Ameen Sayani: मैं आपका दोस्त... पता है तब श्रीलंका से क्यों आती थी अमीन सयानी की वो खनकती आवाज
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Ameen Sayani: मैं आपका दोस्त... पता है तब श्रीलंका से क्यों आती थी अमीन सयानी की वो खनकती आवाज

Ameen Sayani Death: भारत में रेडियो की वो सबसे मशहूर आवाज हमेशा हमेशा के लिए खामोश हो गई है. अमीन सयानी नहीं रहे. लोग उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं. पुराने दौर को याद कर रहे हैं जब रेडियो सीलोन से उनकी आवाज भारत के करोड़ों घरों में गूंजती थी.  

Ameen Sayani: मैं आपका दोस्त... पता है तब श्रीलंका से क्यों आती थी अमीन सयानी की वो खनकती आवाज

Ameen Sayani Radio Ceylon: नमस्कार बहनों और भाइयो, मैं आपका दोस्त अमीन सयानी बोल रहा हूं... रेडियो सुनने वालों के कानों में गूंजने वाली वो खनकती आवाज हमेशा के लिए खामोश हो गई है. करोड़ों लोगों के चहेते जाने माने रेडियो उद्घोषक अमीन सयानी का 91 साल उम्र में निधन हो गया. उनके साथ भारत की एक पीढ़ी ने खुद को रेडियो से कनेक्ट करना सीखा था. कार्यक्रम ‘बिनाका गीतमाला’ ने उन्हें काफी लोकप्रियता दिलाई, क्या आप जानते हैं कि एक समय अमीन सयानी की आवाज श्रीलंका के रेडियो स्टेशन से प्रसारित होती थी. 

वो बिनाका गीतमाला का दौर था

जी हां, आज की पीढ़ी को शायद न पता हो. अमीन सयानी एशिया के पहले रेडियो स्टेशन सीलोन के लिए कार्यक्रम करते थे. बिनाका गीतमाला कार्यक्रम तब घर-घर में सुना जाता था. उस समय की पीढ़ी याद करती है कि तब हर बुधवार रात 8 से 9 बजे तक बिनाका गीतमाला सुनने के लिए लोग रेडियो से चिपक जाते थे. नगमे सुनते-सुनते वक्त कब गुजर जाता, पता ही नहीं चलता. श्रीलंका की राजधानी कोलंबो के बीचोबीच रेडियो सीलोन की बिल्डिंग थी. 

रेडियो पर क्यों बैन हुए फिल्मी गाने?

दरअसल, हुआ यूं कि तत्कालीन सूचना एवं प्रसारण मंत्री बी वी केसकर ने आकाशवाणी से हिंदी गानों पर प्रतिबंध लगा दिया. 1950 के दशक में बीवी केसकर सूचना एवं प्रसारण मंत्री बने थे और 10 साल रहे. उनका मानना था कि फिल्मी गाने पश्चिमी संस्कृति से प्रभावित हैं और हमें क्लासिकल म्यूजिक को बढ़ावा देना चाहिए और उसे ही रेडियो पर सुनना चाहिए. यही वजह थी कि फिल्मी गाने रेडियो पर सुनाई देने बैन हो गए. 

इसके बाद रेडियो सीलोन लोकप्रिय होने लगा. सयानी को दिसंबर 1952 में रेडियो सीलोन पर 'बिनाका गीतमाला' पेश करने का मौका मिला, फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. यह शो 1952 से 1994 तक 42 साल तक जबर्दस्त लोकप्रियता हासिल करता रहा. यह भी जान लीजिए कि भारत में रेडियो का दौर 1923 से शुरू हो गया था. 1936 तक ऑल इंडिया रेडियो अस्तित्व में आ चुका था. तब ज्यादातर प्रसारण लाइव होता था. 

बचपन से प्रोग्राम करने लगे थे सयानी

- उनका जन्म 21 दिसंबर, 1932 को मुंबई में हुआ था. उन्हें बचपन से ही लिखने का शौक था.

- महज 13 साल की उम्र में अमीन सयानी ने अपनी मां की पाक्षिक पत्रिका 'रहबर' के लिए लिखना शुरू कर दिया था.

- यही वह उम्र थी जब वह अंग्रेजी भाषा में एक कुशल प्रस्तोता बन गए और उन्होंने आकाशवाणी मुंबई की अंग्रेजी सेवा में बच्चों के कार्यक्रमों में भाग लेना शुरू कर दिया था.

- हालांकि जब सयानी ने ‘हिंदुस्तानी’ में प्रस्तुति देने के लिए ऑडिशन दिया तो उनकी आवाज में हल्का गुजराती लहजा होने के कारण उनका चयन नहीं किया गया था. बाद में उनका जादू देशभर में छा गया. 

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