Lok Sabha Speaker: ओम बिरला vs के सुरेश... स्पीकर बनने की रेस में कौन आगे? समझिये लोकसभा का नंबर गेम
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Lok Sabha Speaker: ओम बिरला vs के सुरेश... स्पीकर बनने की रेस में कौन आगे? समझिये लोकसभा का नंबर गेम

Lok Sabha Speaker News: लोकसभा का स्पीकर कौन बनेगा? राजनीति में रुचि रखने वालों के जहन में अभी यही सवाल कौंध रहा होगा. इस सवाल पर सियासी गलियारों में भी मंथन लगातार जारी है.

Lok Sabha Speaker: ओम बिरला vs के सुरेश... स्पीकर बनने की रेस में कौन आगे? समझिये लोकसभा का नंबर गेम

Lok Sabha Speaker News: लोकसभा का स्पीकर कौन बनेगा? राजनीति में रुचि रखने वालों के जहन में अभी यही सवाल कौंध रहा होगा. इस सवाल पर सियासी गलियारों में भी मंथन लगातार जारी है. सत्ता पक्ष और विपक्ष तिकड़म लगा रहे हैं कि उनका उम्मीदवार इस पद की जिम्मेदारी संभाले. इस रेस में दो नाम आगे चल रहे हैं. वो दो नाम ओम बिरला और के सुरेश हैं. ओम बिरला से आप परिचित होंगे ही... फिर भी नहीं जानने वालों को बता दें कि वे एनडीए के उम्मीदवार हैं और इससे पहले वाली सरकार में लोकसभा स्पीकर रह चुके हैं. दूसरा नाम के सुरेश का है, जो इंडिया अलायंस के उम्मीदवार हैं. अब आपको लोकसभा के नंबर गेम के बारे में समझाते हैं..

एनडीए को स्पष्ट बहुमत..

543 सदस्यीय लोकसभा में वर्तमान में 542 सांसद हैं, क्योंकि केरल की वायनाड सीट राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद खाली है. सदन में 293 सांसदों वाले एनडीए को स्पष्ट बहुमत प्राप्त है. वहीं विपक्षी इंडिया ब्लॉक के पास 233 सांसद हैं. वहीं अन्य दल जो न एनडीए का हिस्सा हैं और न इंडिया ब्लॉक के उनके 16 सांसद हैं. इनमें कुछ निर्दलीय भी शामिल हैं. अगर ये 16 सांसद इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवार का समर्थन करते हैं, तब भी उसकी संख्या 249 तक पहुंचेगी. जबकि  चुनाव जीतने के लिए 271 वोटों की जरूरत होगी.

बीजेपी के 240 सांसद

एनडीए में शामिल प्रमुख दलों में अकेले बीजेपी के 240 सांसद हैं, टीडीपी के 16, जदयू के 12, शिवसेना के 7, लोजपा के 5, रालोद के 2, अपना दल और एनसीपी के 1-1 सांसद शामिल हैं. इसके अलावा 1-1 सांसदों वाले अन्य दल भी बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए में शामिल हैं. वहीं इंडिया ब्लॉक में शामिल प्रमुख दलों में कांग्रेस के 99 सांसद हैं. इसके बाद समाजवादी पार्टी 37 सांसदों के साथ दूसरा सबसे बड़ा विपक्षी दल है. टीएमसी के 29, डीएमके के 22 सांसद हैं. शिवेसना यूबीटी के 9, एनसीपी (शरद पवार गुट) के 8 सांसद, आम आदमी पार्टी के 3 सांसद, जेएमएम के 3 सांसद इंडिया ब्लॉक के साथ हैं

