Fukrey 3 Review: गिरता ग्राफ संभालने के लिए फुकरों को नया करने की जरूरत, दर्शकों के भरोसे न रहें
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Fukrey 3 Review: गिरता ग्राफ संभालने के लिए फुकरों को नया करने की जरूरत, दर्शकों के भरोसे न रहें

Fukrey 3 Film Review: बीते कुछ समय में सीक्वल या फ्रेंचाइजी फिल्में भले ही चली हों, परंतु जरूरी नहीं कि हर नई कड़ी पिछली से बेहतर हो. फुकरे और फुकरे रिटर्न्स के बाद दर्शक फुकरे 3 का इंतजार कर रहे थे. क्या है उनके लिए इस फिल्म मेंॽ थिएटर जाकर फिल्म देखना चाहते हैं, तो पहले यह रिव्यू पढ़ लें...

 

Fukrey 3 Review: गिरता ग्राफ संभालने के लिए फुकरों को नया करने की जरूरत, दर्शकों के भरोसे न रहें

Fukrey 3 Movie Review: साल 2013 में आई फुकरे ने अपनी मौलिकता के साथ दर्शकों को रिझाया और लगभग नए चेहरों के साथ फिल्म ने बॉक्स ऑफिस (Fukrey 3 Box Office) पर कमाल किया था. फिर 2017 इसका सीक्वल आया और पहली फिल्म के कनेक्शन ने उसे भी सफल बनाया. बावजूद इसके कि सीक्वल पिछली फिल्म से कमजोर था. अब पांच साल बाद बारी है, तीसरी कड़ी की. फिल्म देखकर आपको साफ लगता है कि मेकर्स को अब फुकरे के साथ कुछ नया करने की सख्त जरूरत है. इसके आगे वे दर्शकों के भरोसे न रहें क्योंकि फुकरे 3 (Fukrey 3) के कंटेंट और किरदारों में पुरानापन साफ झलक रहा है.

रह गया ‘किस’
फुकरे 3 में चूचा उर्फ वरुण शर्मा (Varun Sharma) के किरदार को छोड़ दें तो बाकी किसी में करंट नजर नहीं आता. भोली पंजाबन की रंगत यहां फीकी है. कहानी में पंडितजी बने पंकज त्रिपाठी (Pankaj Tripathi) का किरदार बहुत सक्रिय नहीं है, लेकिन बीते दस साल में उन्होंने जिस स्टारडम को छुआ, उस वजह से फुकरे 3 में उनकी जगह बढ़ गई है. यहां वही कहानी सुना रहे हैं और अंत में जब चूचा की उम्मीदों पर पानी फेरती हुई भोली पंजाबन (Bholi Punjaban) उसे ‘किस’ (Kiss) नहीं करती तो पंडित जी कहते हैं कि यह फैमिली फिल्म (Family Film) है! इसमें संदेह नहीं कि फुकरे 3 परिवार के साथ देखी जा सकती है, इतना साफ-सुथरापन यहां है. लेकिन इसकी कॉमेडी का एक बड़ा हिस्सा टॉयलेट ह्यूमर (Toilet Humor) है.

जरूरत फुकरों की
फुकरे के किरदारों से आप परिचित हैं. जमुनापार दिल्ली (Delhi) में रहने वाली चौकड़ी; हनी (पुलकित सम्राट), चूचा, लाली (मनजोत सिंह) और पंडितजी गैंगस्टर भोली पंजाबन (ऋचा चड्ढा) से भागती है. भोली पंजाबन फुकरे 3 में अपराध की दुनिया से निकल कर राजनीति में कदम रख रही है. चुनाव (Elections) लड़ने जा रही है. भीड़ जुटाने के लिए उसे इन फुकरों की जरूरत है. चारों उसकी मदद के लिए मैदान में उतरते हैं, लेकिन फिर उन्हें लगता है कि भोली पंजाबन के इरादे जनता की सेवा करने वाले नहीं हैं. वह जनता को आखिरकार धोखा ही देगी. अतः हनी, लाली और पंडितजी मिलकर तय करत हैं कि चूचा को चुनाव मैदान में भोली पंजाबन के विरुद्ध उतारा जाए. वे ऐसा करते भी हैं. अब चुनाव में क्या होगाॽ चुनाव किन मोड़ों से गुजरेगाॽ कौन किस पर भारी पड़ेगाॽ

