साल 2011 की जनगणना के मुताबिक वायनाड में करीब 30 फीसदी मुस्लिम आबादी है. केरल में मुस्लिम वोटों को लेकर सीपीआई और मुस्लिम लीग में रस्साकशी है. हालांकि, कांग्रेस के साथ ये दोनों भी विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन में शामिल हैं. सीपीआई से एनी राजा के मैदान में आने से राहुल गांधी असमंजस में पड़ गए हैं.
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लोकसभा चुनाव 2024 में मोदी सरकार को सत्ता की हैट्रिक लगाने से रोकने के लिए कांग्रेस के नेतृत्व में बने विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन में पलीते की खबर अब दक्षिण से आई है. केरल में राहुल गांधी की संसदीय सीट वायनाड पर भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी (सीपीआई) ने एनी राजा को उम्मीदवार बना दिया है. सहयोगी दलों के बीच सीट शेयरिंग होने से पहले ही सीपीआई ने केरल में चार सीटों पर प्रत्याशियों के नाम जारी कर दिए.
राहुल गांधी की सीट पर एनी राजा की उम्मीदवारी से इंडिया गठबंधन में दरार
केरल में सीपीएम-सीपीआई के नेतृत्व में वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) में सत्ता पर काबिज है. विधानसभा चुनाव में उसका मुकाबला कांग्रेस की अगुवाई में बने यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) से होता है. लोकसभा चुनाव को लेकर दोनों दल नजदीक आए थे, लेकिन अब राहुल गांधी की सीट पर एनी राजा की उम्मीदवारी से गठबंधन में दरार दिखने लगी है. आइए, जानते हैं कि एनी राजा कौन हैं और वायनाड सीट पर राहुल गांधी क्यों फंसा हुआ महसूस कर रहे हैं.
22 साल की उम्र में ही केरल सीपीआई कार्यकारी समिति की सदस्य बन गई थीं
सीपीआई के महासचिव डी राजा की पत्नी एनी राजा केरल में कुन्नूर के इरिटी की रहने वाली हैं. उनका जन्म लेफ्टिस्ट बैकग्राउंड वाले एक ईसाई परिवार में हुआ था. एनी राजा अब खुद लेफ्ट पॉलिटिक्स में नेशनल लेवल की नेता हैं. मौजूदा दौर में एनी राजा सीपीआई के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की मेंबर और पार्टी के महिला मोर्चे नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन विमेन (एनएफआईडब्लयू) की महासचिव हैं. एनी राजा के बारे में एक दिलचस्प बात यह भी है कि वह महज 22 साल की उम्र में ही सीपीआई राज्य कार्यकारी समिति की सदस्य बन गई थीं.
एनी राजा के पास सीपीआई के लगभग सभी प्रमुख मोर्चों में काम करने का अनुभव
एनी राजा ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत सीपीआई की स्टूडेंट विंग ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआईएसएफ) से की थी. इसके बाद वह सीपीआई की यूथ विंग ऑल इंडिया यूथ फेडरेशन (एआईवायएफ) में शामिल हो गईं. इसके बाद वह महिला विंग की महासचिव और सीपीआई की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में सदस्य बनाई गईं. इसका मतलब है कि उनके पास सीपीआई के लगभग सभी प्रमुख मोर्चों में काम करने का अनुभव है. डी राजा और एनी राजा की जोड़ी को सीपीआई में सबसे ताकतवर माना जाता है.
केरल में एलडीएफ ने 11 फरवरी को ही कर लिया था सीटों का बंटवारा
केरल में एलडीएफ ने 11 फरवरी को बिना कांग्रेस के राज्य में सीटों का बंटवारा कर लिया था. समझौते के मुताबिक मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) केरल में लोकसभा की 15 सीट पर और उसकी प्रमुख सहयोगी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) चार सीटों पर चुनाव लड़ेगी. वहीं, कोट्टायम सीट को एलडीएफ ने अपने सहयोगी केरल कांग्रेस (मणि) (केसी (एम) को देने का फैसला किया था. इसके बाद 26 फरवरी को सीपीआई ने अपने कोटे के चार सीटों पर उम्मीदवार की घोषणा कर दी.
राहुल गांधी के आलावा शशि थरूर की सीट पर भी सीपीआई उम्मीदवार
केरल में सीपीआई ने राहुल गांधी की संसदीय सीट पर एनी राजा के अलावा कांग्रेस के सीनियर नेता शशि थरूर की सीट तिरुवनंतपुरम पर पूर्व सांसद पन्नियन रवींद्रन को टिकट दिया है. सीपीआई ने पूर्व कृषि मंत्री वीएस सुनिल कुमार और ऑल इंडिया यूथ फेडरेशन के नेता सीए अरुणकुमार को त्रिशूर और मवेलीक्कारा से टिकट दिया है. इसके बाद एनी राजा ने कहा कि केरल में इन चार सीटों पर लंबे समय से सीपीआई उम्मीदवार उतार रही है. इसमें कुछ भी नया नहीं है.
उन्होंने नई दिल्ली में कहा कि सीपीआई अपने फैसले के मुताबिक आगे बढ़ रही है. पार्टी को उम्मीद है कि समान विचारधारा वाले दूसरे दल भी इसी तर्ज पर सोचेंगे और काम करेंगे. राहुल गांधी को लेकर उन्होंने कहा कि सभी पार्टी का निर्णय उसका विशेषाधिकार है. अटकलों के आधार पर कुछ भी कमेंट करना ठीक नहीं. हालांकि, कांग्रेस ने अभी तक वायनाड में अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है.
वायनाड की जगह कर्नाटक या तेलंगाना की किसी सीट से लड़ेंगे राहुल गांधी
केरल की वायनाड सीट को लेकर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी असमंजस में पड़ गए हैं. चर्चा है कि इस बार वह केरल की जगह दक्षिण में ही अपनी सरकार वाले राज्य कर्नाटक या तेलंगाना में कांग्रेस की किसी ज्यादा सुरक्षित सीट से लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं. साथ ही इस बार भी उनके दो सीटों से चुनाव लड़ने की रणनीति पर काम किया जा रहा है. इसमें एक उत्तर प्रदेश की रायबरेली या अमेठी सीट होगी. सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी का वायनाड से ही चुनाव लड़ना इंडिया गठबंधन के लिए अच्छा संदेश नहीं माना जा रहा है.
वायनाड में करीब 30 फीसदी मुसलमान, मुस्लिम लीग ने किया सीट पर दावा
दूसरी ओर, केरल की वायनाड सीट पर मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) के मजबूत दावे की चर्चा भी तेज हो गई है. केरल में कांग्रेस की अगुवाई वाले यूडीएफ में सहयोगी मुस्लिम लीग ने इस बार गठबंधन में दो की जगह तीन सीटों पर लड़ने की दावेदारी की है. इसमें 2011 की जनगणना के मुताबिक करीब 30 फीसदी मुस्लिम आबादी वाली वायनाड तीसरी सीट है. मुस्लिम लीग के चलते ही राहुल गांधी को लोकसभा चुनाव 2019 में मुसलमान वोटरों का ही बड़ा समर्थन मिला था. तब राहुल 4 लाख 31 हजार से ज्यादा वोटों से जीते थे.