ममता बनर्जी की नाराजगी

इंडिया ब्लॉक को बाहर से समर्थन दे रहीं ममता बनर्जी ने स्पीकर पोस्ट के लिए उम्मीदवार चयन के निर्णय में खुद को शामिल नहीं किए जाने को लेकर नाराजगी व्यक्त की है. अगर उनकी पार्टी टीएमसी के सांसदों ने वोटिंग का बहिष्कार कर दिया तो इंडिया ब्लॉक के लिए 29 सांसदों का समर्थन कम हो जाएगा और उसकी संख्या 204 पर सिमट जाएगी. TMC सांसद अभिषेक बनर्जी ने लोकसभा स्पीकर के लिए के. सुरेश की उम्मीदवारी को लेकर कहा कि हमसे इस बारे में कोई संपर्क नहीं किया गया, कोई बात नहीं हुई. दुर्भाग्य से ये एकतरफा फैसला है. इस स्थिति में एनडीए का पलड़ा भारी है. फिर भी इंडिया अलायंस लोकसभा स्पीकर पद के लिए पूरा जोर लगा रहा है.

लोकसभा में 1976 के बाद पहली बार होगा अध्यक्ष का चुनाव

लोकसभा स्पीकर कौन बनेगा यह आज तय हो जाएगा. यह तय होने से पहले आपको बता दें कि 1976 के बाद इस तरह का यह पहला मौका है. स्वतंत्र भारत में लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए केवल तीन बार 1952, 1967 और 1976 में चुनाव हुए. वर्ष 1952 में कांग्रेस सदस्य जी वी मावलंकर को लोकसभा अध्यक्ष के रूप में चुना गया था. मावलंकर को प्रतिद्वंद्वी शांताराम मोरे के खिलाफ 394 वोट मिले, जबकि मोरे सिर्फ 55 वोट हासिल करने में सफल रहे.

1967 में टी. विश्वनाथम..

वर्ष 1967 में टी. विश्वनाथम ने कांग्रेस उम्मीदवार नीलम संजीव रेड्डी के खिलाफ लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव लड़ा. रेड्डी को विश्वनाथम के 207 के मुकाबले 278 वोट मिले और वह अध्यक्ष चुने गए. इसके बाद पांचवीं लोकसभा में 1975 में तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल लगाए जाने के बाद पांचवें सत्र की अवधि एक वर्ष के लिए बढ़ा दी गई थी. तत्कालीन अध्यक्ष जीएस ढिल्लों ने एक दिसंबर, 1975 को इस्तीफा दे दिया था.

कांग्रेस नेता बलिराम भगत..

कांग्रेस नेता बलिराम भगत को पांच जनवरी, 1976 को लोकसभा अध्यक्ष चुना गया था. इंदिरा गांधी ने भगत को लोकसभा अध्यक्ष के रूप में चुनने के लिए प्रस्ताव पेश किया था, जबकि कांग्रेस (ओ) के प्रसन्नभाई मेहता ने जनसंघ नेता जगन्नाथराव जोशी को चुनने के लिए प्रस्ताव पेश किया था. भगत को जोशी के 58 के मुकाबले 344 वोट मिले.

तेलुगू देशम पार्टी के सदस्य जी एम सी बालयोगी..

वर्ष 1998 में तत्कालीन कांग्रेस नेता शरद पवार ने पी ए संगमा को अध्यक्ष चुनने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया था, जिसे अस्वीकार कर दिया गया था. पवार के प्रस्ताव के अस्वीकार किए जाने बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने तेलुगू देशम पार्टी के सदस्य जी एम सी बालयोगी को लोकसभा अध्यक्ष के रूप में चुनने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया. वाजपेई द्वारा रखा गया प्रस्ताव स्वीकृत हो गया.

बलराम जाखड़..

आजादी के बाद से, केवल एम ए अय्यंगार, जी एस ढिल्लों, बलराम जाखड़ और जी एम सी बालयोगी ने अगली लोकसभाओं में इस प्रतिष्ठित पद को बरकरार रखा है. जाखड़ सातवीं और आठवीं लोकसभा के अध्यक्ष थे और उन्हें दो पूर्ण कार्यकाल पूरा करने वाले एकमात्र पीठासीन अधिकारी होने का गौरव प्राप्त है. बालयोगी को उस 12वीं लोकसभा के अध्यक्ष के रूप में चुना गया, जिसका कार्यकाल 19 महीने का था. उन्हें 13वीं लोकसभा के अध्यक्ष के रूप में भी चुना गया था, हालांकि बाद में उनकी एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मौत हो गई.

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