History of Gajak : सर्दियों में खाई जाती है यह फेवरेट मिठाई, जानिए गजक की कहानी
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History of Gajak : सर्दियों में खाई जाती है यह फेवरेट मिठाई, जानिए गजक की कहानी

History of Gajak : भारत को मिठाइयों का देश कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी. मौसम बदला नहीं कि मिठाइयों के प्रकार बदल जाते हैं और अब सर्दियों के आते ही देश भर में गजक और तिलकुट ने अपना कब्जा जमा लिया है

History of Gajak : सर्दियों में खाई जाती है यह फेवरेट मिठाई, जानिए गजक की कहानी

History of Gajak : भारत को मिठाइयों का देश कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी. मौसम बदला नहीं कि मिठाइयों के प्रकार बदल जाते हैं और अब सर्दियों के आते ही देश भर में गजक और तिलकुट ने अपना कब्जा जमा लिया है. कुरकुरा, स्वादिष्ट और सर्दियों में गर्म तासीर वाला, गुड़, तिल, मूंगफली से बनी यह मिठाई पहले पहल मध्य प्रदेश की चम्बल घाटी में बनकर तैयार हुई थी. 

गजक के कुरकुरेपन का राज : How Gajak is Prepared 
मोरेना जिले में सबसे पहली बार तैयार किए गये गजक में खस्तापन गुड़ की वजह से आता है. इसे कुछ इस तरह तैयार किया जाता है कि कुरकुरापन बना रहे. तिल और मूंगफली के अलावा मेवे भी गजक का जरूरी हिस्सा हैं.   बिहार से लेकर महाराष्ट्र तक यह अलग-अलग रूप रंग में बनाया जाता है. गया का तिलकुट भी काफी प्रसिद्ध माना जाता है. 

गजक का इतिहास : History of Gajak 
गजक के अस्तित्व की कहानी मुगल काल से बहुत पहले की है. कहा जाता है कि हिंदू राजवंशों के राजा युद्ध के दौरान पोषण और ऊर्जा के समृद्ध स्रोत के रूप में अपने सैनिकों और घोड़ों के लिए तिल, गुड़, चना का इस्तेमाल करते थे.  बाद में इसके उच्च पोषण मूल्य के कारण आम लोगों ने उसी सामग्री का उपयोग करना शुरू कर दिया. इस तरह गजक भारत की प्रमुख मिठाइयों में शामिल हो गई. 
दक्षिणी भारत में इसे आमतौर पर गोल गेंदों के रूप में तैयार किया जाता है जिसे 'लड्डू' के रूप में जाना जाता है और उत्तरी भारत में, गुड़ को चीनी (चीनी गजक) के साथ बदलने या तिल के बजाय मूंगफली का उपयोग करके थोड़े अलग ढंग का गजक बनाया जाता है.  

 

 

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