भगत सिंह की प्रतिमा लगाना चाहते हैं पाकिस्तानी; कोर्ट ने दिया ज़ोरों का झटका!
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भगत सिंह की प्रतिमा लगाना चाहते हैं पाकिस्तानी; कोर्ट ने दिया ज़ोरों का झटका!

Bhagat Singh Statue at Shadman Chauk: पाकिस्तान की एक अदालत ने लाहौर के शादमान चौक का नाम बदलकर स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह के नाम पर रखने की मांग वाली  वाली याचिका खारिज कर दी है, जिससे  भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन के लोग काफी नाराज हैं और इस फैसले को देश की सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की तयारी कर रहे हैं.  

 भगत सिंह

लाहौर: आजादी की लड़ाई के हीरो भगत सिंह के चाहने वाले जितने भारत में हैं, उतने ही उनके दीवाने लोग पाकिस्तान में भी रहते हैं. लेकिन पाकिस्तान में एक अदालत के फैसले से भगत सिंह के चाहने वालों को काफी धक्का पहुंचा है. पाकिस्तान की एक अदालत ने शुक्रवार को लाहौर के शादमान चौक का नाम बदलकर स्वतंत्रता संग्राम के नायक भगत सिंह के नाम पर रखने और वहां उनका मुजस्समा लगाने का मुतालबा करने वाली याचिका को खारिज कर दी है.

अदालत के एक अफसर ने बताया, "लाहौर हाईकोर्ट के जज शम्स महमूद मिर्जा ने जुमे को भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन पाकिस्तान की उस अपील को ख़ारिज कर दिया है, जिसमें लाहौर के शादमान चौक का नाम बदलकर भगत सिंह के नाम पर रखने और उनके मुजस्समे  को उस मकाम पर लगाने की मांग की गई थी, जहां भगत सिंह को फांसी दी गई थी." मेट्रोपॉलिटन कॉरपोरेशन लाहौर और फाउंडेशन के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद जज ने उस अपील को खारिज कर दिया.  इससे पहले लाहौर की जिला इंतजामिया का हिस्सा रहे कॉरपोरेशन ने लाहौर हाईकोर्ट को बताया था कि उसने शादमान चौक का नाम बदलकर भगत सिंह के नाम पर रखने और उनकी प्रतिमा को लगाने की प्रस्तावित योजना को रद्द कर दिया है, जहां 94 साल पहले उन्हें फांसी दी गई थी. 

कोर्ट के फैसले को किया नज़रंदाज़ 
महानगर निगम ने अदालत में दिए अपने लिखित जवाब में कहा था, "लाहौर के शादमान चौक का नाम भगत सिंह के नाम पर रखने और वहां उनकी प्रतिमा लगाने की जिला इंतजामिया के प्रस्तावित योजना को कमोडोर (रिटायर्ड) रद्द कर दिया गया है." इम्तियाज रशीद कुरैशी ने जिला इंतजामिया ,  लाहौर के डिप्टी कमिश्नर, मुख्य सचिव पंजाब और प्रशासक शहर जिला सरकार को अदालत की अवमानना ​​याचिका में एक पार्टी  बनाया था, जिसमें कहा गया था कि लाहौर हाईकोर्ट के जज शाहिद जमील खान ने 5 सितंबर, 2018 को मुताल्लिका अफसरों को हिदायत  जारी किए थे कि वे शादमान चौक का नाम भगत सिंह के नाम पर रखने के लिए कदम उठाएं, लेकिन अदालत के इस फरमान को अभी तक लागू नहीं किया गया है. लाहौर हाई कोर्ट के जज शम्स महमूद मिर्जा ने वादी के वकील की गैर- मौजूदगी की वजह से अवमानना ​​याचिका की सुनवाई 17 जनवरी तक के लिए मंसूख कर दी है. 

23 मार्च, 1931 को लाहौर जेल में दी गई थी भगत सिंह को फांसी 
गौरतलब है कि 23 साल के  भगत सिंह को गुलाम भारत में औपनिवेशिक हुकूमत के खिलाफ साजिश रचने के इलज़ाम में मुकदमा चलाने के बाद 23 मार्च, 1931 को लाहौर में ब्रिटिश शासकों ने फांसी दे दी थी. भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के खिलाफ ब्रिटिश पुलिस अफसर  जॉन पी सॉन्डर्स के क़त्ल के इलज़ाम में मामला दर्ज किया गया था. सुखदेव और राजगुरु को भी ब्रिटिश हुकूमत ने फांसी पर लटका दिया था.

हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में देंगेचुनौती
इस मामले में याचिका हाई कोर्ट में खारिज होने के बाद, फाउंडेशन के सदर एडवोकेट इम्तियाज रशीद कुरैशी ने कहा, " इस मामले में हम लाहौर हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे." 

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