Pollution: सेंट्रल पलूशन कंट्रोल बोर्ड की तमाम सख्ती के बाद भी दिल्ली और एनसीआर के शहरों की हवा फिर से जहरीली होने लगी है. हमेशा की तरह इस बार भी दिवाली के बाद राजधानी और उसके आसपास के शहरों में एयर क्वॉलिटी इंडेक्स (एक्यूआई) काफी खराब स्थिति में पहुंच चुका है.
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Air Pollution Alert for Delhi NCR: सेंट्रल पलूशन कंट्रोल बोर्ड की तमाम सख्ती के बाद भी दिल्ली और एनसीआर के शहरों की हवा फिर से जहरीली होने लगी है. हमेशा की तरह इस बार भी दिवाली के बाद राजधानी और उसके आसपास के शहरों में एयर क्वॉलिटी इंडेक्स (एक्यूआई) काफी खराब स्थिति में पहुंच चुका है. कई इलाकों में लोगों को सांस लेने में दिक्कत महसूस होने लगी है. शनिवार सुबह दिल्ली और एनसीआर के कुछ शहरों का एक्यूआई काफी डराने वाला था. आइए जानते हैं कहां की हवा कितनी खराब रही.
दिल्ली में सबसे खराब हवा कहां
सेंट्रल पलूशन कंट्रोल बोर्ड की ओर से शनिवार को जारी किए गए डेटा के मुताबिक, दिल्ली विश्वविद्यालय क्षेत्र में एक्यूआई 355 रिकॉर्ड किया गया, जबकि मथुरा रोड एरिया में यह 340 रिकॉर्ड किया गया. दिल्ली के अन्य इलाकों में भी स्थिति खराब ही रही. यानी वहां भी हवा का स्थर काफी खराब रिकॉर्ड किया गया. सबसे खराब हवा आनंद विहार एरिया की है. यहां सुबह का एक्यूआई डेटा 455 रिकॉर्ड किया गया है.
एनसीआर के शहरों का हाल
बात अगर एनसीआर के शहरों की करें तो शनिवार सुबह के डेटा के हिसाब से नोएडा का एक्यूआई 392 रिकॉर्ड किया गया. गाजियाबाद में वसुंधरा इलाके में सबसे खराब हवा रही. यहां का एक्यूआई शनिवार सुबह 423 रिकॉर्ड किया गया. इसके बाद लोनी में 392 एक्यूआई रहा. फरीदाबाद का एक्यूआई 447 रहा, जबकि गुड़गांव में यह 391 दर्ज हुआ.
क्या होता है स्मॉग
स्मॉग खतरनाक गैसों और कोहरे के मेल से बनता है. गाड़ियों और फैक्टरियों से निकले धुएं में मौजूद राख, सल्फर, नाइट्रोजन, कार्बन डाई ऑक्साइड और अन्य खतरनाक गैसें जब कोहरे के संपर्क में आती हैं तो स्मॉग बनता है. इसका असर कई दिनों तक हो सकता है. तेज हवा चलने या बारिश के बाद ही स्मॉग का असर खत्म होता है. जहां गर्मियों में वातावरण में पहुंचने वाला स्मॉग ऊपर की ओर उठ जाता है वहीं ठंड में ऐसा नहीं हो पाता और धुंए और धुंध का एक जहरीला मिश्रण तैयार होकर सांस के साथ शरीर के अंदर पहुंचने लगता है.
ऐसे मापते है एयर क्वॉलिटी इंडेक्स
एयर पलूशन को मापने के 8 मानक (प्रदूषक तत्व पीएम-2.5, पीएम-10, कार्बन मोनोऑक्साइड, ओजोन, सल्फर डाईऑक्साइड, एल्युमिनियम व लेड) होते हैं. इनमें सबसे अधिक महत्वपूर्ण पीएम-2.5 और पीएम-10 होते हैं. इन्हीं का आंकड़ा सर्वाधिक होता है. एयर क्वॉलिटी इंडेक्स नापते समय पीएम-2.5, पीएम-10 और किसी एक अन्य मानक को शामिल किया जाता है. इसका केवल स्टैंडर्ड होता है, कोई मापक इकाई नहीं होती, जबकि पीएम-2.5 और पीएम-10 को माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर में मापा जाता है. किसी भी चीज के जलने से जो प्रदूषण होता है, उसमें पीएम-2.5 और धूल कणों में पीएम-10 होता है.
ये होता है नुकसान
स्मॉग के कारण खांसी, गले और सीने में जलन जैसी दिक्कत होती है.
ओजोन के स्तर बढ़ने पर फेफड़ों को नुकसान पहुंचता है.
अस्थमा व दिल की बीमारी होने का खतरा.
त्वचा संबंधी रोग, बाल झड़ना, आंखों में जलन.
नाक, कान, गला, फेफड़े में इंफेक्शन.
ब्लड प्रेशर के रोगियों को ब्रेन स्ट्रोक की समस्या.
दमा के रोगियों को अटैक पड़ सकता है.
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