Animal Review: 3 घंटे मिलेगा एंटरटेनमेंट का फुल डोज, एनिमल में रणबीर की परफॉर्मेंस देख छोड़ नहीं पाएंगे सीट
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Animal Review: 3 घंटे मिलेगा एंटरटेनमेंट का फुल डोज, एनिमल में रणबीर की परफॉर्मेंस देख छोड़ नहीं पाएंगे सीट

Animal: आदिम इच्छाओं का डीएनए अत्याधुनिक इंसानों में बरकरार है. शिक्षा, तरक्की और पैसे के साथ ऊपर भले ही चीजें बदली हों परंतु अंदर एक एनिमल जागा रहता है. जब कभी वह पिंजरे से बाहर निकल आता है, तो पर्दे पर रणबीर कपूर जैसा नजर आता है. इस फिल्म को देखने के बाद आप उनकी प्रशंका किए बिना नहीं रह पाएंगे...

 

Animal Review: 3 घंटे मिलेगा एंटरटेनमेंट का फुल डोज, एनिमल में रणबीर की परफॉर्मेंस देख छोड़ नहीं पाएंगे सीट

Ranbir Kapoor: दुर्भाग्य से इस दुनिया में मर्दों की ज्यादा चलती है. एनिमल में यह बात एक संवाद में निकलकर आती है. वास्तव में एनिमल के कैनवास पर हर कोने में आपको इसी मर्दवादी सोच के रंग मिलेंगे. जो हिंसक, खूनी, भद्दे और कहीं-कहीं अश्लील हो जाते हैं. निर्देशक संदीप रेड्डी वांगा (Sandeep Reddy Vanga) की पिछली फिल्म कबीर सिंह (Kabir Singh) में भी आपको यही बात देखने मिली थी. वहां डॉक्टरी पढ़ रहे एक युवक की, जुनून की तमाम हदों को पार करने वाली प्रेम कहानी थी. एनिमल में किस्सा ऐसे बेटे का है, जो अपने पिता का प्यार पाने के लिए कुछ भी कर सकता है. इस स्तर पर एनिमल की कहानी में कोई खास बात नजर आती. सैकड़ों फिल्मों में दिखा है कि उद्योगपति या नौकरीपेशा पिता इतना व्यस्त है कि उसके पास बेटे से बात करने का भी वक्त ही नहीं. मगर इस फिल्म का हीरो, आगे जो रास्ता अख्तियार करता है, वह एनिमल को अलग बनाता है.

अगर होते पापा
वांगा की एनिमल पारंपरिक बॉलीवुड फिल्म नहीं है. यह अपनी कहानी के अंदाज से लेकर एक्शन के ट्रीटमेंट तक काफी अलग है. सबसे अच्छी बात यह कि यहां लीड रोल निभा रहे रणबीर कपूर भी बॉलीवुड के एक्टरों से अलग नजर आते हैं. उनकी चमक को आप महसूस कर सकते हैं. निश्चित यह उनके करियर का सबसे मजबूत परफॉरमेंस है और इसमें वह अपने समकालीन तथा हमउम्र अभिनेताओं से आगे खड़े हो जाते हैं. अगर आप रणबीर कपूर के फैन हैं, तब तो यह फिल्म देखनी ही चाहिए. लेकिन अगर ऐसा नहीं भी है, तब भी आप इस अकेले एक्टर के लिए यह फिल्म देख सकते हैं कि कितने विश्वास के साथ उन्होंने यह किरदार निभाया है. रणबीर के पापा अगर आज इस दुनिया में होते, तो निश्चित ही गर्व से भर उठते.

कहानी खूनी
फिल्म की कहानी देश के सबसे बड़े उद्योगपति बलबीर सिंह (अनिल कपूर) और उनके परिवार की है. परिवार में उनकी पत्नी, दो बेटियां और एक बेटा रणविजय (रणबीर कपूर) है. रणविजय के दिल में अपने पिता के लिए बेहद प्यार है, वह उसके लिए दुनिया के बेस्ट डैडी हैं. मगर पिता के पास बेटे के लिए समय नहीं है क्योंकि स्वास्तिक स्टील्स नाम की उनकी कंपनी का कारोबार देश-दुनिया में फैला है. बेटे के प्यार को वह नहीं समझते और हमेशा डांटते-फटकारते हैं. एक घटना के बाद उसे अमेरिका भेज देते हैं. यहां से दोनों के बीच लगातार फासला बढ़ता है, मगर बेटे का प्यार और पिता का प्यार पाने की कोशिशें कम नहीं होती. इस बीच वह शादी कर लेता है. खुद दो बच्चों का पिता बन जाता है. परंतु जब दो हमलावर अपनी गोलियों बलबीर सिंह को घायल कर देते हैं, तो रणविजय लौटकर इंडिया आता है. उसका लक्ष्य है, पिता पर हमला करने वालों से बदला लेना. यहां के कहानी के आगे के रास्ते खुलते हैं और मिनट-दर-मिनट वह खून-खराबे से तर होती जाती है.

