Doctor's Alcohol Habit: डॉक्टर हमेशा अपने मरीजों और आम जनता को नशे से दूर रहने की सलाह देते रहते हैं. डॉक्टरों के पास जब कोई मरीज जाता है, तो उनके यह सवाल जरूर होता है कि सिगरेट-शराब तो नहीं पीते? जब मरीज हां में जवाब देता है तो उसे डॉक्टर इन आदतों से दूरी बनाने के लिए कहते हैं.
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Doctor's Alcohol Habit: डॉक्टर हमेशा अपने मरीजों और आम जनता को नशे से दूर रहने की सलाह देते रहते हैं. डॉक्टरों के पास जब कोई मरीज जाता है, तो उनके यह सवाल जरूर होता है कि सिगरेट-शराब तो नहीं पीते? जब मरीज हां में जवाब देता है तो उसे डॉक्टर इन आदतों से दूरी बनाने के लिए कहते हैं. ऐसे में मरीज के मन में भी कहीं न कहीं ये सवाल जरूर उठता ही होगा कि उन्हें सलाह देने वाला डॉक्टर शराब-सीगरेट पीता है या नहीं? इन बातों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने सभी डॉक्टरों के लिए एडवाइजरी जारी की है.
सरकार ने विचार-विमर्श के बाद यह मन बनाया है कि डॉक्टरों को शराब से दूरी बनानी चाहिए. इसे लेकर देश के स्वास्थ्य निदेशक ने डॉक्टरों को एक एडवाइजरी जारी की है. इसमें कहा गया है कि डॉक्टरों को शराब के सेवन से दूरी बनानी चाहिए. इस एडवाइजरी में बल देकर कहा गया है कि डॉक्टरों को मेडिकल कांफ्रेंस और सेमिनार के वक्त शराब से बिल्कुल दूर रहना चाहिए, यहां तक कि डॉक्टरों के आगे शराब परोसनी ही नहीं चाहिए.
इस एडवाइजरी में WHO के आंकड़ों का भी हवाला दिया गया है. WHO के आंकड़े में सामने आया है कि देश में 63% लोग खराब लाइफस्टाइल के चलते अपनी जान गंवा देते हैं. चौंकाने वाली बात यह है कि इन सभी मौत में सबसे बड़ा कारण लगभग 27% दिल की बीमारी वजह है. वहीं, 11% लोगों की मौत कारण सांस की बीमारी बताई गई है. 9% मरीजों की मौत कैंसर की वजह से होती है.
इस एडवाइजरी के पीछे सरकार की सोच यह है कि अगर डॉक्टर इन बुरी आदतों से दूरी बनाएंगे तो समाज में एक अच्छा संदेश जाएगा. ऐसे में हेल्थ केयर एक्सपर्ट्स को आदर्श स्थापित करना चाहिए और सेमिनार वर्कशाप जैसे आयोजनों में शराब का सेवन नहीं करना चाहिए. डीजीएचएस की चिट्ठी में आंकड़ों के साथ बताया गया है दुनिया की तमाम बीमारियों में से 5% का कारण शराब की आदत है. इसमें कहा गया है कि अगर भारत की बात करें तो शराब, तंबाकू, खराब खान पान और आलस बीमारियों की बड़ी वजह बनता जा रहा है. ऐसे में डॉक्टर इन चीजों से दूरी बनाकर लोगों के लिए रोल मॉडल बनें. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने भी इस एडवाइजरी को सही कदम बताया है.
सरकार की एडवाइजरी मिलने के बाद कुछ डॉक्टरों ने मायूसी बयां की है. डॉक्टरों का कहना है कि ये पेशा बेहद तनाव भरा होता है. इसलिए डॉक्टरों को इंसान समझते हुए उन्हें रहम दी जाए. जाने-माने मनोचिकित्सक डॉ. निमेष देसाई ने कहा कि डॉक्टरों को थोड़ी तो छूल मिलनी चाहिए.
सरकार की एडवाइजरी पर छलका डॉक्टरों का दर्द
पेशंट कहते हैं घर जाना छोड़ दो
Wife कहती है ज्यादा काम छोड़ दो
सरकार कहती है पैसे मांगना छोड़ दो
और NMC कहती दारू छोड़ दो
हाल ही में एक स्टडी सामने आई थी जिसमें डॉक्टरों की शराब पीने की आदतों को हाईलाइट किया गया था. 2006 से 2020 के बीच मिले 17 देशों के आंकड़ों पर यह स्टडी आधारित है. इस स्टडी में 52 हज़ार (51680) मेडिकल रेजीडेंट्स और डॉक्टरों से सवाल पूछे गए. इस स्टडी के मुताबिक 2006 से 2010 के बीच 16.3% मेडिकल प्रोफेशनल्स को शराब की ऐसी लत थी कि उन्हें Problem Drinker के ब्रैकेट में रखा गया. 2020 में यह आंकड़ा बढ़कर 27% तक पहुंच गया. वहीं, एडवाइजरी पर डॉक्टरों की प्रतिक्रिया के बीच स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी कहा कि यह सिर्फ एक सलाह है, इसे निर्देश नहीं कहना चाहिए.
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