DNA: साल में दो बार बोर्ड एग्जाम, सब्जेक्ट्स को लेकर ऑप्शन्स; समझिए नए करिकुलम की ABCD
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DNA: साल में दो बार बोर्ड एग्जाम, सब्जेक्ट्स को लेकर ऑप्शन्स; समझिए नए करिकुलम की ABCD

New Education Policy: बोर्ड एग्जाम्स को लेकर तीन बड़े बदलाव किए गए हैं. पहला और बड़ा बदलाव तो ये है कि अब से बोर्ड एग्जाम्स साल में एक बार नहीं, दो बार होंगे.  दूसरा बदलाव ये है कि अब 11वीं और 12वीं क्लास में स्ट्रीम के आधार पर विषय चुनने की बाध्यता खत्म होगी. और तीसरा बदलाव ये है कि - 11वीं और 12वीं कक्षा के स्टूडेंट्स को अब दो भाषाएं पढ़नी होंगी. 

DNA: साल में दो बार बोर्ड एग्जाम, सब्जेक्ट्स को लेकर ऑप्शन्स; समझिए नए करिकुलम की ABCD

Board Exam Twice a Year: केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत न्यू करिकुलम फ्रेमवर्क तैयार कर लिया है, जिसमें बोर्ड एग्जाम्स को लेकर तीन बड़े बदलाव किए गए हैं. पहला और बड़ा बदलाव तो ये है कि अब से बोर्ड एग्जाम्स साल में एक बार नहीं, दो बार होंगे.  दूसरा बदलाव ये है कि अब 11वीं और 12वीं क्लास में स्ट्रीम के आधार पर विषय चुनने की बाध्यता खत्म होगी. और तीसरा बदलाव ये है कि - 11वीं और 12वीं कक्षा के स्टूडेंट्स को अब दो भाषाएं पढ़नी होंगी. 

ये बदलाव अगले अकैडमिक सेशन यानी वर्ष 2024-25 से लागू होंगे. अब अगर आप ये सोच रहे हैं कि इन तीनों बदलावों से क्या होगा और इन बदलावों से छात्रों को क्या फायदा होने वाला है तो अब एक-एक करके हम आपको ये भी समझाते हैं और इन बदलावों का मतलब बताते हैं. 

पहले बदलाव का फायदा

  • पहला और सबसे बड़ा बदलाव तो यही है कि अब साल में सिर्फ एक बार नहीं, बल्कि दो बार बोर्ड एग्जाम्स होंगे. लेकिन अगर आप सोच रहे हैं कि ये सेमेस्टर सिस्टम की तरह होगा, यानी साल में दो बार एग्जाम्स होंगे और दोनों एग्जाम्स के नंबर्स जोड़कर फाइनल रिजल्ट तैयार होगा, तो ऐसा नहीं है. अब आप सोचेंगे कि ऐसा नहीं है तो फिर कैसा है ? ये हम आपको समझाते हैं.

  • अभी होता ये है कि साल में एक बार बोर्ड एग्जाम होता है और कोई स्टूडेंट एग्जाम में फेल हो जाए, तो उसे अगले पूरे साल उसी कक्षा में पढ़ना पड़ता है. 

  • नए बदलाव के बाद अब स्टूडेंट्स के पास ये ऑप्शन रहेगा कि वो दो बार एग्जाम दे, अगर एक बार फेल हो भी जाएं, तो उसी साल दूसरा एग्जाम दे सकें. 

  • यानी नए बदलाव के बाद अब फेल होने वाले स्टूडेंट्स का पूरा साल बर्बाद नहीं होगा, क्योंकि पहले एग्जाम में फेल होने पर भी उनके पास उसी साल, दूसरा एग्जाम देकर पास होने का विकल्प होगा. 

पॉइंट नंबर 2

  • अभी होता ये है कि अगर किसी विषय में कम नंबर आ जाएं, तो ये विकल्प नहीं होता कि सिर्फ उस विषय का दोबारा पेपर दिया जा सके. 

  • लेकिन नए बदलाव के बाद अगर किसी स्टूडेंट के पहले एग्जाम में किसी विषय में कम नंबर आएं, तो वो दूसरे एग्जाम में सिर्फ उसी विषय का पेपर दे सकता है. 

  • इसे एक उदाहरण से समझिये, मान लीजिये अगर बोर्ड के एग्जाम में आपके टोटल 95 प्रतिशत मार्क्स आए, लेकिन एक विषय में 85 नंबर आए, जिससे आप संतुष्ट नहीं है, तो नये बदलाव के बाद आप दूसरे एग्जाम में सिर्फ उसी विषय का पेपर दे सकते हैं. 

पॉइंट नंबर 3 

  • अभी साल में एक बार ही बोर्ड के एग्जाम होते हैं और स्टूडेंट्स की तैयारी हो या ना हो, एग्जाम में बैठना पड़ता है.

  • लेकिन नए बदलाव के बाद, विकल्प होगा अगर स्टूडेंट को लगता है कि वो पहले एग्जाम में सिर्फ दो विषयों के पेपर देना चाहता है, क्योंकि बाकी विषयों का पेपर देने के लिए उसकी तैयारी पूरी नहीं है, तो वो ऐसा भी कर सकता है. 

  • स्टूडेंट्स के पास ये चॉइस भी होगी कि दोनों एग्जाम्स में से जिस एग्जाम में उसके ज्यादा नंबर आएं, वो उस एग्जाम का रिजल्ट चुन सकता है. 

