सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस ने अपने लोकसभा सदस्यों को व्हिप जारी करके कहा है कि वे बुधवार सुबह 10.30 बजे संसद भवन स्थित संसदीय दल के कार्यालय में मौजूद रहें. ‘इंडिया’ के घटक दलों के नेताओं की मंगलवार सुबह हुई बैठक में अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिए जाने के संदर्भ में मंथन हुआ.
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मणिपर हिंसा के मुद्दे को लेकर संसद में जारी गतिरोध थमता नहीं दिख रहा है. विपक्ष लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संसद में बयान देने को कह रहा है. इसे लेकर लगातार कार्यवाही बाधित हो रही है. इस बीच विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) के घटक दल बुधवार को लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे सकते हैं. सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी.
सूत्रों का कहना है कि गठबंधन ने पहले ही इस नोटिस का मसौदा तैयार कर लिया है और इसके लिए जरूरी 50 सांसदों का हस्ताक्षर लेने की प्रक्रिया को पूरा किया जा रहा है. सूत्रों ने बताया कि विपक्षी गठबंधन में शामिल दलों के दोनों सदनों के नेता बुधवार सुबह बैठक करके आगे की रणनीति भी तय करेंगे. अविश्वास प्रस्ताव से जुड़े नोटिस को बुधवार को सुबह 10 बजे से पहले सौंपना होगा.
सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस ने अपने लोकसभा सदस्यों को व्हिप जारी करके कहा है कि वे बुधवार सुबह 10.30 बजे संसद भवन स्थित संसदीय दल के कार्यालय में मौजूद रहें. ‘इंडिया’ के घटक दलों के नेताओं की मंगलवार सुबह हुई बैठक में अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिए जाने के संदर्भ में मंथन हुआ.
सूत्रों ने बताया कि मणिपुर के मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर संसद के भीतर बयान देने का दबाव बनाने के कई विकल्पों पर विचार करने के बाद यह फैसला किया गया कि अविश्वास प्रस्ताव ही सबसे कारगर रास्ता होगा, जिसके जरिये सरकार को इस मुद्दे पर चर्चा के लिए विवश किया जा सकेगा.
यह पूछे जाने पर कि क्या विपक्षी दल अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस देंगे तो विपक्षी गठबंधन के एक वरिष्ठ नेता ने न्यूज एजेंसी ‘पीटीआई’ से कहा, ‘‘इसकी संभावना है कि कुछ दल यह नोटिस दें.’’ विपक्ष से जुड़े सूत्रों का यह भी कहना है कि राज्यसभा के भीतर भी मणिपुर के विषय को लेकर सरकार को घेरने का सिलसिला जारी रहेगा.
अविश्वास प्रस्ताव से जुड़े सवाल पर कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘संसदीय प्रणाली में और संसदीय परंपरा में सभी विकल्प खुले रहते हैं और जिन विकल्पों का उल्लेख नियमावली में किया गया है, वो सारे विकल्प विपक्ष के समक्ष उपलब्ध रहते हैं.’’
कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के अन्य घटक दल मॉनसून सत्र के पहले दिन से ही मणिपुर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से संसद में वक्तव्य देने और चर्चा की मांग कर रहे हैं. इस मुद्दे पर हंगामे के कारण संसद के मॉनसून सत्र के पहले चार दिन दोनों सदनों की कार्यवाही बार-बार बाधित हुई.
मणिपुर में दो महिलाओं यौन उत्पीड़न का वीडियो गत बुधवार, 19 जुलाई को सामने आया था. अधिकारियों ने बताया कि यह वीडियो चार मई का है. मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की बहुसंख्यक मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.
(भाषा इनपुट)