यह मामला उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के एक सरकारी स्कूल का है, जहां गणतंत्र दिवस और बसंत पंचमी के मौके पर एक शिक्षक पर सरस्वती और भारत माता देवी पर फूल नहीं चढ़ाने और राष्ट्रगान में हिस्सा नहीं लेने का इल्जाम लगाया गया है.
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अलीगढ़ः उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में इगलास के एक सरकारी प्राथमिक स्कूल के एक मुस्लिम शिक्षक ने कथित तौर पर राष्ट्रगान गाने और देवी सरस्वती की तस्वीरों पर पुष्पांजलि अर्पित करने से इनकार कर दिया है. यह घटना स्कूल में गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान की बताई जा रही है. इस घटना का एक वीडियो क्लिप भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.
बताया जा रहा है कि हसमुद्दीन नाम के शिक्षक ने कथित तौर पर कहा कि, उनका मजहब उन्हें सिर्फ अल्लाह के सामने अपना सिर झुकाने की इजाजत देता है और वह किसी अन्य देवी-देवता के सामने अपना सिर नहीं झुकाएंगे. हालांकि शिक्षक पर राष्ट्रगान भी नहीं गाने का इल्जाम लगाया जा रहा है. वीडियो क्लिप में अन्य शिक्षकों को हसमुद्दीन को रस्मों का पालन करने के लिए मनाने की कोशिश करते दिखाया गया है.
इस मामले में बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) सत्येंद्र सिंह ने कहा कि, उन्हें वीडियो क्लिप की जानकारी दी गई है, और मामले को गंभीरता से लिया गया है. उन्होंने कहा, मैंने जांच के आदेश दिए हैं और जैसे ही मुझे रिपोर्ट दी जाएगी, मैं कड़ी कार्रवाई शुरू करूंगा.
हालांकि इस खबर के आने के बाद नेटिजन्स शिक्षक के समर्थन और विरोध में बंटते दिखाई दे रहे हैं. कुछ लोगों ने कहा है कि स्कूल में सरस्वती देवी को माला चढ़ाना या राष्ट्रगान गाने की कोई बाध्यता नहीं है. इसके लिए शिक्षक पर किसी तरह की कार्रवाई करना अपने आप में कानून का उल्लंघन करना होगा. संविधान देश के सभी लोगों को अपने धर्म का पालन करने की आजादी देता है, किसी मुसलमान शिक्षक को सरस्वती देवी के प्रति भक्ति भाव दिखाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है. स्कूल में इस तरह की गतिविधियों को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए.
वहीं, दूसरी तरफ कुछ लोग शिक्षक को इस बात के लिए दंडित करने औश्र नौकरी से निकालने की बात कह रहे हैं. हालांकि, इस पूरे मामले में शिक्षक की तरफ से कोई खंडन या उनका पक्ष अभी तक सामने नहीं आ पाया है.
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