Rajasthan News: टाइप-1 डायबिटीज़ पीड़ित बच्चों की फ्री ग्लूकोमीटर और दवा इंसुलिन दे रही भजनलाल सरकार, जानें कैसे ले योजना का लाभ
Advertisement
trendingNow1/india/rajasthan/rajasthan2598899

Rajasthan News: टाइप-1 डायबिटीज़ पीड़ित बच्चों की फ्री ग्लूकोमीटर और दवा इंसुलिन दे रही भजनलाल सरकार, जानें कैसे ले योजना का लाभ

Type-1 diabetes:  टाइप-1 डायबिटीज़ से पीड़ित बच्चों के लिए भजनलाल सरकार ने एक महत्वपूर्ण योजना शुरू की है, जिसके तहत इन बच्चों को निशुल्क ग्लूकोमीटर, इंसुलिन और ग्लूको स्ट्रिप प्रदान की जाएगी.

Rajasthan News: टाइप-1 डायबिटीज़ पीड़ित बच्चों की फ्री ग्लूकोमीटर और दवा इंसुलिन दे रही भजनलाल सरकार, जानें कैसे ले योजना का लाभ

Rajasthan News, Type-1 diabetes: टाइप-1 डायबिटीज़ से पीड़ित बच्चों के लिए भजनलाल सरकार ने एक महत्वपूर्ण योजना शुरू की है, जिसके तहत इन बच्चों को निशुल्क ग्लूकोमीटर, इंसुलिन और ग्लूको स्ट्रिप प्रदान की जाएगी. यह योजना इन बच्चों के लिए एक बड़ी राहत है, जिनके परिवारों को इस बीमारी के इलाज के लिए आर्थिक बोझ का सामना करना पड़ता है.

टाइप-1 डायबिटीज़ से पीड़ित बच्चों के लिए सरकार ने एक महत्वपूर्ण योजना शुरू की है. इस योजना के तहत, सरकार इन बच्चों को निशुल्क ग्लूकोमीटर और इंसुलिन दवा प्रदान कर रही है, जिससे उनके परिवारों को आर्थिक बोझ से राहत मिलेगी. यह योजना इन बच्चों के लिए एक बड़ी राहत है, जिनके परिवारों को इस बीमारी के इलाज के लिए आर्थिक बोझ का सामना करना पड़ता है. 

 

 

 

 

 

 

 

 

यदि आप या आपके परिवार में कोई टाइप-1 डायबिटीज़ से पीड़ित है, तो आप इस योजना का लाभ उठा सकते हैं. इसके लिए आपको सरकार द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार आवेदन करना होगा, जिससे आप इस योजना का लाभ प्राप्त कर सकते हैं.राजस्थान ने एक नए मील के पत्थर को पार किया है, जिसमें वह देश का पहला राज्य बन गया है जिसने पायलट प्रोजेक्ट के तहत एक अनोखी और नवीन योजना शुरू की है. यह योजना न केवल राजस्थान के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक मिसाल कायम करेगी.

 

इस योजना के तहत, जयपुर समेत चार जिलों में मधुहारी क्लीनिक के माध्यम से टाइप वन डायबिटीज से पीड़ित बच्चों को निशुल्क ग्लूकोमीटर, इंसुलिन और ग्लूको स्ट्रिप प्रदान की जा रही है. यह योजना इन बच्चों के लिए एक बड़ी राहत है, जिनके परिवारों को इस बीमारी के इलाज के लिए आर्थिक बोझ का सामना करना पड़ता है.

 

मधुमेह से पीड़ित बच्चों के लिए यह योजना वास्तव में एक वरदान है. मधुमेह के इलाज के लिए परिवारों को अक्सर आर्थिक बोझ का सामना करना पड़ता है, लेकिन इस योजना के साथ, उन्हें निशुल्क ग्लूकोमीटर, इंसुलिन और ग्लूको स्ट्रिप प्रदान किए जाएंगे. इससे न केवल उनके इलाज में मदद मिलेगी, बल्कि उनके परिवारों को भी आर्थिक रूप से राहत मिलेगी.

ये भी पढ़ें- Rajasthan Weather Update: राजस्थान में एक बार फिर गिरेंगे मोटे-मोटे ओले, गरज-चमक से साथ बरसेंगे बादल, IMD ने जारी किया भारी बारिश का अलर्ट 

नागौर जिले में टाइप-1 डायबिटीज़ से पीड़ित बच्चों की संख्या में पिछले तीन वर्षों में वृद्धि देखी गई है, लेकिन राहत की बात यह है कि सरकार ने अब नागौर को पायलट प्रोजेक्ट में शामिल किया है. इसके तहत, सरकार प्रभावित बच्चों के इंसुलिन और अन्य स्वास्थ्य खर्चों को वहन करेगी. जिले में टाइप-1 डायबिटीज़ से पीड़ित बच्चों का डेटा जुटाया जा रहा है, और अब तक कुछ बच्चे सामने आए हैं जो जयपुर और दिल्ली में अपना इलाज करवा रहे थे.

