225 फिल्मों में काम करके भी पाई-पाई को मोहताज हुआ था एक्टर, बुढ़ापे में गरीबी से हुई मौत!
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225 फिल्मों में काम करके भी पाई-पाई को मोहताज हुआ था एक्टर, बुढ़ापे में गरीबी से हुई मौत!

फिल्म शोले में रहीम चाचा का किरदार निभाकर हंगल घर-घर में पॉपुलर हो गए थे. हालांकि, हंगल साहब का बुढ़ापा बेहद गरीबी में कटा था. बात आज एक ऐसे एक्टर की जिसने 52 साल की उम्र में फिल्म इंडस्ट्री में डेब्यू किया और फिर एक दो नहीं बल्कि 225 से अधिक फिल्मों में काम किया.

225 फिल्मों में काम करके भी पाई-पाई को मोहताज हुआ था एक्टर, बुढ़ापे में गरीबी से हुई मौत!

AK Hangal Personal Life: फिल्म शोले में रहीम चाचा का किरदार निभाकर हंगल घर-घर में पॉपुलर हो गए थे. हालांकि, हंगल साहब का बुढ़ापा बेहद गरीबी में कटा था. बात आज एक ऐसे एक्टर की जिसने 52 साल की उम्र में फिल्म इंडस्ट्री में डेब्यू किया और फिर एक दो नहीं बल्कि 225 से अधिक फिल्मों में काम किया. हम बात कर रहे हैं एक्टर ए.के हंगल (A.K. Hangal) की जो आज भले ही इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन उनसे जुड़े ढ़ेरों किस्से कहानियां आज भी सुने और सुनाए जाते हैं. ए.के हंगल का पूरा नाम अवतार किशन हंगल था और उनका बचपन पेशावर में बीता था. भारत पाकिस्तान बंटवारे के बाद 1949 में हंगल अपने पूरे परिवार के साथ मुंबई आ गए थे. ए.के हंगल की कहानी जितनी फिल्मी है उतनी ही दर्दभरी भी है. 

आजादी की लड़ाई में हिस्सा ले चुके थे हंगल 

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो ए.के हंगल ने साल 1929 से लेकर 1947 तक आजादी की लड़ाई में भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था. बताते हैं कि हंगल साहब पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की रिश्तेदारी में भी थे. असल में नेहरू जी की वाइफ, ए.के हंगल की मां की रिश्ते में बहन लगती थीं. आपको बता दें कि हंगल साहब शुरू से ही थियेटर से भी जुड़े रहे थे और वे बलराज साहनी और कैफी आजमी जैसी दिग्गज शख्सियतों के साथ थियेटर में काम कर चुके थे. 

बेहद दर्दनाक था ऐ.के हंगल का आखिरी समय

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो हंगल साहब ने 225 से अधिक फिल्मों में काम किया था. अपने फिल्मी करियर में उन्होंने शोले, नमक हराम, शौकीन, आइना, अर्जुन, आंधी, तपस्या, कोरा कागज, बाबर्ची, छुपा रुस्तम, बालिका वधू, गुड्डी, नरम-गरम जैसी कई चर्चित फिल्मों में काम किया था. फिल्म शोले में रहीम चाचा का किरदार निभाकर हंगल घर-घर में पॉपुलर हो गए थे. हालांकि, हंगल साहब का बुढ़ापा बेहद गरीबी में कटा था. कहते हैं कि आखिरी समय में उनके पास इलाज तक के पैसे नहीं थे और इसी गरीबी और अभाव के बीच साल 2012 में उनका निधन हो गया था.

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