  • सरकार का कहना है कि दो बार बोर्ड एग्जाम का नियम स्टूडेंट्स के हित में जारी किया गया है. ताकि बोर्ड एग्जाम का डर और खौफ स्टूडेंट्स के दिल से निकाला जा सके. 

  • तो ये हुई बोर्ड एग्जाम्स के पैटर्न में होने वाले बदलाव की बात. अब बाकी के दो बदलाव जो नई शिक्षा नीति के तहत होने वाले हैं, वो भी आपको बताते हैं. 

  • एक और बड़ा बदलाव ये हुआ है कि अब 11वीं और 12वीं में स्ट्रीम सिलेक्ट करने की बाध्यता खत्म हो जाएगी.

  • अभी 11वीं में स्टूडेंट्स को एक स्ट्रीम चुननी होती है, जैसे कि साइंस, कॉमर्स या आर्ट्स  और फिर उस स्ट्रीम में शामिल विषयों में से ही चुनाव करना होता है.

  • लेकिन अब स्ट्रीम सिस्टम को ही खत्म कर दिया जाएगा और कोई भी विषय चुनने की आजादी स्टूडेंट्स को मिलेगी. अब उदाहरण के जरिये इसका मतलब आपको समझाते हैं.

  • अगर अभी किसी स्टूडेंट ने साइंस साइड चुनी तो वो हिस्ट्री का विषय नहीं ले सकता और अगर किसी ने कॉमर्स साइड चुनी तो वो कैमिस्ट्री नहीं पढ़ सकता. इसी तरह किसी ने आर्ट साइड चुनी तो वो स्टूडेंट, अकाउंट्स या बायोलॉजी विषय नहीं ले सकता.

  • लेकिन अब ये सारी बाध्यता खत्म हो जाएंगी. स्टूडेंट्स चाहेंगे तो कैमिस्ट्री के साथ हिस्ट्री भी पढ़ सकेंगे. और अकाउंट्स के साथ-साथ फिजिक्स का विषय भी ले सकेंगे .

  • और तीसरा बदलाव ये किया गया है कि नए पाठ्यक्रम के मुताबिक ग्यारहवीं और बारहवीं कक्षा में अब दो भाषाएं पढ़नी होंगी.  नए पाठ्यक्रम में कहा गया है कि जो दो भाषाएं पढ़नी जरूरी होंगी, उनमें एक भारतीय भाषा होनी जरूरी है. 

  • अभी सिर्फ एक भाषा पढ़ना अनिवार्य है और वो भाषा भारतीय या विदेशी हो सकती है. लेकिन अब स्टूडेंट्स के लिए जरूरी होगा कि वो दो भाषाएं पढ़ें. एक भाषा, भारतीय हो, जैसे कि हिंदी, मलयालम, तमिल या कोई और. दूसरी भाषा के तौर पर स्टूडेंट्स अंग्रेजी या कोई दूसरी भाषा पढ़ सकते हैं या फिर चाहें तो दूसरी भाषा भी भारतीय ले सकते हैं. लेकिन दोनों विदेशी भाषा नहीं ले सकते.

  • ये सारे बदलाव, नए सत्र यानी 2024 के सेशन से लागू हो जाएंगे. हमने इन बदलावों को लेकर स्टूडेंट्स, पैरेंट्स और टीचर्स की राय भी जानी है, जिनकी राय, इन नए बदलावों को लेकर बंटी हुई है. कई सारे कन्फ्यूजन भी हैं. 

क्या हैं माता-पिता के कन्फ्यूजन?

  • एक कन्फ्यूजन तो ये है कि बोर्ड के एग्जाम, सेमेस्टर वाइज यानी 6-6 महीने में होंगे या एक-दो महीने के अंतर में ?

  • अगर 6-6 महीने के अंतर पर एग्जाम होंगे तो फिर 6 महीने में विषय का कोर्स पूरा कैसे होगा ?

  • अगर किसी स्टूडेंट के पहले ही एग्जाम में अच्छे नंबर आ जाएं तो क्या उसे दूसरी बार भी एग्जाम देना जरूरी होगा ?

  • अगर स्ट्रीम खत्म कर दी जाएंगी, तो फिर मेडिकल, इंजीनियरिंग और अन्य प्रोफेशनल कोर्सेज में एडमिशन कैसे होंगे ? इसके अलावा एक और बदलाव है..जिसकी काफी चर्चा है.

  • दरअसल अभी नौंवी और दसवीं कक्षा में पांच मुख्य विषय और एक ऑप्शनल विषय का एग्जाम होता है. लेकिन अब नौंवी और दसवीं में कुल दस विषय के एग्जाम होंगे, जिनमें 7 मेन सब्जेक्ट और तीन भाषा होंगी, जिनमें से कम से कम दो भारतीय भाषाएं होना जरूरी होगा. 

  • सूत्रों के मुताबिक, नेशनल एजुकेशन कमेटी में अभी इन बदलावों पर विचार-विमर्श का दौर जारी है, और इन सारे बदलावों को लेकर फैल रहे कन्फ्यूजन को लेकर जल्द ही नई घोषणाएं भी की जा सकती हैं.

  • भारत की शिक्षा में नए बदलावों को लेकर सरकार काफी उत्साहित है और इसे छात्रों के हित में बता रही है. लेकिन नए बदलावों को लागू करने से पहले जरूरी है कि इससे जुड़े कन्फ्यूजन्स को दूर किया जाए.

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