Floriculture: देश के अन्य सेक्टर्स की तरह ही एग्रीकल्चर सेक्टर भी तेजी से ग्रो कर रहा है. इस सेक्टर को लेकर सबसे अच्छी बात यह है कि इसमें युवा भी दिलचस्पी ले रहे हैं. आज आपको ऐसे किसान के बारे में बताते हैं, जिन्होंने शैक में खेती शुरू की और आज वे साल में 30 लाख की कमाई कर रहे हैं.
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Flower Farmimg: देश के अन्य सेक्टर्स की तरह ही एग्रीकल्चर सेक्टर भी तेजी से ग्रो कर रहा है. इस सेक्टर को लेकर सबसे अच्छी बात यह है कि इसमें युवा भी दिलचस्पी ले रहे हैं. शौक सिर्फ एक शब्द नहीं बल्कि एक बदलने वाली शक्ति है जो जिज्ञासा को महारत में और मुश्किलों को मौकों में बदल देती है. लगातार सीखने, नई चीजें करने की कोशिश करने और असफलताओं से न हारने का जज्बा ही असली सफलता की ओर ले जाता है. मनन अग्रवाल की कहानी इस बात का जीता जागता उदाहरण है कि कैसे जुनून आपको सफलता के रास्ते पर ले जा सकता है.
कृषि जागरण की रिपोर्ट के मुताबिक मनन अग्रवाल असल में एक B.Tech ग्रेजुएट हैं जिन्होंने फूलों की खेती करने का अपना शौक पूरा करने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी. ये शौक कोरोना वायरस की वजह से लगे लॉकडाउन के दौरान पैदा हुआ था. मनन बताते हैं कि "वो लॉकडाउन मेरे लिए टर्निंग प्वॉइंट था. इससे मुझे फूलों के बारे में सीखने और उन्हें उगाने का समय मिला." साल 2022 में जब सब घरों में बंद थे, तब मनन ने अपने इसी शौक की वजह से अपनी नौकरी छोड़ दी और हरिद्वार के बड़कोट तहसील में जमीन खरीदकर फूल उगाने का काम शुरू कर दिया. लेकिन शुरुआत आसान नहीं थी. फूलों की खेती के बाजार में टिक पाना मुश्किल था क्योंकि यहां अच्छी क्वालिटी के फूलों की ही डिमांड होती है.
शुरुआत में आईं दिक्कतें
शुरुआत में मनन को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. वो बताते हैं कि "मैं एक इंजीनियरिंग का ग्रेजुएट था. मुझे फूल उगाने की बेसिक जानकारी भी नहीं थी. ये सब कैसे और कहां से शुरू करूं, ये मुझे समझ नहीं आ रहा था." इसी सोच के साथ मनन ने किताबें पढ़ीं, अनुभवी फूल उगाने वाले किसानों से मिले और सरकारी विभागों से सलाह ली. वो गर्व से बताते हैं कि "ये सीख बहुत जरूरी थी. इसी से मुझे वो ज्ञान मिला जिसकी मुझे सफल होने के लिए जरूरत थी."
लेकिन इसके बाद भी मनन को खेत में फूल उगाने का पूरा भरोसा नहीं था. फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और अपने घर पर ही अलग-अलग तरह के फूल उगाने की कोशिश शुरू कर दी. वो गलतियां करते हुए सीखते रहे और ये समझने की कोशिश कर रहे थे कि उनके इलाके की जलवायु और जमीन के हिसाब से फूलों को कैसे उगाना है. शुरुआत में काफी पैसा लगाने के बाद भी उन्हें उम्मीद के मुताबिक मुनाफा नहीं हो रहा था.
सरकारी मदद
इस मुश्किल समय में उनके दोस्तों ने उन्हें नेशनल हॉर्टीकल्चर बोर्ड (NHB) से मदद लेने की सलाह दी. उम्मीद की किरण देखकर मनन ने NHB से संपर्क किया. वहां से उन्हें काफी मदद मिली. विभाग ने उन्हें योजना बनाने और उसे लागू करने में हर कदम पर रास्ता दिखाया. साथ ही उन्हें नई तकनीक अपनाने के लिए रिसर्च संस्थानों से भी जोड़ा और आर्थिक मदद भी दी. NHB के सहयोग से मनन ने साल 2023 में अपना प्रोजेक्ट शुरू किया. उन्होंने जरबेरा के फूल उगाने के लिए एक पॉलीहाउस बनाया. वो कहते हैं कि "नेशनल हॉर्टीकल्चर बोर्ड से मिला सहयोग बहुत महत्वपूर्ण था. उनकी मदद और आर्थिक सहायता से ही मैं जरबेरा के फूल उगाने के लिए अपना पॉलीहाउस बना पाया."
फूलों की खेती में सफलता
समय के साथ मनन की फूलों की खेती के लिए मेहनत रंग लाई. उन्होंने अपने प्रोजेक्ट को बहुत अच्छे से मैनेज किया और अच्छी क्वालिटी के गेंदे के फूल उगाने में सफल रहे. फरवरी 2023 तक उन्होंने छह अलग-अलग रंगों के जरबेरा के पौधे लगा लिए थे. जुलाई 2023 से व्यापारिक रूप से फूलों की कटाई शुरू हो गई. वे हर रोज करीब 3500 प्लांट्स उगाते थे और औसतन 3 रुपये के हिसाब से बेचते थे. साल 2023-24 में उनकी कुल कमाई 37,80,000 रुपये रही. वहीं, उनकी लागत करीब 10,00,000 रुपये रही. इस तरह उनका सालाना मुनाफा 27,80,000 रुपये रहा. NHB से मनन को सब्सिडी के रूप में 25.08 लाख रुपये मिले. उनका सफल कारोबार देखकर आस-पास के अन्य किसान भी अब NHB की योजनाओं के तहत फूलों और सब्जियों की खेती करने के बारे में सोचने लगे हैं.