Bidar Fort: कर्नाटक के ऐतिहासिक बीदर किले पर वक्फ बोर्ड ने अपना दावा ठोकते हुए उसे "वक्फ संपत्ति" बताया है, जिससे राज्य में नया विवाद खड़ा हो गया है. यह वही किला है जो भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित और देश की धरोहरों में शामिल है.
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Bidar Fort: कर्नाटक के ऐतिहासिक बीदर किले पर वक्फ बोर्ड ने अपना दावा ठोकते हुए उसे "वक्फ संपत्ति" बताया है, जिससे राज्य में नया विवाद खड़ा हो गया है. यह वही किला है जो भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित और देश की धरोहरों में शामिल है. वक्फ बोर्ड का यह दावा कर्नाटक समेत देशभर में जमीनों पर दावे ठोकने की उसकी बढ़ती गतिविधियों का हिस्सा माना जा रहा है. वक्फ बोर्ड के इस कदम ने हिंदू संगठनों और स्थानीय नागरिकों में गहरी नाराजगी पैदा कर दी है.
वक्फ बोर्ड का कहना है कि 1427 में बना यह बीदर किला उनकी संपत्ति है. साथ ही, वक्फ ने किले के भीतर मौजूद 17 इमारतों पर भी कब्जा जताया है, जिनमें से अधिकांश मकबरे हैं. अहमद शाह, अलाउद्दीन, और कई अन्य सुल्तानों के मकबरों को भी वक्फ बोर्ड अपनी संपत्ति बता रहा है. इन इमारतों को ASI द्वारा संरक्षित धरोहर माना गया है, और ऐसे में वक्फ का इस किले पर दावा एक बड़ा विवाद खड़ा कर रहा है.
बीदर किले में बनी "16 खंभा मस्जिद" को भी वक्फ बोर्ड ने अपनी संपत्ति का हिस्सा बताया है. हालांकि, ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार यह मस्जिद 1424 में कुबिल सुल्तान द्वारा बनवाई गई थी. सवाल उठता है कि इतने सालों बाद वक्फ बोर्ड इस इमारत पर कैसे अपना हक जता सकता है. स्थानीय नागरिकों और हिंदू संगठनों का कहना है कि वक्फ बोर्ड की इन गतिविधियों से ऐतिहासिक धरोहरों का संरक्षण खतरे में है.
कर्नाटक में हाल के समय में वक्फ बोर्ड के ऐसे कई दावे सामने आए हैं. उत्तर कर्नाटक में किसानों की निजी जमीनों पर भी वक्फ बोर्ड ने कब्जे के दावे किए हैं, जबकि दक्षिण कर्नाटक में मंदिरों और सरकारी स्कूलों की जमीनों को भी वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज किया गया है. उदाहरण के लिए, श्रीरंगपट्टण तालुका में चिकम्मा चिकदेवी मंदिर की 6000 वर्गफीट जमीन और चंदगालू गांव के सरकारी स्कूल की 39 हजार वर्गफीट जमीन को भी वक्फ संपत्ति घोषित किया गया है.
वक्फ बोर्ड के ऐसे दावों के कारण कर्नाटक में विरोध बढ़ता जा रहा है. कई हिंदू संगठनों ने इसे "लैंड जिहाद" करार दिया है और इस पर रोक लगाने के लिए सरकार से वक्फ संशोधन बिल को लागू करने की मांग की है. इन संगठनों का कहना है कि वक्फ बोर्ड जिस तरह से जमीनों पर दावे कर रहा है, उससे धार्मिक और सामाजिक तनाव बढ़ रहा है. सरकार से इस पर सख्त कदम उठाने की मांग तेज होती जा रही है.
वक्फ बोर्ड के दावों की सीमा सिर्फ कर्नाटक तक ही सीमित नहीं है. दिल्ली के कूड़ाघरों, सार्वजनिक सड़कों, पटना के पास एक गांव, और यहां तक कि सूरत नगर निगम के कार्यालय पर भी वक्फ ने अपने दावे ठोके हैं. वक्फ बोर्ड ने संसद भवन तक को अपनी संपत्ति बताया है. इन बेतुके दावों को देखते हुए देशभर में वक्फ कानून में सुधार की मांग की जा रही है ताकि ऐतिहासिक धरोहरों और सार्वजनिक संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.