Jhansi Hospital Fire: दूसरों के बच्चों को भाग-भागकर बचाता रहा, खुद की जुड़वा बेटियों की झुलसकर मौत हो गई
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Jhansi Hospital Fire: दूसरों के बच्चों को भाग-भागकर बचाता रहा, खुद की जुड़वा बेटियों की झुलसकर मौत हो गई

Jhansi News: जिस मनहूस घड़ी में झांसी के अस्पताल में बच्चों के वार्ड में आग लगी तब पूरी यूनिट लगभग 'लाक्षागृह' बनी थी. हादसे में मारे गए बच्चों के परिजनों का कहना है कि अस्पताल कर्मचारियों ने समय पर कार्रवाई नहीं की. इस बीच याकूब ने हिम्मत दिखाते हुए अपनी जान की परवाह नहीं की और कई नवजात बच्चों की जान बचा ली.

Jhansi Hospital Fire: दूसरों के बच्चों को भाग-भागकर बचाता रहा, खुद की जुड़वा बेटियों की झुलसकर मौत हो गई

Jhansi Hospital Fire Child deaths update: झांसी के अस्पताल की आग में कई परिवारों के चिराग बुझ गए. किसी का बच्चा मन्नतों के बाद जन्मा था. तो किसी के घर-आंगन में पहली बार किलकारी गूंजी थी. किसी दादा को पोते के जाने का गम सता रहा है. उनका गम देखकर समझा जा सकता है कि इस दर्दनाक आग में उनका पोता ही नहीं जला, बल्कि पूरी दुनिया और बुढापे के लिए सजोए गए सपने भी जल गए. नन्हें-मुन्ने मासूमों की मौत की खबर ने लोगों को हिलाकर रख दिया. जहां कुछ दिन पहले नन्हा मेहमान आने की चारों ओर खुशियां ही खुशियां मनाई जा रही थीं, वहां मातम पसरा है. अपने कलेजे के टुकड़े को खो चुके मां-बाप सदमें में हैं.

इसे होनी कहें या अनहोनी झांसी मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल के चाइल्ड वार्ड में अपने बच्चों को खो चुके लोग ये सोच रहे होंगे कि वहां न जाते तो शायद उनका बच्चा बच जाता और उनके पास होता. झांसी के चाइल्ड केयर वार्ड से ऐसी-ऐसी दुखद और दिल तोड़ने वाली कहानियां सामने आ रही हैं, जिन्हें पढ़कर रोटी का एक निवाला तो दूर, एक घूंट पानी भी गले के नीचे नहीं उतरेगा.

दुनिया ही उजड़ गई: याकूब  

जिस मनहूस घड़ी में झांसी के अस्पताल में बच्चों के वार्ड में आग लगी तब पूरी यूनिट लगभग 'लाक्षागृह' बनी थी. हादसे में मारे गए बच्चों के परिजनों का कहना है कि अस्पताल कर्मचारियों ने समय पर कार्रवाई नहीं की, वरना शायद इतनी जानें नहीं जातीं. इस बीच याकूब ने हिम्मत दिखाते हुए फरिश्ता बनकर दूसरों के बच्चों की जान बचा ली.

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टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक जिनके बच्चे बच गए उनके लिए 20 साल का याकूब, शुक्रवार की रात का हीरो था. हालांकि दूसरों की जिंदगी बचाने वाला खुद अपनी नवजात जुड़वां बच्चियों को न बचा पाया. हमीरपुर का याकूब पत्नी नजमा के साथ हफ्तेभर से महारानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज के नियोनटल ICU वार्ड के बाहर ही रहता था. नज़मा के साथ बारी-बारी से बच्चों की हालत पर नज़र रखता था. शुक्रवार रात जब आग लगी तो याकूब ने खिड़की तोड़ दी. कैजुअल्टी रोकने और बच्चों को बचाने के लिए वो अंदर घुस गया. हालांकि उसकी दोनों बेटियां उन बच्चों में नहीं थीं, जिन्हें वो अपने हाथों से मौत के मुंह से निकाल लाया था.

संजना ने हाल ही में पहले बच्चे को जन्म दिया था, उसकी गोद उजड़ गई. संजना ने कहा, 'आंखों के सामने बच्चा जल गया, मैं लाचार बन देखती रही. जालौन की संतोषी देवी की गोद सूनी हो गई. ललितपुर के सोनू और संजना का बेटा तो प्री मेच्योर था. उसे सांस लेने में दिक्कत थी. ललितपुर के निरंजन ने नेम टैग से पोते के शव की पहचान की थी.

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