भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक ने असम की अपनी तीन दिवसीय यात्रा शुक्रवार को प्रसिद्ध कामाख्या मंदिर के दर्शन करके शुरू की. वांगचुक की यह यात्रा भूटान के किसी भी राजा की असम की पहली यात्रा है.
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भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक ने असम की अपनी तीन दिवसीय यात्रा शुक्रवार को प्रसिद्ध कामाख्या मंदिर के दर्शन करके शुरू की. वांगचुक की यह यात्रा भूटान के किसी भी राजा की असम की पहली यात्रा है. वांगचुक रविवार भारत की अगले चरण की यात्रा के तहत रविवार को जोरहाट से नई दिल्ली के लिए रवाना होंगे.
भूटान नरेश का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ महत्वपूर्ण चर्चा करने का कार्यक्रम है. विदेश मंत्रालय ने बताया है, उनकी यात्रा में असम के साथ ही महाराष्ट्र के दौरे भी शामिल होंगे.
चीन के साथ भूटान की बढ़ती नजदीकी
भूटान नरेश की यह यात्रा चीन और भूटान द्वारा बीजिंग में 25वें दौर की सीमा वार्ता आयोजित करने के कुछ हफ्तों के बाद रही है. इस दौरान दोनों पक्षों के बीच ‘भूटान-चीन सीमा के परिसीमन और सीमांकन पर संयुक्त तकनीकी टीम (जेटीटी) की जिम्मेदारियों और कार्यों’ को लेकर सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर भी हुए.
दोनों देशों ने 2016 में सीमा वार्ता का आखिरी दौर आयोजित किया था. नया समझौता सीमा मुद्दे को हल करने के लिए 2021 में अंतिम रूप दिए गए तीन-चरणीय रोडमैप पर आधारित है. सीमा के परिसीमन पर पहली तकनीकी वार्ता अगस्त में हुई थी.
इस समझौते पर हस्ताक्षर डोकलाम ट्राई-जंक्शन क्षेत्र में भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच 73 दिनों के गतिरोध के चार साल बाद हुआ, जो भूटान द्वारा दावा किए गए क्षेत्र में सड़क का विस्तार करने के चीन के प्रयास से शुरू हुआ था. डोकलाम संघर्ष के बाद भारत और चीन के बीच सीमा पर गतिरोध कायम है.
भूटान के विदेश मंत्री का चीन दौरा
भूटान के विदेश मंत्री टांडी दोरजी ने उप विदेश मंत्री सुन वेइदोंग के साथ सीमा वार्ता के बाद बीजिंग में अपने चीनी समकक्ष वांग यी से मुलाकात की. इस वार्ता के दौरान सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए गए और दोनों पक्षों ने कहा है कि वे जल्द ही सीमा समझौता चाहते हैं.
भारत का एकमात्र पड़ोसी जो नहीं है बीआरआई में शामिल
भारत के पड़ोस में भूटान एकमात्र ऐसा देश है जो आधिकारिक तौर पर चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) में शामिल नहीं हुआ है. हालांकि, चीन को उम्मीद है कि सीमा मुद्दा सुलझने के बाद भूटान के साथ राजनयिक संबंध सामान्य हो जाएंगे.
भारत की चिंता
भूटान और चीन के बीच हालिया वार्ता जिस गति से आगे बढ़ी है, उसने नई दिल्ली में पर्यवेक्षकों को हैरान कर दिया है.
मीडिया रिपोट्स के मुताबिक मामले से परिचित लोगों का मानना है कि भूटान राजा अपनी यात्रा का इस्तेमाल इंडियन लीडरशिप को चीन के साथ सीमा वार्ता पर भूटान का पक्ष समझाने के लिए कर सकते हैं.
भारत दे सकता स्पष्ट संदेश
वहीं भारत नेपाल को यह स्पष्ट संदेश दे सकता है कि चीन के साथ सीमा समझौते तक पहुंचने में भूटान की कार्रवाई से भारत की सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं होना चाहिए, खासकर महत्वपूर्ण डोकलाम ट्राइ-जंक्शन मुद्दे पर.
भारत और भूटान की 649 किलोमीटर की साझा सीमा है, जिसमें से 267 किलोमीटर की सीमा असम के साथ लगती है.