भारत के एक गांव में सालों से चली आ रही है प्रथा, जहां लोग नहीं पहनते जूता-चप्पल, जानना चाहेंगे वजह?
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भारत के एक गांव में सालों से चली आ रही है प्रथा, जहां लोग नहीं पहनते जूता-चप्पल, जानना चाहेंगे वजह?

Knowledge Story: फुटवियर के बिना तो कोई भी अपने पैरों को सुरक्षित नहीं रख सकता है, लेकिन भारत में एक ऐसा अनोखा गांव भी है, जहां आज भी ग्रामीण चप्पल-जूते नहीं पहनते हैं. इसके पीछे वजह बहुत ही खास बताई जाती है. यहां जानिए

भारत के एक गांव में सालों से चली आ रही है प्रथा, जहां लोग नहीं पहनते जूता-चप्पल, जानना चाहेंगे वजह?

Bizarre Tradition Of Indian Village: पहले का दौर कुछ और था जब लोग नंगे पैर ही मीलों तक सफर तय कर लेते थे. आज के समय में तो आज के समय में हर इंसान जूता-चप्पल पहनता है. फुटवियर का आविष्कार ही पैरों को सुरक्षित रखने के लिए किया गया था. आज के समय में बिना फुटवियर के कहीं भी आना-जाना नामुमकिन है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में एक गांव ऐसा भी है, जहां पर लोग जूता-चप्पल नहीं पहनते हैं. इस गांव में जूते-चप्पल नहीं पहनने की बेहद खास वजह बताई जाती है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर ऐसा क्या कारण है, जो लोग यहां नंगे पांव घूमते हैं...

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पुराने समय में जूते-चप्पल की जरूरत केवल पैरों को सुरक्षित रखने के लिए हुआ करती थी, लेकिन आज फुटवियर्स को स्टेटस सिंबल और फैशन से जोड़कर देखा जाता है. अब लोग कपड़ों की तरह ही रोज बदल-बदल कर फुटवियर्स भी इस्तेमाल करते हैं. इतना ही नहीं आजकल ज्यादातर शहरी घरों में भी लोग बिना स्लीपर्स के नहीं रहते. ऐसे समय में लोग जूते-चप्पल का इस्तेमाल नहीं करते किसी ऐसी जगह के बारे में जानना किसी बड़ी हैरानी से कम नहीं.

साउथ इंडिया में स्थित है ये गांव
हालांकि, आज भी ज्यादातर भारतीय घरों में लोग नंगे पांव ही घर में घूमते हैं. हमें शुरू से यही सिखाया जाता ही कि बाहर से आकर अपने जूते-चप्पलों को दरवाजे से बाहर उतारे या करीने से शू रैक में रखें, ताकि जूतों के साथ ही बाहर की गंदगी घर के अंदर न आ सके. वहीं, दक्षिण भारत में एक ऐसा गांव है, जहां के लोग अपने घरों के अंदर तो छोड़े गांव के अंदर भी जूते-चप्पल नहीं पहनते हैं. 

बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक तमिलनाडु में स्थित एक छोटा सा गांव है अंडमान, जो चेन्नई से करीब 450 किलोमीटर दूर है, जहां लोग नंगे पांव ही घूमते हैं. साल 2019 की इस रिपोर्ट के मुताबिक गांव में लगभग 130 परिवार हैं, जिनमें से ज्यादातर लोग खेती या दूसरे के खेतों में मजदूरी करते हैं. हालांकि, बुजुर्ग या मरीज इस प्रथा का पालन नहीं करते, लेकिन अन्य सभी गांव में जूते-चप्पल नहीं पहनते हैं. 

गर्मी में पहनते हैं चप्पल
आपको जानकर हैरानी होगी कि गांव के सभी बच्चे स्कूल भी नंगे पांव ही जाते हैं. वहीं, कुछ ग्रामीण हाथों में जूते-चप्पल लेकर आते-जाते नजर आ जाते हैं. हालांकि, गर्मियों में तपती जमीन पर पैरों की सुरक्षा के लिए कुछ लोग चप्पल पहन लेते हैं. 

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ऐसा करने के पीछे ये है खास वजह
ग्रामीणों के अनुसार उनक गांव की रक्षा मुथ्यालम्मा देवी करती हैं. ऐसे में लोग उनके सम्मान में ऐसा करते हैं. उनके मुताबिक जिस तरह लोग मंदिरों में जूते-चप्पल पहनकर नहीं जाते हैं, उसी तरह से इस गांव को भी मंदिर की तरह ही मानते हैं. सालों से चली आ रही इस प्रथा को मानने के लिए किसी से जबरदस्ती नहीं है. ग्रामीण खुद से ही अपनी मान्यताओं का पालन कर रहे हैं. इसी तरह गांव में बाहर से कोई मेहमान आता है, तो उससे भी जबरदस्ती प्रथा का पालन नहीं कराया जाता. 

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