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Crime Web Series: हमारे तो खून में ही खाकी है. रणदीप हुड्डा जब इंस्पेक्टर अविनाश (Inspector Avinash) में यह डायलॉग बोलते हैं तो लगता है कि वह खाकीवाले ही हैं. इंस्पेक्टर अविनाश के किरदार में उन्होंने अपनी पर्सनैलिटी और एक्टिंग को एक कर दिया है. अरुणोदय सिंह (Arunoday Singh) स्टारर वेबसीरीज अपहरण के दो सीजन अगर आपने देखे हैं, तो स्पाइसी इंस्पेक्टर अविनाश के आठ एपिसोड वाले पहले सीजन में भी आपको वही स्वाद मिलेगा. लेकिन इंस्पेक्टर अविनाश की दुनिया अपहरण की दुनिया से पूरी तरह अलग है. यह 1990 के दशक में यूपी पुलिस (UP Police) में अफसर रहे अविनाश मिश्रा की जिंदगी से प्रेरित असली कहानियां हैं. जिसमें आपको उस दौर के उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में क्राइम के साथ राजनीति का गठजोड़ भी देखने मिलता है. हालांकि इस गठजोड़ का वीभत्स रूप आने वाले वर्षों में ज्यादा खुलकर सामने आया.
अंदाज है सबसे अलग
इंस्पेक्टर अविनाश आठ कड़ियों का पहला सीजन है, जिसे नीरज पाठक (Neeraj Pathak) ने बनाया है. नीरज इससे पहले डिनो मोरिया-महिमा चौधरी के साथ गुमनामः द मिस्ट्री और सनी देओल के साथ राइट या रांग (2010) तथा भैयाजी सुपरहिट (2018) जैसी फिल्में बना चुके हैं. यह सीरीज जियो सिनेमा पर फ्री स्ट्रीम हो रही है. यूं तो उत्तर प्रदेश की राजनीतिक तथा आपराधिक दुनिया पर तमाम फिल्में और वेब सीरीज आ चुकी हैं, लेकिन इंस्पेक्टर अविनाश को रणदीप हुड्डा ने अपने अंदाज में अलग ढंग से खड़ा किया है. उनका किरदार बेहद स्टाइलिश है और महादेव-महाकाल का भक्त भी. दोनों बातें इसे रोचक बनाती है.
एक्शन और रफ्तार
सीरीज की सभी कड़ियों में इंस्पेक्टर अविनाश का अपराधियों के प्रति गुस्सा साफ झलकता है. इंस्पेक्टर अविनाश को यहां यूपी के बड़े-बड़े गैंगस्टरों को ठिकाने लगाते देखा जा सकता है. लेकिन जिस एपिसोड में कानपुर में एक परिवार में तीन महिलाओं के साथ घर में घुसकर रेप का केस दिखाया गया है, उसमें अपराधियों के प्रति नफरत चरम पर देखी जा सकती है. राइटर-डायरेक्टर नीरज पाठक ने सारे एपिसोड्स को एक्शन से भरपूर बनाया है. एक के बाद दूसरी कहानी रफ्तार से चलती है और डायलॉग भी रोचक हैं. सीरीज का कोई एपिसोड अपने ग्राफ को नीचे नहीं आने देता. कोई ब्रेक नहीं आता.
आरडीएक्स और एनकाउंटर
वेब सीरीज इंस्पेक्टर अविनाश राज्य में हथियारों की अवैध तस्करी और बाहुबली शेख (अमित सियाल) की बढ़ती ताकत के साथ शुरू होती है. डीजीपी सिंह (जाकिर हुसैन) के पास खबर है कि मुख्यमंत्री पर हमला हो सकता है और तब राज्य में स्पेशल टास्क फोर्स का गठन होता है. जिसमें इंस्पेक्टर अविनाश की खास जगह है. पहले एपिसोड में अविनाश और उनकी टीम अयोध्या में आरडीएक्स के इस्तेमाल की कोशिशों को नाकाम करती है, तो दूसरे एपिसोड में खूंखार अपराधी बिट्टू चौबे का एनकाउंटर है. इसी एपिसोड में विधायक किरण कौशिक की हत्या का मामला भी है, जिसके तार एक अन्य विधायक से जुड़ते हैं. इंस्पेक्टर अविनाश में आप पुलिस के काम करने के अंदाज और काम में आने वाली मुश्किलों को भी देखते हैं.
ड्रामा और रीयलिटी
यह बात सच है कि रीयल लाइफ हीरो की कहानी से प्रेरित होने के बावजूद सीरीज को बनाने में नीरज पाठक ने ढेर सारी रचनात्मक छूट ली है. कई जगहों पर आपको लगता है कि आप एकदम मसालेदार सिनेमा देख रहे हैं. सच और कल्पना के बीच लगे तड़के से इस सीरीज का रोमांच बढ़ा है. शेख जैसे शातिर राजनीतिक-बाहुबली और देवी (अभिमन्यु सिंह) जैसे विलेन की एंट्री से कहानी का पैनापन बढ़ गया है. आप दूसरे सीजन का इंतजार करते हैं. पाठक ने यहां पुलिस का मानवीय पक्ष भी दिखाया है. परिवार और पुलिस की ड्यूटी के बीच आने वाले मुश्किलें यहां सामने आती हैं. पुलिसवालों के परिवार पर मंडराने वाले खतरे भी यहां हैं. तमाम ड्रामों के बीच भी सीरीज काफी रीयल है. यही इसकी खूबसूरती है.
किस करवट पर ऊंट
रणदीप हुड्डा कंधों पर सीरीज को संभाले हैं. लेकिन उन्हें रजनीश दुग्गल, अभिमन्यु सिंह, अमित सियाल का भी अच्छा सहयोग मिला है. फ्रेडी दारुवाला मंत्री बने हैं और उनके घर के अंदर चलने वाली कहानी का ट्रेक कुछ-कुछ मिर्जापुर के कालीन भैया के घरेलू माहौल की याद दिलाता है. देखना रोचक होगा कि उनकी कहानी आगे किस करवट बैठी. साथ ही यह भी सामने आना है कि क्या नीरज पाठक उर्वशी रौतेला को सिर्फ ग्लैमर गर्ल बनाए रखेंगे या उनके हिस्से भी कुछ ठोस आएगा. उर्वशी सुंदर लगी हैं और इंस्पेक्टर अविनाश की पत्नी के रूप में उन्होंने अपना रोल बढ़िया निभाया है. अगर आप रणदीप हुड्डा के काम के प्रशंसक हैं, ऐसे क्राइम-थ्रिलर पसंद करते हैं जिनमें एंटरटनेंट का तड़का हो, जो रीयल से थोड़ा ऊपर उठकर चलते हों, तो यह सीरीज आपके लिए है.
निर्देशकः नीरज पाठक
सितारे: रणदीप हुड्डा, उर्वशी रौतेला, रजनीश दुग्गल, अभिमन्यु सिंह, फ्रेडी दारुवाला, अमित सियाल, गोविंद नामदेव, किरण कुमार
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