Gangaur Puja Ke Upay: भगवान शिव और माता पार्वती का त्योहार है गणगौर, इन उपायों से रिश्ते में बनी रहेगी मिठास
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Gangaur Puja Ke Upay: भगवान शिव और माता पार्वती का त्योहार है गणगौर, इन उपायों से रिश्ते में बनी रहेगी मिठास

Gangaur Ke Upay : विवाहित दंपती कामना करते हैं कि उनका वैवाहिक जीवन भगवान शिव और माता पार्वती की तरह शुभ और खुशहाल हो. मान्यता है कि इस पर्व में महिलाएं मिट्टी से बने गण-गौर यानी शिव-पार्वती की पूजा की जाती है. गणगौर का व्रत 8 मार्च को आरंभ होगा.

गणगौर के उपाय

Gangaur Par Kya Krein: हिंदू पंचांग के अनुसार , चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को गणगौर तीज मनाई जाती हैं, इस बार गणगौर तीज का व्रत 23-24 मार्च को मनाया जाएगा. हिंदू धर्म में गणगौर पूजा का विशेष महत्व माना गया है. इस दिन विवाहित दंपती कामना करते हैं कि उनका वैवाहिक जीवन भगवान शिव और माता पार्वती की तरह शुभ और खुशहाल हो. मान्यता है कि इस पर्व में महिलाएं मिट्टी से बने गण-गौर यानी शिव-पार्वती की पूजा की जाती है और प्रतिमा के बाद इन्हें किसी पवित्र स्थान या नदी में विसर्जित किया जाता है. 

गणगौर पर करें ये उपाय (Gangaur Ke Upay)

- गणगौर के पर्व पर कई ज्योतिषीय उपाय भी बताए गए हैं जिन्हें करने से वैवाहिक जीवन में विशेष लाभ होता है. साथ ही इन उपायों को करने से व्यक्ति की सभी तरह की समस्याओं का समाधान होता है. आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ उपायों के बारे में.

- शिवमहापुराण के अनुसार गणगौर पर्व पर आप भगवान शिव को लाल सफेद आंकड़े के पुष्प अर्पित करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है.

- गणगौर तीज पर माता पार्वती और भगवान शिव की आराधना करते समय देवी को सुहाग की सामग्री अर्पित करें और भगवान शिव को सफेद वस्त्र अर्पित करें. 

- गणगौर पर्व के दिन माता पार्वती को दूध अर्पित करने से सभी तरह के कष्टों से मुक्ति मिलती हैं

- इस दिन आप परिवार में खुशहाली और सुखी जीवन के लिए माता पार्वती को केले का भोग अर्पित करें और गरीबों में केले का दान करें.

- गणगौर तीज के दिन यदि माता पार्वती को मालपुआ चढ़ाकर दान करते हैं तो सभी प्रकार की समस्याएं अपने आप ही समाप्त हो जाती है

गणगौर का महत्व 

गणगौर तीज कुंवारी और विवाहित महिलाएं अपने सौभाग्य और अच्छे वर की कामना करने के लिए करती हैं. इस दिन माता पार्वती और भगवान शंकर की आराधना की जाती है. 17 दिन चलने वाले इस पर्व का समापन चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर होता है.  उस दिन कुंवारी, विवाहित और नवविवाहित महिलाएं इस दिन नदी, तालाब पर जाकर गीत गाती हैं और भगवान शिव और माता पार्वती की मिट्टी से बनी प्रतिमा को विसर्जित करती हैं. यह व्रत विवाहित महिलाएं पति से सात जन्मों का साथ, स्नेह, सम्मान और सौभाग्य पाने के लिए करती हैं. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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