Partridge Bird: दुनिया में इतने तरह के पंछी पाए जाते हैं. ये रंग-रूप और कई बातों में एक-दूसरे से अलग होते हैं. आज हम आपको एक ऐसे ही पक्षी के बारे में बताने जा रहे है, जो हर साल प्रजनन के लिए नए नर की तलाश करती है...
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Unknown Facts of Partridge: प्रकृति ने पक्षियों को कई खासियतों से नवाजा है. आज हम आपको एक ऐसे पक्षी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका जीवन रहस्यों से भरा पड़ा है. ये एक एक मादा जीव ऐसी है, जो अपने बच्चों के जन्म के बाद हर साल नए पति की तलाश में निकल जाती है. इतना ही नहीं इस पक्षी की ऐसी कई बातें हैं, जो आपको हैरान कर देंगी. आइए जानते हैं इस अनोखे पक्षी के बारे में...
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रहस्यों से भरी मादा तीतर की दुनिया
हम बात कर रहे हैं मादा तीतर की. तीतर की करीब 46 प्रजातियां हैं, जिनमें ग्रे पार्ट्रिज सबसे आक्रामक होते हैं. यह पक्षी मुख्य तौर पर भारत में ही पाया जाता है. तीतर अपना घोंसला जमीन पर झाड़ियों के बीच बनाता है. जंगली जीवों में यह एक ऐसी मादा जीव मानी जाती है, जिसे हर साल नए साथी की तलाश करती है. बताया जाता है कि तीतर के लिए मेटिंग का समय जनवरी से मार्च के बीच होता है. इस सीजन में एक मादा लगभग 10 से लेकर 18 अंडे देती है. हैरानी की बात तो यह है कि किसी भी पक्षी द्वारा दिए जाने वाले अंडों की ये सबसे ज्यादा संख्या है. कहने का मलतब यह है कि इतने अंडे कोई दूसरा पक्षी एक बार में नहीं देता है.
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परफॉर्मेंस के आधार पर चुनती है साथी
बर्ड वाचिंग एक्सपर्ट के मुताबिक मादा तीतर परफॉर्मेंस के आधार पर अपना साथी चुनती है. जनवरी का महीना आते ही मादा नया पति खोजने में जुट जाती है. नर को भी उनका इंतजार होता है, अपनी मादा को रिझाने के लिए नर तीतर दो तरीके अपनाते हैं. पहले तो वह दो-तीन तरह की आवाजें निकालकर मादा को इंप्रेस करने की कोशिश करता है. इसके बाद दूसरा तरीका होता है डांस करके मादा को लुभाना..
कहते हैं कि मादा तीतर को जिसका डांस या आवाज ज्यादा पसंद आती है, वो उसे अपना नया साथी चुन लेती है. इतना ही नहीं प्रजनन के दौरान मादा के विशेष क्षेत्र में एक समय पर एक ही नर रह सकता है.
नर पर होती है बच्चों को खिलाने की जिम्मेदारी
मादा 23 से 25 दिनों तक अपने अंडों को सेती है, जिसके बाद इनमें से बच्चे बाहर निकलते हैं. इसके बाद बच्चों को पालने यानी कि उनके खाने और सुरक्षा की जिम्मेदारी नर तीतर को निभानी पड़ती है. बच्चों के अंडों से बाहर निकलने के बाद दो-तीन मादा मिलकर अपना एक ग्रुप बनाती हैं. इस समूह में उनके बच्चे बड़े होते हैं, ताकि जब वह बच्चों के साथ चले, तो उसका काफिला बड़ा दिखे.
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