Noida Extension Metro Update: सरकार तीन ऑप्शन्स पर विचार कर सकती है. पहला ये कि सेक्टर 51 और 52 मेट्रो के एक 200 मीटर का स्काईवॉक बनाया जाए. दूसरा ये कि एक्वा लाइन को सेक्टर 61 तक ले जाया जाए, यहां से एक्वा लाइन आगे जाए. तीसरा ये कि दोनों ही स्टेशनों की बीच जमीन तलाशकर हॉल्ट बन जाए.
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Delhi Metro: बीते कुछ वर्षों में देखें तो लोगों ने नोएडा एक्सटेंशन का रुख किया है. इस उम्मीद में कि यहां जल्द ही मेट्रो दौड़ेगी. ग्रेटर नोएडा में मेट्रो फर्राटा भर भी रही है लेकिन नोएडा एक्सटेंशन वालों की आंखें अब भी तरस रही हैं. बीते दिनों जानकारी सामने आई थी कि दिवाली के आसपास काम की शुरुआत हो सकती है. लेकिन उससे पहले ही कहानी में मोड़ आ गए हैं, वो भी एक नहीं तीन-तीन.
एक्सटेंशन मेट्रो को लेकर शहरी विकास मंत्रालय ने एक अहम सवाल उठाया है. ये सवाल ऐसा है, जो हजारों यात्रियों के मन में उठता है. जो लोग दिल्ली से ग्रेटर नोएडा जाना चाहते हैं, वे नोएडा के सेक्टर 51 मेट्रो स्टेशन पर उतरकर 400 मीटर की पैदल यात्रा क्यों करेंगे?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सेक्टर 51 और सेक्टर 52 स्टेशनों के बीच लिंक में जो लापरवाही दिखाई गई, उस पर अधिकारियों ने साफ तौर पर नाराजगी जाहिर की है.
अधिकारियों के खफा होने की वजह यह भी है कि अभी यात्री एक्वा लाइन के सेक्टर 51 मेट्रो स्टेशन पर उतरकर ब्लू लाइन के सेक्टर 52 के स्टेशन तक पैदल जाते हैं. उनको ब्लू लाइन मेट्रो लेने के लिए नीचे उतरकर पैदल चलना पड़ता है.
मेट्रो और शहरी विकास मंत्रालय के अफसरों ने दोनों ही मेट्रो स्टेशनों का दौरा किया था और दोनों स्टेशनों के बीच कनेक्टिविटी पर सवाल उठाए. चूंकि एक्वा लाइन को बनाने में दिल्ली मेट्रो बड़ा प्लेयर रहा है. ऐसे में अब वह अपनी गलती को सुधारने में जुट गया है.
अब मोड़ क्या हैं वो जानिए
यूं तो एक्वा लाइन और ब्लू लाइन को जोड़ने के लिए फुटओवर ब्रिज बनाने की कवायद जारी है. लेकिन मंत्रालय के अफसरों की दलील है कि अगर यात्रियों के पास ज्यादा सामान है तो वह 400 मीटर की दूरी क्यों तय करना चाहेगा? वे कह रहे हैं कि यह दूरी कम होनी चाहिए.
लोग ग्रेटर नोएडा से दिल्ली आने के लिए अब मेट्रो का इस्तेमाल करने लगे हैं. ब्लू लाइन के इलेक्ट्रॉनिक सिटी स्टेशन तक बहुत भीड़ हो रही है. वहीं नोएडा मेट्रो की एक्वा लाइन के सेक्टर 51 पर यात्रियों की भीड़ कम है. अफसरों का कहना है कि ऐसा दोनों स्टेशनों के बीच अच्छा लिंक न होने के कारण है.
क्या हैं विकल्प
माना जा रहा है कि सरकार तीन ऑप्शन्स पर विचार कर सकती है. पहला ये कि सेक्टर 51 और 52 मेट्रो के एक 200 मीटर का स्काईवॉक बनाया जाए. दूसरा ये कि एक्वा लाइन को सेक्टर 61 तक ले जाया जाए, यहां से एक्वा लाइन आगे जाए. तीसरा ये कि दोनों ही स्टेशनों की बीच जमीन तलाशकर हॉल्ट बन जाए.
पिछले दिनों मार्च में खबर आई थी कि नोएडा अथॉरिटी ने एक स्काईवॉक परियोजना पर काम शुरू किया है, जिसकी लागत 9 करोड़ रुपये है. इस स्काईवॉक की लंबाई 420 मीटर और चौड़ाई 5 मीटर होगी. यूं तो इसके पूरे होने की डेडलाइन अक्टूबर तक थी. लेकिन अब लगता है कि अभी मेट्रो के लिए नोएडा एक्सटेंशन वालों को और इंतजार करना होगा.