टाइप-1 डायबिटीज एक ऐसी समस्या है जिसमें शरीर पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाता. यह समस्या शरीर में वायरल संक्रमण या अग्नाशय की गड़बड़ी के कारण होती है, जिससे इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है और ब्लड शुगर का स्तर बढ़ने लगता है. इसके अलावा, गलत खानपान और जीवनशैली में असंतुलन भी इस बीमारी का खतरा बढ़ाते हैं.

ये भी पढ़ें- Rajasthan Weather Update: राजस्थान में एक बार फिर गिरेंगे मोटे-मोटे ओले, गरज-चमक से साथ बरसेंगे बादल, IMD ने जारी किया भारी बारिश का अलर्ट 

 

आंकड़ों के अनुसार, 5 साल से कम उम्र के बच्चों में टाइप-1 डायबिटीज हर साल 3-4% की दर से बढ़ रही है. यह न केवल शारीरिक विकास को प्रभावित करता है बल्कि शरीर के आंतरिक अंगों को भी नुकसान पहुंचाता है. आनुवंशिक कारणों से यह समस्या जन्म से ही हो सकती है. इसे देखते हुए सरकार ने इस बीमारी पर नियंत्रण के लिए जागरूकता और इलाज की कवायद तेज कर दी है.

 

शिशु रोग विशेषज्ञ के अनुसार, टाइप-1 डायबिटीज़ बच्चों में अधिक देखी जाती है, और प्रभावित बच्चों को दिन में तीन-चार बार इंसुलिन लेना पड़ता है. इस बीमारी के बढ़ते मामलों को देखते हुए, नागौर को पायलट प्रोजेक्ट में शामिल किया गया है, जहां पुराने अस्पताल में "मधुहारी क्लीनिक" खोली गई है. इस क्लीनिक में बच्चों का मुफ्त उपचार किया जाएगा और सरकार उनके इंसुलिन और अन्य खर्चों को उठाएगी.

इस बीमारी से पीड़ित बच्चों पर प्रति माह औसतन 4-5 हजार रुपए का खर्च आता है, जो कई बार आर्थिक तंगी के कारण समय पर इलाज नहीं ले पाते हैं. इस पहल का उद्देश्य बच्चों की जीवन गुणवत्ता सुधारना और इलाज को सुलभ बनाना है. नागौर जिले में सर्वे का काम जारी है, और क्लीनिक दिसंबर में शुरू होने की संभावना है. चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर द्वारा इस प्रोजेक्ट का शुभारंभ किया जाएगा.

क्या है टाइप 1 डायबिटीज?
टाइप 1 डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जिसमें शरीर में इंसुलिन का उत्पादन नहीं होता है. इंसुलिन एक हार्मोन है जो रक्त में शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है. टाइप 1 डायबिटीज में, शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अग्नाशय की बीटा कोशिकाओं पर हमला करती है, जो इंसुलिन का उत्पादन करती हैं. इसके परिणामस्वरूप, शरीर में इंसुलिन की कमी हो जाती है, जिससे रक्त में शर्करा का स्तर बढ़ जाता है.

टाइप 1 डायबिटीज के लक्षणों में शामिल हैं:

- बढ़ी हुई प्यास
- अधिक पेशाब आना
- थकान
- वजन कम होना
- दृष्टि में परिवर्तन

टाइप 1 डायबिटीज का इलाज आमतौर पर इंसुलिन थेरेपी के माध्यम से किया जाता है, जिसमें इंसुलिन के इंजेक्शन लगाए जाते हैं या इंसुलिन पंप का उपयोग किया जाता है. इसके अलावा, स्वस्थ आहार और नियमित व्यायाम भी टाइप 1 डायबिटीज के प्रबंधन में मदद कर सकते हैं.

क्यों है बच्चों में टाइप 1 डायबिटीज का खतरा?

बच्चों में टाइप 1 डायबिटीज का खतरा कई कारणों से बढ़ सकता है. यहाँ कुछ संभावित कारण हैं:

1. आनुवंशिक कारक: यदि परिवार में किसी को टाइप 1 डायबिटीज है, तो बच्चों में इसका खतरा बढ़ जाता है.
2. प्रतिरक्षा प्रणाली की गड़बड़ी: टाइप 1 डायबिटीज में, प्रतिरक्षा प्रणाली अग्नाशय की बीटा कोशिकाओं पर हमला करती है, जो इंसुलिन का उत्पादन करती हैं.
3. वायरल संक्रमण: कुछ वायरल संक्रमण, जैसे कि रोटावायरस और कॉक्ससैकीवायरस, टाइप 1 डायबिटीज के खतरे को बढ़ा सकते हैं.
4. आहार और जीवनशैली: बच्चों के आहार और जीवनशैली में बदलाव, जैसे कि अधिक मात्रा में शक्कर और वसा का सेवन, टाइप 1 डायबिटीज के खतरे को बढ़ा सकते हैं.
5. पर्यावरणीय कारक: कुछ पर्यावरणीय कारक, जैसे कि वायु प्रदूषण और कीटनाशकों के संपर्क में, टाइप 1 डायबिटीज के खतरे को बढ़ा सकते हैं.

 

Trending news