Mrs Undercover Review: राधिका का परफॉरमेंस फिल्म को देता है कवर, लेकिन कहानी में बाकी रह गई कसर
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Mrs Undercover Review: राधिका का परफॉरमेंस फिल्म को देता है कवर, लेकिन कहानी में बाकी रह गई कसर

Radhika Apte Film: राधिका आप्टे के हिस्से में लंबे समय से बड़ी कामयाबी नहीं आई. पिछली फिल्म विक्रम वेधा बिग-बजट थी, परंतु ऋतिक-सैफ की मौजूदगी के बावजूद फ्लॉप रही. मिसेज अंडरकवर में राधिका शुरू से अंत तक छाई हैं, लेकिन इस बार राइटर-डायरेक्टर अनुश्री मेहता उन्हें सही सपोर्ट नहीं दे सकीं.

 

Mrs Undercover Review: राधिका का परफॉरमेंस फिल्म को देता है कवर, लेकिन कहानी में बाकी रह गई कसर

New Film On Zee5: राधिका आप्टे के लिए मिसेज अंडरकवर खास फिल्म हो सकती थी क्योंकि पूरी तरह से उनके इर्द-गिर्द घूमती है. मगर एक साथ सारे काम करने वाली अनुश्री मेहता ने राधिका के लिए तमाम संभावनाएं खत्म कर दीं. अनुश्री फिल्म में ‘हर नारी में दुर्गा है’ जैसा कई फिल्मों में दिया गया मैसेज रिपीट करती हैं, लेकिन यहां सब कुछ इतना फिल्मी है कि हकीकत की जमीन पर जरा भी उसके पैर टिक नहीं पाते. शुरुआती मिनटों में ही आप देख लेते हैं कि एक हत्यारा है. वह महिला सशक्तिकरण की बात करने वाली हर स्त्री की हत्या कर रहा है. लेखक-निर्देशक कहती हैं कि यह एक व्यक्ति नहीं, बल्कि सोच है जो कोने-कोने में फैली है, इसे खत्म करना है. मजे की बात यह कि यह सोच जिस हत्यारे के बहाने दिखी, उसे लेखक-निर्देशक ने ‘कॉमन मैन’ नाम दिया है. कॉमन मैन इतना ताकतवर है कि महिलाओं के साथ-साथ स्पेशल फोर्स एजेंट्स की भी हत्या कर रहा है. लगभग दर्जन भर उसने मार दिए हैं. मगर इन हत्याओं के पीछे कोई तर्क नहीं है. हत्यारा देश भर में घूमते हुए हत्याएं कर रहा है.

सवाल यह है
जी5 पर रिलीज हुई फिल्म मिसेज अंडरकवर कलकत्ता में रहने वाली दुर्गा (राधिका आप्टे) की कहानी है. जो अनाथ थी. जेम्स बॉन्ड बनाने वाली ट्रेनिंग के बाद करीब 12 साल पहले स्पेशल टास्क फोर्स ने उसकी शादी एक व्यक्ति से करा दी थी, जो उसका कवर था. यह ट्रेक भी अस्पष्ट रह जाता है. अब इतने सालों में दुर्गा एक गृहिणी में बदल चुकी है. सास-ससुर, पति-बच्चा. मगर तभी अचानक स्पेशल टास्क फोर्स के मुख्य अधिकारी (राजेश शर्मा) को दुर्गा का पता चलता है. हत्यारा कॉमन मैन कलकत्ता में है. यह अधिकारी दुर्गा को ढूंढ कर उसे कॉमन मैन का पता लगाने का जिम्मा सौंपता है. लेडी जेम्स बॉन्ड से गृहिणी बन चुकी दुर्गा क्या यह काम कर पाएगी, फिल्म का मुख्य सवाल यही है.

न कॉमेडी, न थ्रिलर
मिसेज अंडरकवर की सबसे बड़ी कमजोरी इसकी राइटिंग है. कहानी लचर होने के साथ इसकी पटकथा में भी सस्पेंस या थ्रिल नहीं है. दर्शक के रूप में आप पहले ही सीन में जान चुके हैं कि सीरियल किलर कौन है. अब दुर्गा कैसे इस हत्यारे तक पहुंचेगी, इस बात को भी सही ढंग से नहीं रचा गया है. कहानी को अनुश्री कुछ-कुछ कॉमेडी के घेरे में रखती हैं. परंतु फिल्म न तो पूरी तरह कॉमेडी बन पाती है और ही थ्रिलर. हत्यारा जहां पूरी तरह सीरियस है, वहीं टास्क फोर्स वाले कॉमेडी हैं. राधिका और राजेश शर्मा के तमाम दृश्यों को कॉमिक अंदाज देने की कोशिश यहां है. परंतु बीच-बीच में वे सीरियस हो जाते हैं.

सारे तर्क किनारे
कॉमन मैन के रूप में सुमित व्यास निराश करते हैं. बड़े ठंडे अंदाज में वह हत्याएं करते जाते हैं, लेकिन इस रोल में वह फिट नहीं दिखते. साथ ही उन्हें लेकर फिल्म का जो क्लाइमेक्स रचा गया है, वह बड़ा कमजोर है. दुर्गा के सामने विलेन महिषासुर नहीं लगता. न ही कोई बड़ी टक्कर यहां है. लिखते और शूट करते वक्त अनुश्री ने सारे तर्क किनारे रख दिए. नतीजा यह कि वह राइटर और डायरेक्टर, दोनों ही स्तरों पर बिल्कुल प्रभावित नहीं करतीं. फिल्म में अगर कुछ देखने जैसा है तो राधिका आप्टे की एक्टिंग. राजेश शर्मा भी कहीं-कहीं गुदगुदाने में सफल हैं. अगर आपके पास समय है और आप राधिका आप्टे तथा राजेश शर्मा के काम को पसंद करते हैं, तो फिल्म देख सकते हैं.

निर्देशकः अनुश्री मेहता
सितारे : राधिका आप्टे, राजेश शर्मा, सुमित व्यास, साहेब चटर्जी
रेटिंग**1/2

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