भविष्य का संकट
चुनाव के बहाने यहां निर्देशक-लेखक मृगदीप सिंह लांबा ने दिल्ली में पानी की विकट समस्या को छूने के साथ दुनिया के जल संकट में भारत (Water Crisis In India) की स्थिति को भी बताया है. फिल्म में एक जगह कहा गया है कि विश्व के जिन 17 देशों में भविष्य में सबसे भीषण जल संकट की स्थिति उत्पन्न होने की आशंका है, उनमें भारत 13वें स्थान पर है. फिल्म की कहानी एक समय के बाद चुनाव को पीछे छोड़, जल संकट तथा जल माफिया (Water Mafia) पर आ जाती है. भोली पंजाबन की मौजूदगी में एक नया खलनायक उभरता है, ढींगरा (अमित धवन). वह पानी का माफिया है और पूर्वी दिल्ली के जल संसाधनों पर उसका नियंत्रण है.

कॉमेडी की किस्में
फुकरे 3 की कहानी में उतार-चढ़ाव जरूर हैं, लेकिन कसावट ढीली है. फुकरों को लेकर निर्देशक बीच में साउथ अफ्रीका (South Africa) तक चले जाते और फिर दिल्ली लौट आते हैं. कई जगहों पर फिल्म की लंबाई बढ़ाने की गैर-जरूरी कोशिशें भी नजर आती हैं. ऐसा लगता है कि राइटरों के पास कहने को बात नहीं है, इसलिए दृश्यों को लंबा खींचा जा रहा है. जहां तक कॉमेडी की बात है, तो कहीं वह बोल्ड-सी लगती है और कहीं बात इस बारीक अंदाज में है कि आप समझ लें तो ठीक और न समझ पाएं तो ठीक. खास तौर पर पंकज त्रिपाठी की कॉमेडी इसी तरह की है.

चूचा का तारीफ
पूरी फिल्म में दर्शकों को गुदगुदाने का जिम्मा यहां चूचा के कंधों पर है. सारी राहें और नजरें चूचा पर जाकर ठहरती हैं. वरुण शर्मा ने अपने किरदार को बहुत अच्छे ढंग से निभाया है और वह निश्चित ही तारीफ के काबिल हैं. पंकज त्रिपाठी और ऋचा चड्ढा यहां उन्हें सपोर्ट करते नजर आते हैं. लेकिन पुलकित सम्राट (Pulkit Samrat) काफी निराश करते हैं. उनके किरदार में इस बार कोई खास बात नजर नहीं आती. मनजोत सिंह (Manjot Singh) का किरदार कहानी में बार-बार स्पेस की डिमांड करता है, जो यहां उन्हीं सही ढंग से नहीं दिया गया. विलेन ढींगरा के रूप में अमित धवन कुछ दृश्यों में अच्छे लगे, लेकिन कहानी में उनकी भी सही जगह नहीं बन सकी.

फिर मिलेंगे, मगर
फिल्म में गीत-संगीत की गुंजाइश होने के बावजूद निर्देशक उसे भुना नहीं सके. यह फुकरे 3 की बड़ी कमजोरी है. फिल्म के अंत में साफ कहा गया है कि अगली कड़ी में नई कहानी के साथ मिलेंगे. यह अच्छी बात है. मगर मेकर्स को अब नए सिरे नई कड़ी (Fukrey 4) के बारे में सोचने की जरूरत है. सिर्फ फ्रेंचाइजी कहते हुए बात आगे बढ़ाने से काम नहीं चलेगा. फिलहाल यही कि अगर आप फुकरे और फुकरे रिटर्न्स को पसंद करते हैं और फुकरे 3 के लिए आपके पास धैर्य नहीं है, तो थिएटर में चले जाएं. वर्ना थोड़ा इंतजार करें. अमेजन प्राइम (Amazon Prime) इसका स्ट्रीमिंग पार्टनर है.

निर्देशकः मृगदीप सिंह लांबा 
सितारे: पंकज त्रिपाठी, ऋचा चड्ढा, वरुण शर्मा, पुलकित सम्राट, मनजोत सिंह  
रेटिंग**1/2

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