष्ट्र के नासिक में बांग्लादेशी हिंदुओं पर अत्याचारों को लेकर एक मार्च निकाला जा रहा था. जैसे ही मार्च शहर के भद्रकाली इलाके में पहुंचा तो पथराव शुरु हो गया. सड़क के दोनों तरफ से लोग एक दूसरे पर पत्थर फेंक रहे थे. हालात काबू करने के लिए पुलिस को हल्का बल प्रयोग भी करना पड़ा.

ओवैसी ने संसद में लगाया जय फिलीस्तीन का नारा

डीएनए में हम इस जरूरी सवाल को उठा रहे हैं. गाजा में हमास के खिलाफ इजरायली सैन्य ऑपरेशन के विरोध में लोग सड़कों पर निकले. कथित बुद्धिजीवियों का वर्ग सक्रिय हुआ. सोशल मीडिया पर बहुत कुछ लिखा गया. फिलीस्तीन की आजादी को लेकर इंकलाबी नारे लगाए गए. यहां तक कि संसद में शपथ लेते हुए हैदराबादी भाईजान ओवैसी ने जय फिलीस्तीन का नारा तक लगा दिया.

इन्हीं वजह से अब लोग पूछ रहे हैं कि अगर भारत से हजारों किलोमीटर दूर गाजा के निवासियों के लिए हमदर्दी जाग सकती है और उस हमदर्दी को आसानी से जाहिर किया जा सकता है तो भारत के पड़ोस में बांग्लादेशी हिंदुओं के हक की आवाज उठने पर हिंसा क्यों होती है.

बांग्लादेशी हिंदुओं के लिए चुप्पी साध गए 'लिबरल्स'

क्या स्वतंत्र भारत में अधिकारों के लिए आवाज उठाना भी सेलेक्टिव है. गाजा की आबादी के लिए कथित बुद्धीजीवी और एक्टिविस्ट लगातार आवाज बुलंद करते हैं. लेकिन नासिक में बांग्लादेशी हिंदुओं के लिए मार्च पर हमले को लेकर यह एक्टिविस्ट लॉबी खामोश हो जाती है. इसी सेलेक्टिव एक्टिविज्म और समर्थन को अब कठघरे में खड़ा किया जा रहा है.

फिलीस्तीन की जय और बांग्लादेशी हिंदुओं के नाम पर कलह. इसे लेकर भले ही वर्ग विशेष खामोश रहे. लेकिन हम सवाल उठाएंगे, गहराई तक जाकर बांग्लादेशी हिंदुओं के लिए हुए मार्च में हिंसा का सच सामने लाएंगे. डीएनए की एक्सक्लूसिव इंवेस्टिगेशन में जानिए कि नासिक में कैसे और कहां से चला पहला पत्थर.

पथराव वाली जगह पर पहुंचा ज़ी न्यूज

5 घंटों तक बवाल...दे दनादन पत्थरों की बरसात...आंसू गैस का धुंआ और चारों तरफ हंगामा...नासिक में बांग्लादेशी हिंदुओं के लिए जो मार्च हुआ...उससे ऐसी तस्वीरें सामने आईं. नासिक में हुए इस बवाल का सच जानने निकले जी न्यूज रिपोर्टर योगेश खरे और उनकी पहली मंजिल बना वो इलाका जहां हंगामे और पथराव की शुरुआत हुई थी यानी नासिक का भद्रकाली.

नासिक हिंसा का जो वीडियो सामने आया था. उसमें साफ नजर आ रहा था कि सड़क के बीचों बीच दोनों पक्ष एक दूसरे पर पथराव कर रहे थे. लेकिन बड़ा सवाल ये पहला पत्थर किसने चलाया. हालात को किसने सुलगाया. इस सवाल का जवाब मिला भद्रकाली में बनी बड़ी दरगाह से. 

बड़ी दरगाह से फेंके गए मार्च पर पत्थर

बड़ी दरगाह से निकले लोगों ने हंगामे की शुरुआत की. लेकिन ये हंगामा सिर्फ मेन रोड पर नहीं रुका बल्कि अंदर की सड़कों पर. जहां जहां से मार्च निकालने की कोशिश की गई. वहां पथराव हुआ. पहले दरगाह की तरफ से पत्थर आए. फिर घरों की छतों से. बांग्लादेशी हिंदुओं के लिए निकाले गए मार्च में जो हिंसा हुई. उसकी चपेट में ना सिर्फ लोग आए बल्कि पुलिसवाले भी नहीं बच सके. जब पुलिसवालों की तऱफ पत्थर बरसे तो पुलिस ने बल प्रयोग करना शुरु किया.

बांग्लादेशी हिंदुओं के लिए उठाई आवाज कबूल नहीं!

अब नासिक के भद्रकाली इलाके में सन्नाटा है लेकिन इस सन्नाटे की बड़ी वजह पुलिस की तैनाती है. वर्दी के डर से हंगामा करने वाले तत्व सड़क पर नहीं आ रहे. लेकिन दरगाह की तरफ से पहला पत्थर आना साबित करता है. कुछ लोगों को बांग्लादेशी हिंदुओं के लिए उठाई गई आवाज कबूल नहीं थी.

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.

TAGS

Trending news