Bollywood Legend: आज बंद हो रहे मल्टीप्लेक्स, कभी देव आनंद ने बेचे थे थिएटर के बाहर ब्लैक में टिकट
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Bollywood Legend: आज बंद हो रहे मल्टीप्लेक्स, कभी देव आनंद ने बेचे थे थिएटर के बाहर ब्लैक में टिकट

Multiplex In India: भारत में सिनेमा को सौ साल से ज्यादा हो चुके हैं और कभी फिल्मों को लेकर हर तरह से जबर्दस्त क्रेज था. लेकिन अब दौर बदलता दिख रहा है. मनोरंजन के कई विकल्प सामने हैं. लेकिन ऐसा भी दौर था जब फिल्मों के लिए कई किलोमीटर लंबी कतारें लग जाती थीं और हाउसफुल थिएटर में जाने के लिए लोग ब्लैक में टिकट खरीदते थे.

 

Bollywood Legend: आज बंद हो रहे मल्टीप्लेक्स, कभी देव आनंद ने बेचे थे थिएटर के बाहर ब्लैक में टिकट

Dev Anand Film: आजकल फिल्म थियेटर्स खाली पड़े रहते हैं. कारण कई हैं. हालत यह हो गई है कि देश की सबसे बड़ी मल्टीप्लेक्स चेन पीवीआर-आईनॉक्स को 2023 की पहली तिमाही में 333 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है और उसने अगले छह महीने में देश भर में अपने 50 सिनेमा स्क्रीन बंद करने का फैसला कर लिया है. जानकारों का मानना है कि लोगों में अब सिनेमाघरों में जाकर फिल्म देखने का क्रेज घट रहा है. लेकिन एक समय ऐसा भी था जब फिल्मों के प्रति लोगों में इतनी दीवानगी थी कि शो हाउसफुल रहते थे. सिनेमा हॉल के बाहर टिकिट ब्लैक में बेचे जाते थे. ऐसा आज से 20-30 साल पहले ही नहीं बल्कि 1950-60 के दशक में भी होता था. टिकिटों की ऐसी ही काला बाजारी पर 1960 में एक फिल्म आई थी. नाम था काला बाजार.

कहानी का आइडिया
काला बाजार एक क्राइम फिल्म थी, जिसे देव आनंद ने प्रोड्यूस किया था. देव आनंद के छोटे भाई विजय आनंद ने फिल्म को लिखा तथा डायरेक्ट किया था. देव आनंद, वहीदा रहमान, चेतन आनंद, विजय आंनद, नन्दा, लीला चिटनीस, मदन पुरी तथा हेलन की फिल्म में मुख्य भूमिकाएं थी. इस फिल्म में पहली और आखिरी बार तीनों आंनद भाई एक साथ दिखाई दिए थे. काला बाजार अपने समय की सबसे बड़ी हिट फिल्मों में से एक थी. विजय आंनद जिन दिनों मुंबई स्थित मरीन लाइंस के सेंट जेवियर कॉलेज में पढ़ रहे थे, तो अक्सर देखा करते थे कि मेट्रो सिनेमा के बाहर किस तरह से फिल्मों के टिकिट ब्लैक में बेचे जा रहे हैं. इसी ने उन्हें काला बाजार की कहानी लिखने का आइडिया दिया.

गलत रास्ते पर रघुवीर
फिल्म की कहानी रघुवीर (देव आनंद) नाम के ऐसे युवक की थी, जो मुंबई की बसों में कंडक्टर के रूप में काम करता है और अपनी मां और छोटे भाई-बहन के साथ रहता है. एक यात्री के साथ झगड़े के बाद उसे नौकरी से निकाल दिया जाता है और बेरोजगार हो जाता है. मजबूर होकर वह लिबर्टी टॉकीज के बाहर ब्लैक में सिनेमा के टिकट बेचना शुरू कर देता है. इस काम में वह अपने साथ कई और लोगों को भी शामिल करता है. उसे यह काम बहुत फलता है और जल्द ही उसके पास इतना पैसा हो जाता है कि वह अपने परिवार के लिए मरीन ड्राइव जैसे पॉश इलाके में एक विशाल फ्लैट खरीद लेता है. लेकिन जल्द ही उसे समझ आ जाता है कि वह गलत रास्ते पर है और सारे गलत काम छोड़ने का फैसला कर लेता है.

फिल्म में फिल्म का प्रीमियर
फिल्म के एक सीन में कई स्टार्स का गेस्ट अपीयरेंस दिखाया गया था, जिसमें यह लोग फिल्म मदर इंडिया के प्रीमियर पर शिरकत करते नजर आए थे. इन सितारों में गीता दत्त, गुरु दत्त, किशोर कुमार, दिलीप कुमार, राज कुमार, राजेंद्र कुमार, मोहम्मद रफी, नरगिस, सोहराब मोदी, कन्हैया लाल, निम्मी, कुमकुम, मुकरी, लता मंगेशकर तथा बेबी नाज जैसी कई बड़ी हस्तियां थी. मदर इंडिया का प्रीमियर 1957 में मुंबई के मेट्रो सिनेमा में रखा गया था. देव आंनद अपनी फिल्म में कुछ इस तरह का सीन रखना चाहते थे, इसलिए महबूब खान ने अपने प्रीमियर की शूटिंग को ब्लैक टिकिट में रखने की देव आनंद को इजाजत दी थी.

 

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