उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश पर प्रदेश के कौशांबी जिले में वक्फ बोर्ड की जायदाद का सर्वे कर शासन को रिपोर्ट भेजी गयी है, जिसमे 93 हेक्टेयर की 413 जमीनें वक्फ बोर्ड के खाते में दर्ज मिली है. इनमे से कुछ जायदाद पर सरकार दावा कर रही है, जबकि बोर्ड भी कुछ सरकारी ज़मीनों पर दावा कर चुका है.
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कौशांबी: देशभर के वक्फ बोर्ड का मानना है कि वक्फ बोर्ड की संपत्तियों पर अवैध कब्ज़ा है. ये कब्ज़ा आम लोगों का और सरकार का भी है. वहीँ, सरकार भी ये मानती आ रही है कि वक्फ के संपत्तियों पर अवैध कब्ज़ा तो है, लेकिन कहीं- कहीं वक्फ बोर्ड ने भी आम आदमी और सरकारी ज़मीन को अपना बताकर उसपर या तो कब्ज़ा कर रखा है या फिर कब्ज़े का दावा कर रही है.
वक्फ बोर्ड और सरकार के इन्हीं दावों और प्रतिदावों की जांच करने के लिए उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी जिले में वक्क बोर्ड और सरकार के दावों की जांच करने के लिए ज़मीनों का सर्वे किया गया है. कौशांबी जिला प्रशासन के मुताबिक जिले में 413 जीएस लैंड पर वक्फ बोर्ड का कब्जा है, जिसे सरकार अपनी भूमि बता रही है. इन ज़मीनों के सर्वे और वेरिफिकेशन के बाद सभी तहसीलों से आई रिपोर्ट को डीएम ने शासन को भेजा है.
सरकार के दावों की जांच की जायेगी
कौशाम्बी जिले के डीएम मधुसूदन हुल्गी ने कहा, "जिले में 93 हेक्टेयर की 413 जमीन अभी वक्फ बोर्ड के कब्ज़े में है, जो दस्तावेजों में सरकारी भूमि के तौर पर दर्ज है. इन ज़मीनों के ज्यादातर हिस्सो में ईदगाह, कब्रिस्तान, दरगाह, और कर्बला वगैरह बना हुआ है. वक्फ बोर्ड के कब्जे में अभी चायल तहसील में सबसे ज्यादा 44 हेक्टेयर ज़मीन है. मंझनपुर तहसील में सबसे कम 23.11 हेक्टेयर ज़मीन वक्फ के कब्ज़े में है, जबकि सिराथू तहसील में 26 हेक्टेयर ज़मीन पर वक्फ बोर्ड का अभी कब्जा है. पूरे जिले में 413 सरकारी जमीन शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड की संपत्तियां के तहत दर्ज है. इनमें से ज्यादातर जमीनों पर ईदगाह, कब्रिस्तान, दरगाह, करबला बने हुए हैं. जिले भर में तकरीबन 93 हेक्टेयर की ज़मीन वक्फ बोर्ड के पास है, जिसका सर्वे और सत्यापन का काम पूरा हो गया है. इसकी रिपोर्ट जिला प्रशासन ने सरकार को भेज दी है. शासन से इज़ाज़त मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी. हालांकि, जिला प्रशासन का मानना है कि इन ज़मीनों पर वक्फ बोर्ड का कोई कब्ज़ा नहीं है, बल्कि ये ज़मीन वक्फ बोर्ड के नाम पैर दर्ज है. अभी इन ज़मीनों का सरकारी अभिलेख में दर्ज ज़मीनों से मिलान किया जाएगा फिर बोर्ड और सरकार के दावों की जांच की जायेगी."