क्या वक्फ बोर्ड की जमीन पर बनी है संसद भवन की इमारत, बदरुद्दीन अजमल के बयान का Fact Check
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क्या वक्फ बोर्ड की जमीन पर बनी है संसद भवन की इमारत, बदरुद्दीन अजमल के बयान का Fact Check

 देश में जिस हिसाब से वक्फ बोर्ड को लेकर अलग अलग दावे पेश किए जा रहे हैं. उससे तो अब ये लगने लगा है कि एक दिन आएगा जब पूरे देश पर वक्फ बोर्ड अपना दावा ठोक देगा. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि अब AIUDF सांसद बदरुद्दीन अजमल ने संसद भवन पर ही वक्फ बोर्ड का दावा ठोक दिया है.

क्या वक्फ बोर्ड की जमीन पर बनी है संसद भवन की इमारत, बदरुद्दीन अजमल के बयान का Fact Check

Badruddin Ajmal: देश में जिस हिसाब से वक्फ बोर्ड को लेकर अलग अलग दावे पेश किए जा रहे हैं. उससे तो अब ये लगने लगा है कि एक दिन आएगा जब पूरे देश पर वक्फ बोर्ड अपना दावा ठोक देगा.

हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि अब AIUDF सांसद बदरुद्दीन अजमल ने संसद भवन पर ही वक्फ बोर्ड का दावा ठोक दिया है. जी हां संसद भवन. अजमल साहब जो कह रहे हैं चलिए उन दावों का फैक्ट चेक करते हैं.

अजमल ने क्या दिया बयान?

जिस लोकसभा में भारत के संविधान की शपथ ली थी. लोकतंत्र के उसी मंदिर को बदरुद्दीन अजमल साहब वक्फ की संपत्ति करार दे रहे हैं. बदरुद्दीन अजमल का दावा क्या है सबसे पहले आपको वो बताते हैं. बदरुद्दीन अजमल न जाने क्या खाकर आए थे कि ऐसी बहकी बहकी बातें कर रहे थे.

संसद भवन से आगे बढ़े और दिल्ली के वसंत विहार और दिल्ली के इंटरनेशनल एयरपोर्ट को भी वक्फ की संपत्ति करार दिया. बदरुद्दीन अजमल से जब इस दावे को सच साबित करने पर सवाल किया गया तो जानिए क्या कहते हैं. अजमल ने कहा- आप लोग जाइए, इंटरनेट पर तलाश करिए. हमारे पास एक साहब ने लिस्ट दिया है. उसमें रिपोर्ट होगा. अरे साहब जब रिपोर्ट होगा तो दिखाइये भी. ऐसे कुछ भी बोल देंगे क्या.

खैर कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना. नेतागीरी भी चमकानी है तो कुछ तो बोलेंगे. लेकिन हद तो तब हो गई जब वक्फ बिल के विरोध में खड़ी बाकी विपक्षी पार्टियां भी उनके सुर से सुर मिलाने लग गईं.

अजमल के बयान पर राजनीति शुरू

एक तरफ बदरुद्दीन अजमल और उनके सहयोगी उनके दावों को सच मान रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ सत्ताधारी पार्टियां इसे वोटबैंक की राजनीति करार दे रही हैं. वक्फ संशोधन बिल जब से जेपीसी के पास गया है तब से वक्फ बोर्ड के ऐसे कई दावे सामने आ गए. लेकिन संसद भवन पर वक्फ बोर्ड का दावा वाकई हैरान करने वाला है.

क्या है सच्चाई?

बदरुद्दीन अजम संसद भवन पर वक्फ का जो दावा बता रहे हैं चलिए जरा उन्हें कुछ फैक्ट्स दिखा देते हैं. जहां इस वक्त संसद भवन है वहां कभी मालचा और रायसेना गांव हुआ करता था. संसद भवन के लिए 1911 में जमीन का अधिग्रहण शुरू हुआ. 1911 से 1915 के बीच में अधिग्रहण का काम चला. मालचा गांव के लोगों को मुआवजा देकर जमीन ली गई. भूमि अधिग्रहण अधिनियम 1894 के तहत जमीन ली गई थी. ये सारी जानकारी राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स मंत्रालय ने दिए थे. ऐसे न जाने वक्फ बोर्ड कब और कहां से बीच में आ गया.

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