मोशन-इमोशन
बदले की कहानी वाली एनिमल में पारिवारिक ड्रामा बुना है. यह कहानी सीधी नहीं खुलती. कभी फ्लैशबैक तो कभी परतों से निकलकर आगे बढ़ती है. ऐसे में कहीं-कहीं देखने वाले के मन में असमंजस पैदा होता है, लेकिन अंततः सारे जवाब सामने आ जाते हैं. फिल्म में जबर्दस्त हिंसा के साथ एडल्ट जोक हैं, एडल्ट बातें, एडल्ट सीन हैं. कुछ बातें ऐसी भी हैं, जो स्त्री विरोधी हैं. जिन्हें कई लोग सीधे तौर पर नापसंद करेंगे. इसी मौके पर यह बात आती है कि दुर्भाग्य से इस दुनिया में मर्दों की ज्यादा चलती है. वांगा इस बात को बदलने की कोशिश नहीं करते, बल्कि ऐसा लगता है कि वे इसे उकसा ही रहे हैं. इन तमाम बातों की वजह से महसूस होता है कि फिल्म में नजाकत या इमोशन नहीं हैं. जबकि सचाई यह है कि रणबीर का किरदार आपको कभी दिमाग से सोचता नहीं मिलेगा, वह लगातार भावनाओं में बहता है!

एक्शन जबर्दस्त
यह तय है कि एनिमल के कंटेंट से आप सौ फीसदी सहमत नहीं होंगे. लेकिन फिल्म बांधती है. एंटरटेन करती है. इसे खूबसूरती से शूट किया गया है. यहां आपको कहानी मिलेगी, जो इधर बॉलीवुड फिल्मों में गायब है. सस्ता या फार्मूलाबद्ध बॉलीवुड ड्रामा नहीं है यहां. फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक बढ़िया है. एक्शन सीन जबर्दस्त हैं. रणबीर कपूर और बॉबी देओल को शर्टलेस देखकर लगता है कि सलमान खान और शाहरुख खान को अब पर्दे पर अपने शर्ट उतारना बंद कर देना चाहिए. फिल्म में बॉबी देओल छोटी, मगर प्रभावी भूमिका में हैं. यही बात आप तृप्ति डिमरी के लिए कह सकते हैं. वह छोटा पैकेट, बड़ा धमाका हैं. अनिल कपूर जमे हैं. रश्मिका फिल्म की कमजोर कड़ी हैं. खास तौर पर उनकी संवाद अदायगी.

आगे पार्ट 2
एनिमल के दृश्यों को बारीकी से गढ़ा गया है. खास तौर पर एक्शन दृश्यों में यह कारीगरी है. जिसमें बंदूक, मशीनगन, चाकू से लेकर हाथों की फाइटिंग शामिल है. वांगा का पूरा जोर हिंसक दृश्यों और खूनी बातों पर है. उनके कई संवादों तथा दृश्यों में स्त्री पात्र दोयम दर्जे के होते हैं. वह इशारा करते हैं कि तमाम आर्थिक प्रगति, शिक्षा और तरक्की के बावजूद संभवतः यही अंदर का सच है. इन बातों के सतह पर आने के खतरे भी हैं कि यह तमाम दर्शकों को एनिमल की तरह सोचने के लिए प्रेरित कर सकती हैं. लेकिन इतना अवश्य है कि यही बातें वांगा के सिनेमा को अलग बनाती हैं. अगर आप सहमति-असहमति से हटकर या इन बहसों में न पड़कर, बॉलीवुड की रूटीन फिल्मों से अलग देखना चाहते हैं, तो एनिमल आपके लिए है. अंत में यह भी जान लें कि एनिमल का सीक्वल आएगा. फिल्म के आखिर में लेखक-निर्देशक ने इस पर से भी पर्दा उठा दिया है.

निर्देशकः संदीप रेड्डी वांगा
सितारेः रणबीर कपूर, रश्मिका मंदाना, अनिल कपूर, बॉबी देओल, शक्ति कपूर, तृप्ति डिमरी
रेटिंग ***1/2

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