Movie Review: An Action Hero ने मीडिया, पुलिस, नेता, ज्यूडीशियरी, दाऊद से लेकर एक्शन हीरोज तक, सबपर कसा शिकंजा
Advertisement

Movie Review: An Action Hero ने मीडिया, पुलिस, नेता, ज्यूडीशियरी, दाऊद से लेकर एक्शन हीरोज तक, सबपर कसा शिकंजा

Ayushmann Khurrana, जो अब तक सोकीय मैसेज वाली फिल्में करते आए हैं, शायद पहली बार एक 'एक्शन फिल्म' कर रहे हैं जो आज यानी 2 दिसंबर, 2022 को रिलीज हो गई है. 'एन एक्शन हीरो' (An Action Hero) फिल्म कैसी है, इस वीकेंड आपको इसे देखना चाहिए या नहीं, आइए इस फिल्म के रिव्यू के जरिए जानते हैं... 

Movie Review: An Action Hero ने मीडिया, पुलिस, नेता, ज्यूडीशियरी, दाऊद से लेकर एक्शन हीरोज तक, सबपर कसा शिकंजा

An Action Hero Review: 'एन एक्शन हीरो' (An Action Hero) फिल्म को अगर किसी रियल लाइफ कैरेक्टर का उदाहरण देकर समझा जाए, तो कुछ ऐसा होगा. इस फिल्म की कहानी नवजोत सिंह सिद्धू जैसी कहानी लगती है कि किसी से रास्ते में झगड़ा हुआ, धक्का या घूंसा मारा और सामने वाला मर गया. अब क्या करें? सिद्धू की तरह सालों अदालतों के चक्कर काटकर एक साल जेल चले जाएं या फिर इस मूवी के हीरो मानव (आयुष्मान खुराना) की तरह देश छोड़कर भाग जाएं? पूरी फिल्म भागमभाग पर बनी है, और ऐसा लगता है कि कोई भी लॉजिक नहीं बनाना चाहता डायरेक्टर, तो हर सीन में आपको किसी तरह चौंकाने की कोशिश करता है. आइए इस फिल्म के अच्छे-बुरे एसपेक्ट्स पर एक नजर डालते हैं... 

इस तरह शुरू होती है फिल्म की कहानी 

मानव एक एक्शन हीरो है, जिसकी शूटिंग हरियाणा के किसी इलाके में चल रही है. शूटिंग की इजाजत दिलाने वाला निगम पार्षद भूरा सोलंकी (जयदीप अहलावत) का छोटा भाई मानव के साथ फोटो खिंचवाने के इंतजार में सुबह से बैठा है और रात हो जाती है. तभी सैट पर मानव की पसंदीदा मुस्टैंग कार की डिलीवरी होती है, सोचिए भारत में किसी स्टार ने कभी अपनी कार की डिलीवरी अपने शहर के अलावा कहीं दूरदराज के गांव में ली होगी. लेकिन कहानी में ये कार जरूरी है और ये भी जरुरी है कि उसकी ड्राइविंग के बहाने स्टार सैट से दूर अकेला कहीं जाए.

फिल्म का अनरियलिस्टिक प्लॉट   

ना तो ये हजम होता है कि इतनी दूर के इलाके में स्टार अकेला कार लेकर निकल जाता है, ना ही उसकी कोई सिक्योरिटी यहां दिखती है. धक्का देने पर भूरा के भाई के सर में जमीन पर पड़ा पत्थर घुस जाता है और मानव देश छोड़कर भाग जाता है और पीछे पीछे पहुंचता है भूरा, लंदन में. कहानी में फिर डी गैंग घुस जाता है, जो मानव को अपनी नवासी की शादी में नचाना चाहता है. इंडिया और इंगलैंड दोनों की पुलिस मानव के पीछे पड़ी है और क्लाइमेक्स में वो हीरो की तरह भारत लौटता है.

