Kasrawad Vidhan Sabha Seat: मध्य प्रदेश के खरगोन जिले की कसरावद विधानसभा सीट (Maheshwar Seat Analysis) पर वर्तमान में कांग्रेस का कब्जा है. इस बार यहां का क्या समीकरण होगा और इस सीट का क्या इतिहास है यहां जानें.
Trending Photos
Kasrawad Vidhan Sabha Seat: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव का ऐलान कभी भी हो सकता है. ऐसे में राजनीतिक दल एक-एक विधानसभा सीट पर तैयारियों में जुटे हैं. खरगोन जिले के कसरावद सीट को कांग्रेस के गढ़ के तौर पर जाना जाता है. मध्यप्रदेश में सहकारिता के जनक सुभाष यादव के बाद इस सीट पर उनके बेटे सचिन यादव यहां से विधायक हैं. आइए जानते हैं कसरावद विधानसभा सीट का समीकरण-
बता दें कि बीजेपी ने इस सीट से पूर्व विधायक आत्माराम पटेल को 2023 विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार बनाया है. मौजूदा समय में कांग्रेस के सचिन यादव इस विधायक हैं. सब कुछ सही रहा तो इस सीट से कांग्रेस सचिन को ही टिकट देगी.
कसरावद सीट का जातीय समीकरण
कसरावद विधानसभा सीट पर यादव समाज बाहुल्य है. यहां पाटीदार, राजपूत और पटेल समुदाय अच्छी खासी संख्या है. जो चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते हैं. इस सीट पर कुल मतदाता करीब 2 लाख से ज्यादा है.
कुल मतदाता -207825
पुरुष मतदाता -107010
महिल मतदाता -100811
कसरावद सीट का राजनीतिक इतिहास
खरगोन जिले की कसरावद सीट साल 1977 में अस्तित्व में आई थी. मध्यप्रदेश में सहकारित के जनक कहे जाने वाले दिवंगत कांग्रेस नेता सुभाष यादव का यहां भारी दबदबा था. ये सीट उनके बेटे सचिन के नाम पर हैं, लेकिन आज भी सुभाष यादव की सीट की नजर से देखा जाता रहा है. 1993, 1998, 2003 में सुभाष यादव यहां से लगातार चुनाव जीते थे. लेकिन वो 2008 में अपना अंतिम चुनाव भीतरघात के कारण हार गए थे. फिर 2013 में सचिन ने अपने पिता का बदला लिया और 2018 में वो चुनाव जीते. अब ऐसे में सचिन यादव के सामने जीत की हैट्रिक लगाना कड़ी और बड़ी चुनौती होगी.
2018 में कैसा रहा परिणाम
2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के सचिन यादव ने बीजेपी के आत्माराम पटेल को बड़े अंतर से हराया था. सचिन यादव को यहां से 79,685 वोट मिले थे, जबकि बीजेपी के आत्मराम पटेल को 67,880 वोट मिले थे. सचिन ने ये चुनाव 5,539 वोटों से जीत लिया था.
कैसे रहे अब तक चुनाव परिणाम
2018 में कांग्रेस से सचिन यादव
2013 में कांग्रेस से सचिन यादव
2008 में बीजेपी में आत्मा राम पटेल
2003 में कांग्रेस से सुभाष यादव
1998 में कांग्रेस से सुभाष यादव
1993 में कांग्रेस से सुभाष यादव
1990 में बीजेपी से गजानंद जिनवाला
1985 में कांग्रेस से रमेशचंद्र मंडलोई
1980 में कांग्रेस से रमेशचंद्र मंडलोई
1977 में जनता पार्टी से बंकिम जोशी