UAPA Case: PFI के पूर्व चीफ अबूबकर को SC से बड़ा झटका; बिमारी का नहीं चला बहाना
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UAPA Case: PFI के पूर्व चीफ अबूबकर को SC से बड़ा झटका; बिमारी का नहीं चला बहाना

PFI Ex Chief Abubakar: राष्ट्रीय जांच एजेंसी के लिए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने जमानत का विरोध किया और कहा कि उनके द्वारा बताई गई सभी चिकित्सा स्थितियों का विभिन्न उपचारों के माध्यम से ध्यान रखा गया है.

UAPA Case: PFI के पूर्व चीफ अबूबकर को SC से बड़ा झटका; बिमारी का नहीं चला बहाना

PFI Ex Chief Abubakar: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के पूर्व अध्यक्ष ई अबूबकर को आतंकवाद विरोधी कानून यूएपीए के तहत उनके खिलाफ दर्ज एक मामले में चिकित्सा आधार पर जमानत देने से इनकार कर दिया है. अबूबकर को साल 2022 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने गिरफ्तार किया था. गिरफ्तारी के बाद PFI के पूर्व चीफ ने ट्रायल कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है, इसके बाद उन्होंने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

जस्टिस एमएम सुंदरेश और राजेश बिंदल की पीठ ने कहा कि वह मेडिकल रिपोर्ट देखने के बाद इस स्तर पर अबूबकर को रिहा करने के लिए इच्छुक नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को जमानत के लिए निचली अदालत का दरवाजा खटखटाने की स्वतंत्रता दी. अबूबकर की तरफ से पेश सीनियर अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायण की इस दलील को भी खारिज कर दिया कि अगर याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा नहीं किया जाता है तो उसे नजरबंद रखा जा सकता है.

सॉलिसिटर जनरल ने क्या दी दलील
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस पर आपत्ति जताई और कहा कि घर में नजरबंद करने का अनुरोध करना अब एक "नई अवधारणा" बन गई है. सुनवाई के दौरान शंकरनारायण ने मेडिकल रिपोर्ट का हवाला दिया और कहा कि याचिकाकर्ता पार्किंसंस रोग से पीड़ित है. वहीं, राष्ट्रीय जांच एजेंसी के लिए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने जमानत का विरोध किया और कहा कि उनके द्वारा बताई गई सभी चिकित्सा स्थितियों का विभिन्न उपचारों के माध्यम से ध्यान रखा गया है.

हाईकोर्ट ने खारिज कर दी थी अबूबर की याचिका
हाईकोर्ट ने पिछले साल 28 मई को अबूबकर की जमानत याचिका खारिज कर दी थी. उनकी अपील को खारिज करते हुए, उच्च न्यायालय ने कहा था कि आरोप पत्र में आरोप, संरक्षित गवाहों के बयान और यह तथ्य कि अबूबकर पहले एक अन्य प्रतिबंधित संगठन सिमी से निकटता से जुड़ा था, सहित रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री से पता चलता है कि गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत अभियोजन पक्ष का मामला प्रथम दृष्टया सत्य है.

केंद्रीय आतंकवाद निरोधक एजेंसी के मुताबिक, पीएफआई, इसके पदाधिकारियों और सदस्यों ने देश के विभिन्न हिस्सों में आतंकी वारदातों को अंजाम देने के लिए धन जुटाने के लिए आपराधिक साजिश रची और इस उद्देश्य के लिए अपने कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करने के लिए शिविर आयोजित कर रहे थे.

अबूबकर ने क्या कहा?
अबूबकर ने दावा किया कि वह 70 साल के हैं, उन्हें पार्किंसंस रोग है और कैंसर के इलाज के लिए उनकी सर्जरी भी हो चुकी है. उन्होंने तर्क दिया कि योग्यता के आधार पर भी वह जमानत के हकदार हैं, क्योंकि एनआईए उनके खिलाफ मामला बनाने में "बुरी तरह" विफल रही है. 

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