थर-थर कांपेंगे देश के दुश्मन! इगला की हाईटेक मिसाइल जल्द भारत में, बनेगा दुनिया का चौथा राष्ट्र
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थर-थर कांपेंगे देश के दुश्मन! इगला की हाईटेक मिसाइल जल्द भारत में, बनेगा दुनिया का चौथा राष्ट्र

Igla Missile: रूस की मिसाइल इगला का भारत में उत्पादन शुरू हो चुका है लेकिन ये केवल पहला कदम है. भारत ने रूस के साथ अत्याधुनिक इगला SA 24 के भारत में उत्पादन का समझौता किया है.

थर-थर कांपेंगे देश के दुश्मन! इगला की हाईटेक मिसाइल जल्द भारत में, बनेगा दुनिया का चौथा राष्ट्र

Indian Defence System: भारत जल्द ही दुनिया का चौथा ऐसा देश बन सकता है  जिसके पास कंधे पर रखकर ज़मीन से मार करने वाली ऐसी मिसाइल होगी जिसका निशाना कभी नहीं चूकेगा. असल में अमेरिका की स्टिंगर और रूस की इगला के अलावा केवल फ्रांस की मिसाइल को ही इतनी आधुनिक मिसाइल माना जाता है जिससे कोई सैनिक ज़मीन से ही फ़ाइटर जेट से लेकर हेलीकॉप्टर तक को आसानी से गिरा सकेगा. रूस की मिसाइल इगला का भारत में उत्पादन शुरू हो चुका है लेकिन ये केवल पहला क़दम है. दोनों देशों के रक्षा उत्पादन से जुड़े महत्वपूर्ण सूत्र के मुताबिक इगला का भारत में उत्पादन इस अचूक हथियार के स्वदेशी संस्करण का पहला कदम होगा.

रूस से आधुनिक इगला मिली!
दरअसल, भारतीय सेनाएं 1990 के दशक से ही इगला के पुराने संस्करण का प्रयोग करती रही हैं. इगला भारतीय वायुसेना के अलावा सेना का पास भी है और बहुत पास आ चुके दुश्मन के एयरक्राफ्ट या हेलीकॉप्टर के लिए बहुत क़ारगर सुरक्षा देती रही है. 1992 में इगला के ज़रिए एक पाकिस्तानी हेलीकॉप्टर को भी गिराया गया था. 2019 के बालाकोट हमले के बाद भारत को रूस से आधुनिक इगला मिली थीं ताकि पाकिस्तान की तरफ़ से होने वाले किसी हवाई हमले का मुक़ाबला किया जा सके.

SA 24 के भारत में उत्पादन का समझौता
अब भारत ने रूस के साथ अत्याधुनिक इगला SA 24 के भारत में उत्पादन का समझौता किया है. इगला SA 2 का वारहेड पुरानी इगला से लगभग दोगुना बड़ा है और इसकी रेंज पिछली 5000 मीटर के बजाए 6000 मीटर की है. ये इगला बहुत तेज़ गति या बहुत धीमी गति से चलने वाले किसी भी एयरक्राफ्ट को तबाह करने के लिए कारगर है. इसका निशाना अचूक है. भारत में निर्मित इगला SA 24 को भारतीय सेनाओं को सौंपा जाना शुरू भी हो चुका है. लेकिन अब भारत इगला SA 24 की ही तरह अपनी मिसाइल विकसित करने की तैयारी में है. 

वॉरहेड को विकसित किया जाएगा
सूत्रों के मुताबिक अगले तीन साल में इस मिसाइल को विकसित करने कर लिया जाएगा. अभी भारत में मिसाइल के कंटेनर जैसे वो हिस्से बनाए जा रहे हैं जिनकी तकनीक ज्यादा मुश्किल नहीं है. इसके बाद मुख्य मिसाइल के हिस्से और वॉरहेड को विकसित किया जाएगा. संभावना है कि अगले पांच साल में भारत अपनी इस मिसाइल को उत्पादन के लिए तैयार कर देगा. अभी इस तरह की Man portable air defence systems या MANPADS मिसाइलों में अमेरिकी स्टिगर, रूस की इगला और फ्रांस की मिस्त्राल को ही सबसे अच्छा माना जाता है.

पाकिस्तान ने चीन के सहयोग से अंज़ा MANPADS बनाकर अपनी सेना में शामिल किया है लेकिन उनकी क्षमता पर हमेशा सवाल उठते रहे हैं. भारतीय वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने मिसाइल के क्षेत्र में भारत को बहुत आगे पहुंचा दिया है. इसलिए स्वेदेशी MANPADS बनने में ज्यादा मुश्किल नहीं आएगी.

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