Analysis: 4 महीने तक गायब..फिर एकदम से सक्रिय, क्या शेख हसीना ने ढूंढ ली वापसी की राह?
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Analysis: 4 महीने तक गायब..फिर एकदम से सक्रिय, क्या शेख हसीना ने ढूंढ ली वापसी की राह?

Sheikh Hasina: शेख हसीना की सक्रियता को लेकर कयासों का दौर जारी है. विशेषज्ञ मानते हैं कि यह उनकी रणनीतिक वापसी का हिस्सा हो सकता है. लेकिन यह सब बांग्लादेश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति और जनता के मूड पर डिपेंड करेगा. आइए इसे समझते हैं.

Analysis: 4 महीने तक गायब..फिर एकदम से सक्रिय, क्या शेख हसीना ने ढूंढ ली वापसी की राह?

Bangladesh Politics: अपनी रुखसती के कुछ महीनों तक एकदम से गायब रहने के बाद बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अचानक अपने बयानों से हलचल मचा दी है. चार महीने पहले छात्रों के हिंसक प्रदर्शनों के कारण सत्ता छोड़ने वाली हसीना ने भारत में शरण ली थी. अब न्यूयॉर्क और लंदन में होने वाले कार्यक्रमों में उनकी ऑनलाइन भागीदारी को उनके सियासी सक्रिय होने की कोशिश माना जा रहा है. यह सवाल जोर पकड़ रहा है कि क्या शेख हसीना बांग्लादेश की राजनीति में फिर से अपनी जगह बनाने की तैयारी कर रही हैं. आइए इसके मायने समझते हैं.

न्यूयॉर्क से लंदन तक बयानबाजी का सिलसिला
असल में शेख हसीना ने पिछले हफ्ते न्यूयॉर्क में आयोजित अवामी लीग के एक कार्यक्रम में ऑनलाइन हिस्सा लिया. इस दौरान उन्होंने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों का मुद्दा उठाया और दावा किया कि उनकी और उनकी बहन की हत्या की साजिश रची गई थी. अब 8 दिसंबर को लंदन में होने वाले एक कार्यक्रम में उनकी एक वर्चुअल उपस्थिति होने वाली है. अवामी लीग के संगठन सचिव खालिद महमूद चौधरी ने इस बात की पुष्टि की है.

विरोधियों की प्रतिक्रिया: राजनीति में बने रहने की कोशिश?
शेख हसीना के इन बयानों को लेकर बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी बीएनपी और अन्य विरोधी दलों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. बीएनपी नेताओं का कहना है कि हसीना सिर्फ राजनीति में अपनी जगह बनाए रखने की कोशिश कर रही हैं. उनके बयानों को 'सांप्रदायिक और भड़काऊ' करार दिया गया है. उधर अवामी लीग ने पलटवार करते हुए कहा कि हसीना जो कुछ भी कह रही हैं वह बांग्लादेश के हित में है.

तो क्या ये अंतरराष्ट्रीय राजनीति का असर
शेख हसीना के भारत में शरण लेने और वहां से बयान देने को बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के सलाहकार और विश्लेषक भारतीय रणनीति का हिस्सा मानते हैं. उनके मुताबिक भारत और बांग्लादेश के संबंधों पर इसका प्रभाव पड़ सकता है. हसीना के समर्थकों का कहना है कि उनकी वापसी बांग्लादेश की स्थिरता के लिए जरूरी है, लेकिन उनके आलोचकों का मानना है कि उनकी वापसी से राजनीतिक अशांति बढ़ सकती है.

फिर सवाल ये है कि क्या लौटेंगी हसीना?
इन सबके बीच शेख हसीना की सक्रियता को लेकर कयासों का दौर जारी है. विशेषज्ञ मानते हैं कि यह उनकी रणनीतिक वापसी का हिस्सा हो सकता है. हालांकि बांग्लादेश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति, जनता का मूड और अंतरराष्ट्रीय दबाव इस वापसी में अहम भूमिका निभा सकते हैं. हसीना की तरफ से यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि वह किस दिशा में आगे बढ़ेंगी, लेकिन उनके बयान निश्चित रूप से राजनीति के नए अध्याय की शुरुआत का संकेत दे रहे हैं.

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