Modi Government 3.0 Challenge: देश में एक बार फिर मोदी सरकार का शासन शुरू होने वाला है. हालांकि इस बार यह सरकार बैसाखियों पर चलेगी. टीडीपी और जेडीयू ने अभी से अपनी मांगों की लिस्ट से बीजेपी को असहज करना शुरू कर दिया है.
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TDP and JDU demand from Modi Government: बीजेपी के आला नेता नरेंद्र मोदी 9 जून को तीसरी बार पीएम पद की शपथ लेंगे. इससे पहले पहले मंत्रिमंडल गठन को लेकर बैठकों का दौर जारी है. अमित शाह के घर पर बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और अमित शाह के बीच बैठक हुई. इस बैठक से पहले शुक्रवार को जेपी नड्डा के आवास पर कई राउंड की मैराथन बैठक हुई थी. सूत्रों के मुताबिक विचार-विमर्श की प्रक्रिया को पूरा कर लेने के बाद जेपी नड्डा और अमित शाह अपनी पूरी रिपोर्ट नरेंद्र मोदी को देंगे. मंत्रिमंडल का गठन करना प्रधानमंत्री का विशेषाधिकार होता है, इसलिए इस बारे में तमाम पक्षों, सहयोगी दलों और अपनी पार्टी की राय जानने के बाद अंतिम फैसला नरेंद्र मोदी ही करेंगे.
बिहार से इन मंत्रियों की खुल सकती है किस्मत
बिहार से केंद्रीय मंत्रिमंडल में कौन-कौन शामिल होगा इसका फॉर्मूला एनडीए के स्थानीय नेताओं ने तैयार कर लिया है. सूत्रों की मानें तो बिहार से JDU और बीजेपी के बराबर बराबर मंत्री बनाए जाएंगे. इसमें बीजेपी कोटे से जनार्दन सिंह सिग्रीवाल, राजीव प्रताप रूडी, गोपाल जी ठाकुर, नित्यानंद राय को मंत्री बनाया जा सकता है. वहीं JDU कोटे से ललन सिंह, सुनील कुमार, रामनाथ ठाकुर, और दिलेश्वर कामत को मंत्री बनाया जा सकता है. वहीं LJP और HUM से चिराग पासवान और जीतनराम मांझी को भी मंत्री बनाया जा सकता है.
सरकार गठन के साथ ही मुश्किलों का दौर!
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली नई मंत्रिपरिषद में बिहार और आंध्र प्रदेश का अधिक प्रतिनिधित्व हो सकता है. इसके साथ ही जयंत चौधरी और केरल से BJP के इकलौते सांसद सुरेश गोपी भी मंत्री बन सकते हैं. मोदी सरकार 3.0 में कई एजेंडे हैं. जिस पर मोदी सरकार काम करने का प्लान बना चुकी है. माना जा रहा है कि शपथ ग्रहण के अगले दिन से मोदी सरकार अपने एजेंडों पर काम करने में जुट जाएगी. लेकिन इसके साथ ही उनके लिए मुश्किलों का दौर भी शुरू होने वाला है. यह मुश्किल विपक्ष की ओर से नहीं बल्कि गठबंधन में शामिल सहयोगी दलों टीडीपी और जेडीयू की ओर से ही हो सकती हैं.
बीजेपी और टीडीपी ने एक्टर पवन कल्याण की पार्टी के साथ मिलकर इस बार आंध्र प्रदेश में चुनाव लड़ा था. इस गठबंधन ने जबरदस्त कामयाबी हासिल करते हुए लोकसभा और असेंबली, दोनों चुनावों में बेहतरीन जीत हासिल की. गठबंधन में साझीदार होने के बावजूद बीजेपी और टीडीपी के बीच अनेक ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर उनके मतभेद हैं.
किन मुद्दों पर चंद्रबाबू नायडू का विरोध?
इनमें UCC, CAA, NRC, प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट, मुस्लिम रिजर्वेशन और वन नेशन-वन इलेक्शन शामिल है. बीजेपी जहां इन पर आगे बढ़ना चाहती है, वहीं टीडीपी इन्हें बने रहने देने के हक में हैं. इस मुद्दे पर चंद्रबाबू नायडू पहले भी विरोध दर्ज करवाते आए हैं. अब देखना होगा कि सहयोगियों के समर्थन पर टिकी नई सरकार इन बड़े मुद्दों पर आगे बढ़ने का कितना साहस दिखा पाएगी.
प्रेशर बनाने में जेडीयू भी पीछे नहीं
बात केवल टीडीपी की ही नहीं है, दबाव बनाने में जेडीयू भी पीछे नहीं हैं. उसने सरकार गठन से पहले ही अग्निवीर, सीएए, एनआरसी, मुस्लिम रिजर्वेशन और प्लेसेज ऑफ वर्शिफ एक्ट को लेकर बीजेपी पर प्रेशर बनाना शुरू कर दिया है. उसके नेता खुलेआम कह रहे हैं कि इन मुद्दों पर वे बीजेपी के स्टैंड से सहमत नहीं है. ऐसे में एनडीए की नई सरकार इन दबावों को झेलकर कब तक चल पाएगी, यह देखने लायक बात होगी.