यह है An Action Hero की खासियत 

सीन दर सीन निर्देशक और लेखक अनिरुद्ध अय्यर ने नीरज यादव की मदद से ऐसे रचे हैं कि दर्शक बंधता चला जाता है. इसमें कोई शक नहीं कि इंटरवल तक अगर दर्शक लॉजिक ना ढूंढे तो बेहद मजा आता है. लेकिन जैसे ही दाऊद के किरदार की मूंवी में एंट्री होती है, मूवी की संजीदगी गायब हो जाती है. यूं वो बार बार मीडिया वालों को मसखरा दिखाकर और पुलिस को एकदम ढक्कन दिखाकर पूरी फिल्म में संजीदा होने से जबरन रोका गया है, लेकिन बावजूद इसके आयुष्मान खुराना और जयदीप अहलावत जैसे मंझे हुए सितारे अपनी एक्टिंग के बूते फिल्म को अपने कांधों पर लिए रहते हैं, और दर्शक बंधा रहता है.

आयुष्मान की यह फिल्म है एक 'मसाला फिल्म' 

दाऊद के आते ही फिल्म पटरी पर उतरने लगती है और फिर फिल्म एक चलताऊ मसाला फिल्म लगने लगती है, यहां तक प्रोडक्शन के एंगल से देखेंगे तो काफी कुछ बनावटी सा लगती है, खासतौर पर विदेश पिटने वाले भाई के लोग, वो नकली सी फाइट करते साफ दिख रहे हैं. यूं आयुष्मान और जयदीप की भिडंत काफी रोचक बन पड़ी है और उन्हीं की बदौलत मूवी में लोग बने भी रहते हैं. डायरेक्टर को चाहिए था कि जयदीप के हिस्से के रोल को थोड़ा और लम्बा करता तो फिर इस मूवी को रोकने वाला कोई भी नहीं था. अनिरुद्ध अय्यर की इस मूवी को आनंद एल रॉय ने प्रोडयूस किया है, जिनके साथ जीरो और तनु वेड्स मनु में बतौर असिस्टेंट अनिरुद्ध पहले काम कर चुके हैं.

ये बात थोड़ी अजीब है... 

दिलचस्प बात ये है कि आयुष्मान का किरदार इतनी मुसीबतों में घिरता है, लेकिन वो एक फोन अपने किसी परिजन या गर्लफ्रेंड को नहीं करता, यूं मूवी में हीरोइन है ही नहीं, बावजूद इसके ये थोड़ा अजीब लगता है. अजीब तब भी लगता है कि देश छोड़कर भागते वक्त वो पहचानने से बचने के लिए मास्क भी नहीं पहनता, तब भी कोई उसे पहचानता नहीं है, जबकि उसी एयरपोर्ट पर शुरूआत आते वक्त सैकड़ों लोग और मीडिया उसके इंतजार में खड़ी थी.

An Action Hero का रिव्यू

सो अगर दिमाग नहीं लगाएंगे, जो डायरेक्टर आपको दिखाना चाहता है, खासतौर पर फिल्म की भागमभाग, अगर उसमें बिना सोचे शामिल हो जाएंगे तो आपको मजा भी आएगा. आयुष्मान और जयदीप वैसे भी हर सीन में बेजोड़ मेहनत करते दिखे भी हैं, लेकिन जरुरत से ज्यादा फॉरमूले मूवी को डुबो भी सकते हैं. एक झटके में लंदन चले जाने वाला, लंदन के पुलिस वालों तक को गोली से बेहिचक उड़ा देने वाला, दारोगा के थप्पड़ मारकर कपड़े उतरवा देने वाला बस एक निगम पार्षद है, ये भी जमता नहीं. हां ज्यूडीशियरी पर कमेंट मारने से नहीं चूके डायरेक्टर, ‘ज्यूडीशियरी घर की बड़ी बहू है क्या जो उसकी जिम्मेदारी होगी’.

ऐसे में बीच बीच में इस खबर पर मीडिया चैनल्स के फेमस एंकर्स की शक्ल वाले मसखरे भी दिखाए जाएंगे जिनकी देखकर सुनकर आप ठहाके भी लगाते रहेंगे कि कंट्री वांट्स टू नो... अगले ही सीन में फिल्म फिर से सीरियस हो जाएगी. सो ये सोचकर ही जाएं कि आप बस तफरीह करने जा रहे हैं, कोई महान मूवी देखने नहीं, तो शायद मजा भी आए.  

स्टार कास्ट: आयुष्मान खुराना, जयदीप अहलावत, हर्ष छाया आदि

निर्देशक: अनिरुद्ध अय्यर

स्टार रेटिंग: 3

पाठकों की पहली पसंद Zeenews.com/Hindi - अब किसी और की ज़रूरत नहीं.   

Trending news