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Rani Padmavati: दीपिका पादुकोण की फिल्म पर फिर उठे सवाल, इतिहासकारों का दावा रानी पद्मावती के समय किले में नहीं थे शीशे, तो खिलजी कैसे...

Rani Padmavati: सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है. वीडियो में दावा किया गया है कि अलाउद्दीन खिलजी ने रानी पद्मावती को आईने में नहीं देखा था, फिल्म की कहानी काल्पनिक है...

फिल्म पद्मावत

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फिल्म पद्मावत

बॉलीवुड फिल्म पद्मावत का जबसे ऐलान हुआ था, तब से वह कॉन्ट्रोवर्सी में घिर गई थी. संजय लीला भंसाली के डायरेक्शन में बनी इस फिल्म में लीड रोल में दीपिका पादुकोण (रानी पद्मावती), शाहिद कपूर (रतन सिंह), रणवीर सिंह (खिलजी) के किरदार में नजर आए थे. फिल्म की कहानी को पद्मावत के सौंदर्य के इर्द गिर्द बुना गया था, जिसका काफी विरोध हुआ था. लोगों का कहना था कि वह बहुत बहादुर थी. वहीं फिल्म एक सीन था, जिसमें खिलजी शीशे में पद्मावती को देखता है. अब इस सीन को लेकर कुछ इतिहासकारों ने कई दावे किए हैं.

रानी पद्मावती के समय नहीं थे शीशे

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रानी पद्मावती के समय नहीं थे शीशे

सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है. वीडियो में दावा किया गया है कि अलाउद्दीन खिलजी ने रानी पद्मावती को आईने में नहीं देखा था, फिल्म की कहानी काल्पनिक है. क्योंकि रानी पद्मानती के समय में किले में शीशे मौजूद नहीं थे.

नेहरू ने लगवाए थे शीशे ?

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नेहरू ने लगवाए थे शीशे ?

कई इतिहासकारों का दावा है कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू 1955 में चित्तौड़ की यात्रा वहां पहुंचे थे, तब ये आईने वहां लगवाएं गए थे. इसके बाद से ही इन आईनों को लेकर अपनी ही एक कहानी तैयार कर दी गई है. वहीं इसका कोई पुख्ता सबूत नहीं है कि ये शीशे नेहरू ने ही लगवाए हैं. 

मलिक मोहम्मद जायसी के पद्मावत पर बेस्ड है फिल्म

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मलिक मोहम्मद जायसी  के पद्मावत पर बेस्ड है फिल्म

कई दिग्गज इतिहासकारों का मानना है कि मलिक मोहम्मद जायसी  की पद्मावत पूरी तरह से काल्पनिक है. रतन सिंह के समय पर शीशे का वजूद ही नहीं था. तो कैसे खिलजी पद्मानत को शीशे में देख सकता है. फिल्म की कहानी पूरी तरह से कल्पनिक है.

खिलजी के हमले के 237 साल बाद लिखा था कथानक

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खिलजी के हमले के 237 साल बाद लिखा था कथानक

इतिहासकारों का कहना है कि मलिक मोहम्मद जायसी ने पद्मावत को अलाउद्दीन खिलजी के हमले के 237 साल बाद लिखा था. ऐसे में उसमें लिखी बातें प्रमाणिक कैसे हो सकती हैं.ऐसे में बड़ा सवाल अब ये उठता है कि अगर कहानी काल्पनिक है, तो क्या जयासी की किताब में लिखे किरदार भी काल्पनिक हैं. ज्यादातर हर इतिहासकार जयासी की पद्मावत को नकारता है.